वेदामृत
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प्रभु भक्ति में भक्त को आनंद की अनुभूति, बल प्राप्ति, पवित्रता सहित शुभ कर्मों यथा परोपकार एवं दान आदि की प्रेरणा मिलती है। हमारी आत्मा, हृदय व मन से अंधकार दूर होकर प्रकाश उत्पन्न होता है। प्राणों को उर्ध्वगामी होने की प्रेरणा मिलती हैं। वीरता प्राप्त होती है। ईश्वर की भक्ति से अवर्णनीय लाभ होते हैं। आत्मा का बल इतना बढ़ता हैं कि उसमें पहाड़ के समान मृत्यु आदि दुखों को सहन करने की शक्ति प्राप्त होती है।
अतः हमें वैदिक साहित्य के स्वाध्याय से ईश्वर के सत्यस्वरुप को जानकर अज्ञान व अंधविश्वासों से रहित सत्यविधि से भक्ति करनी चाहिए और भक्ति से होने वाले लाभों को प्राप्त करना चाहिए। इससे हमारा लोक परलोक सुधरेगा व संवरेगा।
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-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य
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