वेद ज्ञान
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परमात्मा अपने उपासक के मन को पवित्र करता है। ईश्वर सर्वदृष्टा है। वह मनुष्य के भीतर काम, क्रोध आदि सब संग्रामकारी सेनाओं सहित मनुष्य की सभी हिंसा वृत्तियों पर आक्रमण कर देता है। ऐसे मेधावी परमेश्वर को उपासक जन ध्यान क्रिया द्वारा अपने हृदय में शोभित व प्रतिष्ठित करते हैं।
ईश्वर के ध्यान व उपासना से मनुष्य के भीतर विद्यमान सब आसुरी सेनाएं पराजित हो जाती हैं और उसका चित्त, मन व हृदय पवित्र हो जाता है।
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पवित्र हृदय से ही मनुष्य पुण्य कर्मों को करता और असत्य कर्मों का त्याग करता है। परलोक में वह उत्तम गति अर्थात् श्रेष्ठ ऐश्वर्वों व सुखों को प्राप्त होता है।
-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य
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