बारहमुखी यानी द्बादशमुखी रुद्राक्ष को पीले धागे पिरोकर सूर्योदय के समय स्नान-ध्यान आदि करके सूर्य की ओर मुख करके एक दाने को गले में पहनते समय ऊॅँ सूर्य देवाय नम:……….मंत्र का जप करना चाहिए। इसके धारण करने से मान-सम्मान में वृद्धि और चहरे पर खुशी छायी रहती है। इसे सूर्य का स्वरूप माना जाता है। बारह मुखी रुद्राक्ष आदित्य स्वरूप तेजस्वी महाविष्णु का कारक है। इसे धारण करने वाला प्राणी राजा बनने के योग्य होता है। चोर, अग्नि, दारिद्र्य और व्याधियों से मुक्ति मिलती है। धन-पुत्रादि की प्राप्ति होती है। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि बारह मुखी रुद्राक्ष आदित्य का स्वरूप माना गया है। बारहमुखी रुद्राक्ष साक्षात बारह ज्योतिर्लिंगों यानी सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकाल, ओंकारेश्वर , बैजनाथ, भीमशंकर, रामेश्वरम् , नागेश्वरम्, विश्वेश्वर, `यम्बेश्वर, केदारनाथ और घुस्मेश्वर के स्वरूप का प्रतीक है। द्बादशाक्षर मंत्र यानी ऊॅँ नमो भगवते वासुदेवाय…. के जप करने से जो फल प्राप्त होता है वह बारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से धारक सहज ही प्राप्त कर लेता है। बारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न रहते हैं। बारहमुखी रुद्राक्ष के धारण करने सम्पूर्ण बारह आदित्य प्रसन्न होते हैं। यह रुद्राक्ष साक्षात सूर्य का स्वरूप माना गया है। यह बड़ शक्तिशाली होता है। इसे धारण करने वाले को हिंसक पशुओं का भय नहीं रहता है। इसे धारण करने से सभी प्रकार की शारीरिक व मानसिक पीड़ा मिट जाती है। ऐश्वर्य युक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।
पद्म पुराण के अनुसार बारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र निम्न उल्लेखित है।
मंत्र है- ऊॅँ हूॅँ ह्रीं नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार बारह मुखी रुद्राक्ष धारण कने का मंत्र निम्न उल्लेखित है।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रां ह्रीं नम:
महाशिव पुराण के अनुसार बारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र निम्न उल्लेखित किया गय है।
मंत्र है- ओं क्रौं क्षौं ररैं नम:
योगसार नामक गं्रथ के अनुसार बारहमुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र निम्न उल्लेखित है।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं नम:
बारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का अन्य पावन मंत्र निम्न उल्लेखित है।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं क्षौं धृणि: श्रीं