ईश स्तुति एवं प्रार्थना

0
403

परमात्मा सत्यस्वरूप, सुखदाता, आनंददाता आदि गुणों का वाहक व रक्षक है। वह मनुष्यों पर ऐश्वर्य की वर्षा करने वाला है। वह हमें अध्यात्म तथा पदार्थ विद्याओं का दान देकर हमारी सर्वांगीण उन्नति करता है।

हम परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि वह अपने आनंद रस की धाराओं को हम पर प्रवाहित करे जिसमें स्नान कर हम तृप्त हो सकें। परमात्मा हमारे प्राणों की सहचर आत्मा के लिए आनंददायक हो। परमात्मा अपने ओज से हमारी आत्मा, मन, बुद्धि आदि को धारण करे जिससे हमारे समस्त दुःख, दुर्गुण व दुर्व्यसन दूर हो जाएं और हम सब सत्य विद्याओं, गुणों और अभीष्ट पदार्थों को प्राप्त होकर सुख व संतोषप्रद जीवन व्यतीत कर सकें।

Advertisment

प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here