संसार में परमात्मा का आनंद ही श्रेष्ठ सुख

0
2347
sanatanjan
sanatanjan.com

वैद संदेश
======
परमात्मा सत्य, चित्त और आनन्दस्वरूप होने सहित सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी एवं सर्वशक्तिमान भी हैं।

ईश्वर का वह आनंद स्तुति, प्रार्थना और उपासना से प्राप्त होता है। उपासना की सफलता होने पर ईश्वर का वह आनंद जिस मनुष्य आत्मा में व्याप्त हो जाता है तब उस मनुष्य के मन, बुद्धि आदि मानों हर्ष से नाच उठते हैं।

Advertisment

संसार में परमात्मा का आनंद ही श्रेष्ठ सुख है। इतर सब भौतिक पदार्थ ईश्वर के आनंद से हेय व निम्न स्तर का सुख देने वाले होते हैं।

– प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here