नवमुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में पिरोकर सोमवार के दिन स्नानादि कर माँ दुर्गा के चरणों से स्पर्श कराकर ऊॅँ दुर्गाय नम:…………….मंत्र का जप करते हुए गले में धारण करना चाहिए। इसे नव दुर्गा का स्वरूप माना गया है और स्त्री-पुरुष सभी धारण कर सकते हैं। इससे नव शक्तियां प्रसन्न होकर सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करते हुए सुख प्रदान करती हैं। अष्ट सिद्धियों व नवों ऋद्धियों को देती हैं। नवमुखीी रुद्राक्ष के देवता भ्ौरव और यमराज हैं। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति शिव का अत्यन्त प्रिय होने के कारण स्वर्ग में इंद्र के समान पूजनीय होता है। इसे बायीं भुजा में पहनने से बल की प्राप्ति होती है। मृत्युलोक में धन, सम्पत्ति और ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती है। यमराज का भय नहीं रहता है।
नवमुखी रुद्राक्ष को नवशक्ति से सम्पन्न माना जाता है।यह धारक को नई-नई शक्तियां प्रदान करने वाला है। नौमुखी रुद्राक्ष को नौ तीर्थों यथा- पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, विश्वनाथ, जगन्नाथ,सोमनाथ, पारसनाथ, वैद्यनाथ और नाथ सम्प्रदाय के नौ नाथों- नागार्जुन नाथ, जडभरत नाथ, हरिश्चंद्र नाथ, सत्यनाथ, भीमनाथ, गोरखनाथ, चर्पटरनाथ, जालंधरनाथ और मलयार्जुननाथ आदि के स्वरूप का प्रतीक माना गया है। इसी प्रकार शास्त्रों में इसे नवार्ण मंत्र अर्थात ऊॅँ एें ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे……. के ज्ञान स्वरूप शक्ति से युक्त माना गया है। इस महिलाशाली रुद्राक्ष को नवग्रहों और नव दुर्गाओं के स्वरूप का प्रतीक माना गया है। नव मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला साक्षात नवनाथ स्वरूप हो जाता है और उसे नवरात्रि व्रत से भी अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। नौ मुखी रुद्राक्ष को कुछ विद्बान भ्ौरव का स्वरूप मानते है, इसका उल्लेख पूर्व में भी लेख में किया गया है, इसे बायीं भुजा पर बांधने से मनुष्य शिवत्व भावना रखता है और योग व मोक्ष प्राप्त करता है। नौमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति सदा सबका हित चिंतक होता है। वह तन-मन से सदा पवित्र रहता है।
पद्म पुराण के अनुसार नवमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए निम्न उल्लेखित मंत्र से अभिमंत्रित करें।
मंत्र है- ऊॅँ हं नम:
स्कंद पुराण के अनुसार नवमुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए निम्न उल्लेखित मंत्र से अभिमंत्रित करें।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं नम:
महाशिवपुराण के अनुसार नवमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए मंत्र निम्न उल्लेखित है। इससे अभिमंत्रित करें।
मंत्र है- ओं ह्रीं हूॅँ नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार नवमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कीजिए।
मंत्र है- हूॅँ नम:
नवमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का अन्य पावन मंत्र निम्न लिखित है, इससे अभिमंत्रित कीजिए।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं वं यं लं रं
विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये। पूजन पूर्ण श्रद्धा भाव से करना चाहिए।