वेद विचार
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ईश्वर गो-रसों के समान मधुर आनंद रसों के समूह का स्वामी है। वेगवान तेजस्वी और रस से आर्द्र करने वाला वह परमात्मा उपासक के अंतःकरण को पवित्र करता है।
शांतिदायक परमात्मा आनंद देने के लिए जीवात्मा में बल को प्रेरित करता है। बल का राजा परमात्मा अपने उपासकों को शुभगुणों का अथवा योग-सिद्धियों का ऐश्वर्य प्रदान करता हुआ पाप-रूप राक्षस को विनष्ट करता है। अदान-भाव को सर्वथा दूर कर देता है।
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अतः हमें प्रभु की शरण में जाकर अपने जीवन की सर्वांगीण उन्नति करनी चाहिए।
-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य
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