पवन मुक्तासन करने की विधि हम आपको बताने जा रहे हैं, सबसे पहले अपने आसन पर शांतिपूर्वक चित्त सीध्ो लेट जाएं और एक पैर के घुटने को मोड़कर पेट की ओर लाएं। फिर अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में बांधकर घुटनों को हाथों से पेट की ओर खूब दबायें। फिर सांस भरकर पड़े हुए पैर को जमीन से थोड़ा सा उठाकर तानने का प्रयास करें और हाथों से दबे हुए पैर को सिर की ओर ताने। थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे वायु को निकालते हुए पुन: शांतिपूर्वक लेट जाएं। यही प्रक्रिया फिर दूसरे पैर के साथ भी करनी चाहिए। इस प्रकार कम से कम तीन बार यह प्रक्रिया कीजिए।
जिन लोगों को शौच साफ न होता हो, उनको चाहिए कि वे प्रात:काल शौच जिह्वा तालु साफ करके चुल्लू से कम से कम एक पाव से आधा लीटर पानी पीएं। पानी पीने से कुछ मिनटों के बाद इस आसन को करें। शीघ्र लाभ के लिए दाये-बाये करवट बदलते रहें।
जानिए, इसके लाभ क्या है?
इस आसन से पेट पर तथा विश्ोषतया निचली आंतों पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पेट में वायु भर कर शरीर को तानने से बड़ी आंतों का मल नीचे सरकने लगता है और शौच साफ होता है। इस आसन के प्रभाव से बड़ी आंत मजबूत हो जाती है। इस आसन को गर्भवती स्त्रियों को नहीं करना चाहिए।
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इसके अतिरिक्त अन्य स्त्रियां इसे करके लाभ प्राप्त कर सकती है। आखिर में एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस आसन को नियमित रूप से करने से पेट की समस्या का स्थायी समाधान निकल जाता है, जिनका उल्लेख पूर्व में किया गया है।
प्रस्तुति
स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर
सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई
नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
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