दीपक क्यों, कैसे और किस दिशा में जलाएँ, मनोवांछित फ़ल पाएँ

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दीपक जलाने से अंधेरे का नाश होता है। विशेष तौर पर हिंदू धर्म दीप प्रज्ज्वलन और दीपदान का विशेष महत्व माना जाता है। दीपदान की महिमा का उल्लेख हमारे धर्मशास्त्रों में विस्तार से किया गया है। वास्तव जो लोग हिंदू धर्म को समझते हैं, वह जानते हैं कि हिंदू धर्म आत्मोत्थान पर बल देता है। आत्म प्रकाश को बढ़ाने पर जोर देता है, आत्म चेतन को जागृत कर परमतत्व में विलीन करने पर बल देता है।

दीपक मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा, पीतल और स्वर्ण धातु के हो सकते हैं, लेकिन मूंग, चावल, गेहूं, उड़द और ज्वार को सामान्य भाग में लेकर इसके आटे का दीपक सर्वश्रेष्ठ होता है। भगवान की पूजा के लिए मिट्टी के दिए सबसे शुभ माने जाते हैं। प्राचीन समय से पीतल धातु को पूजा में रखने के लिए शुभ माना गया है। पूजा में पीतल का दीपक जलाने से आपकी आयु और आय दोनों में वृद्धि होती है। दीपक को समय-समय पर साफ करते रहें। गंदे दीपक में दिया जलाने से आपको पूजा का फल प्राप्‍त नहीं होगा । दीपक जलाना पूजा में विशेष महत्व है, कोई भी पूजा बिना दीपक जलाये अधूरी है । यह बहुत जरुरी भी है, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता की वृद्धि होती है। रोज नियम से इस दीपक जलाने से बहुत ही अच्छे लाभ मिलते है और धन प्राप्ति के नए मार्ग खुलते है। दीपक आपके रुके हुए कार्यों और अधूरी इच्छाओं को किस तरह पूरा कर सकता है।पुराण, ब्रम्हवर्तक पुराण, देवी पुराण, उपनिषदों तथा वेदों में गाय के घी तथा तिल के तेल से ही दीपक जलाने का विधान है, अन्य किसी भी प्रकार के तेल से दीपक जलाना निषेध है। सरसों तेल नाम किसी भी पुराण आदि नही है !शुद्ध घी का दीपक पूजा में अपनी दायीं ओर और तेल का दीपक अपनी बायीं ओर प्रज्वलित करें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार दीपक जलाएं। वस्तुतः भगवान तेल या घी के दीपक से नहीं आपकी श्रद्धा से ही प्रसन्न होते हैं। हम ईश्वर को प्रकाश के रूप में मानते हैं। – अतः दीपक जलाकर उसकी ज्योति के रूप में ईश्वर को स्थापित करते हैं। – दीपक से एकाग्रता और उर्जा दोनों प्राप्त होती है। – अलग अलग मुखी दीपक जलाकर अलग अलग तरह की मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं। – ईश्वर की कृपा के लिए एक मुखी दीपक जलाएं। – कर्ज मुक्ति के लिए नौ मुखी दीपक जलाएं। – स्वस्थ्य और आयु रक्षा के लिए दो मुखी दीपक शुभ होगा। – विरोधियों और शत्रुओं को शांत करने के लिए तीन मुखी दीपक जलाएं। – नौकरी , रोजगार और करियर के लिए हर शनिवार को पीपल के नीचे चार मुखी दीपक जलाएं।

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  •  शास्त्रों में मोमबत्ती का इस्तेमाल वर्जित माना गया है। कहते हैं मोमबत्ती एक ऐसी वस्तु है जो केवल आत्माओं को अपने उजाले से निमंत्रण देती है। इसको जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  • घी को बनाने के लिए ही गाय के दूध की आवश्यकता होती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गाय को मां का स्थान दिया गया है यही कारण है कि उसके द्वारा दिया गया दूध भी अपने आप ही पवित्रता का स्रोत माना गया है। शास्त्रों के अनुसार यह माना गया है कि पूजन में पंचामृत का बहुत महत्व है और घी उन्हीं पंचामृत में से एक माना गया है। इसीलिए उससे बना हुई घी भी सबसे पवित्र माना गया है।
  • घी के अलावा तिल का तेल से दीपक जलाया जाता है। दोनों ही पदार्थों से दीपक को जलाने के बाद वातावरण में सात्विक तरंगों की उत्पत्ति होती है। यदि तेल के इस्तेमाल से दीपक जलाया गया है तो वह अपनी पवित्र तरंगों को अपने स्थान से कम से कम एक मीटर तक फैलाने में सफल होता है।
  • तिल का तेल बाला और घी का दीपक जलाएँ सप्त चक्र जाग्रत करें!
  • वास्तुशास्त्र में दीपक जलाने व उसे रखने के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। तिल – तेल का दीपक मानव शरीर के मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र को एक सीमा तक पवित्र करने का कार्य करता है।
  • दीपक घी का दीपक पूर्ण रूप से सात चक्रों में से मणिपुर तथा अनाहत चक्र को शुद्ध करता है।
  • तिल – तेल का दीपक मानव शरीर के मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र को एक सीमा तक पवित्र करने का कार्य करता है।
  • दीपक घी का दीपक पूर्ण रूप से सात चक्रों में से मणिपुर तथा अनाहत चक्र को शुद्ध करता है।
  • शास्त्रों के अनुसार यदि घी के उपयोग से दीपक जल रहा हो तो उसकी पवित्रता स्वर्ग लोक तक पहुंचने में सक्षम होती है। यदि तिल का तेल के उपयोग से दीपक जलाया जाए तो उससे उत्पन्न होने वाली तरंगे दीपक के बुझने के आधे घंटे बाद तक वातावरण को पवित्र बनाए रखती हैं। घी वाला दीपक बुझने के बाद भी करीब चार घंटे से भी ज्यादा समय तक अपनी सात्विक ऊर्जा को बनाए रखता है।
  • हमारे शरीर में सात चक्रों का समावेश होता है जो शरीर में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा को उत्पन्न करने का कार्य करते है तथा मनुष्य के तन, मन एवं मस्तिष्क को नियंत्रित करते हैं।
  • यदि तिल का तेल से दीपक जलाया जाए तो यह मानव शरीर के मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र को एक सीमा तक पवित्र करने का कार्य करता है। लेकिन यदि दीपक घी के इस्तेमाल से जलाया जाए तो यह पूर्ण रूप से सात चक्रों में से मणिपुर तथा अनाहत चक्र को शुद्ध करता है।
  • इन सात चक्रों के अलावा मनुष्य के शरीर में तीन प्रमुख नाड़ियां भी है – चंद्र नाड़ी, सूर्य नाड़ी तथा सुषुम्ना नाड़ी। शरीर में चंद्र नाड़ी से ऊर्जा प्राप्त होने पर मनुष्य तन एवं मन की शांति को महसूस करता है। सूर्य नाड़ी उसे ऊर्जा देती है तथा सुषुम्ना नाड़ी से मनुष्य अध्यात्म को हासिल करता है।
  • तिल के तेल के उपयोग बाला दीपक केवल सूर्य नाड़ी को जागृत करता है। लेकिन घी से जलाया हुआ दीपक शरीर की तीनों प्रमुख नाड़ियों को जागृत करता है।
  • किसी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाते समय इस मंत्र का जप करने से शीघ्र ही सफलता मिलती है- दीपज्योति: परब्रह्म:! दीपज्योति: जनार्दन:! दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते…! शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां! शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति…!
  •  दिए में मौली की बाती लक्ष्‍मी के आने का मार्ग प्रशस्‍त करती है । ये बाती प्रकाश के साथ आपके जीवन में सारी खुशियों को ले आएगी, समृद्धि के नए द्वार खोलेगी। परन्तु ध्यान रखें कि भगवान आपके मंदिर का वैभव नहीं देखते वो देखते हैं कि आप उनकी सच्‍चे मन से प्रार्थना कर रहे हैं कि नहीं ।
  • दीपक की लौ सिर्फ रोशनी की प्रतीक नहीं है बल्कि वह अज्ञानता के अंधकार को हटाकर ज्ञान के प्रकाश से जीवन को रोशन करने की प्रतीक है। पूर्व दिशा में यदि दीपक की लौ रखें तो इससे आयु में वृद्धि होती है।
  • उत्तर दिशा में दिये की लौ रखना धन वृद्धि के लिये लाभकारी माना जाता है। दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धनलाभ होता है।
  • यदि आप अपने व्यवसाय में लाभ, वेतन में वृद्धि आदि धन लाभ की मनोकामना के लिये दीपक जला रहे हैं तो ध्यान रहे इसकी लौ उत्तर दिशा हो।
  • दीपक सिर्फ दिवाली पर ही नहीं जलाये जाते बल्कि पूजा अर्चना सहित हर मांगलिक कार्यक्रम में दीपक जलाया जाता है।
  • कोई भी पूजा बिना दीपक जलाये अधूरी ही होती है । यह बहुत जरुरी भी है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए। हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए त्रिकोने दीपक का प्रयोग करें। किसी-किसी साधना में अखंड जोत जलाने का भी विशेष विधान है जिसे शुद्ध गाय के घी और तिल के तेल के साथ भी जलाएं। भगवान सूर्य की प्रसन्नता और कृपा के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि तिल के तेल का दीपक जलाने से प्रसन्न होते हैं। पति की आयु के लिए महुए का तेल और राहू-केतु ग्रह की शांति के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

शिक्षा में बरक्कत व जन्म-कुंडली-दोषों हेतु गाय के घी वाला दीपक जलाएं!

  • किसी भी देवी या देवता की पूजा में शुद्ध गाय का घी या एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से प्रज्वलित करना चाहिए। विशेष रूप से भगवती जगदम्बा, दुर्गा देवी की आराधना के समय दोमुख घी वाला दीपक माता सरस्वती की आराधना के समय और शिक्षा प्राप्ति के लिए जलाना चाहिए।
  • जन्म-कुंडली के अनुसार दोषों को दूर करने के लिए अनेक उपायों में से एक होता है घी द्वारा जलाया हुआ दीपक।

पूजा आदि सभी अनुष्ठानों में सर्वश्रेष्ठ गाय के घी वाला दीपक…?

  • गाय के घी में रोगाणुओं को भगाने की क्षमता होती है। यह घी जब दीपक की सहायता से अग्नि के संपर्क में आता है तो वातावरण को पवित्र बना देता है। इसके जरिये प्रदूषण दूर होता है। इसी तरह के गुण तिल के तेल में भी पाये जाते हैं,यह भी आक्सीजन की वृद्धि करता है, माना जाता है कि दीपक जलाने से पूरे घर को फायदा मिलता है। चाहे उस घर का कोई व्यक्ति पूजा में सम्मिलित हो या ना हो, उसे भी इस ऊर्जा का लाभ प्राप्त होता है!

दीपक में कितनी बाती हों?

  • घर में घी का दीपक जलाने से वास्तुदोष भी दूर होते हैं। क्योंकि यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा को लाने की काम करता है।
  • ज्योतिष के अनुसार दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है। पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई घंटों तक दीपक जलते रहना शुभ माना जाता है।
  • दीपक में कितनी बाती हों? *गणेश- ३, *लक्ष्मी- ७, *सरस्वती- २, *दुर्गा- १, *शिव- ८ या १२, *हनुमान- ८, *विष्णु-१६।  *पूजा की थाली या आरती के समय एक साथ कई प्रकार के दीपक जलाये जा सकते हैं। संकल्प लेकर किया गये अनुष्ठान या साधना में अखण्ड ज्योति जलाने का प्रावधान है।

दीपक जलाएँ, परन्तु ये साबधानियाँ सदैव ध्यान रहें

  •  दीपक स्वयं से कभी ना बुझाएं। अन्धकार का नाश कर प्रकाश लाने वाले दीपक को कभी भी स्वयं से नहीं बुझाना चाहिए तथा जलते हुए दीपक से कभी अगरबत्ती या धूपबत्ती नहीं जलानी चाहिए।
  • खंडित मूर्तियों की ही तरह खंडित दीपक आपकी पूजा को पूर्ण नहीं करता है। पूजा करते समय अक्सर लोग इस बात का ध्यान नहीं देते हैं कि वो जिस दीपक का प्रयोग कर रहे हैं वो टूटा तो नहीं है। पूजा से पहले दीपक जरा भी टूट जाए या फिर खंडित हो जाए तो उसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से पूजा का फल आपको नहीं मिल पाता है। इस गलती से हमेशा बचें।

दीपक जलाएँ, परन्तु ये साबधानियाँ सदैव ध्यान रहें

  •  बिना नहाये की हुई पूजा नहीं होती स्वीकार:- शास्त्रों में कहा गया है, जो लोग बिना नहाये भगवान को भोग लगते हैं, या पुष्प तोड़कर उन्हें अर्पित करते हैं उनकी पूजा भगवान स्वीकार नहीं करते। मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति कि पूजा देवता ग्रहण ही नहीं करते और उसे पूजा का कोई फल प्राप्त नहीं होता । ऐसा करना पाप की श्रेणी में आता है। ईश्वर को नहा-धोकर शुद्ध-स्वच्छ-पवित्र होकर ही कुछ भी अर्पित करना चाहिए।

दीपक जलाएँ, परन्तु ये साबधानियाँ सदैव ध्यान रहें

  •  वस्तुतः, आध्यात्मिक पहलू से दीपक ही मनुष्य को अंधकार के जंजाल से उजाले की किरण की ओर ले जाता है। हमारे जीवन की नकारात्मकता का नाश कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। किसी भी तरह की पूजा करने से पहले पंचदेवों का ध्यान करना ज़रूरी बताया गया है । शास्त्रों में सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और हरी विष्णु को पांच देव कहा गया है. । इन देवों का ध्यान कर ही कोई भी पूजा शुरू करनी चाहिए । शुभ कार्यों में पांच देवों का ध्यान ना करने से व्यवधान उत्पन्न हो सकते है । भगवान को धन्यवाद कहने का ये एक तरीका है ।

दीपक जलाएँ, परन्तु ये साबधानियाँ सदैव ध्यान रहें

  •  जब भी आप पूजा करें अंत में कुछ काम जरूर करें । दीपक की अग्नि से कपूर जलाकर पूरे घर में घुमाएं । साथ ही पूजा में यदि आप आचमन रखते हैं तो उसका जल पूरे घर में छिड़कें । इस प्रकार से आपको और आपके पूरे परिवार को पूजा का फल मिलता है । पूजा कभी भी खाली ना करें, भगवान को भोग जरूर लगाएं । पूजा की समाप्ति पर भोग प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें । असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमया। मृत्योर्मामृतं गमय॥ ॐ शांति शांति शांति (स्रो: बृहदारण्यक उपनिषद् 1.3.28)। अर्थात “अंधकार से उजाले की ओर प्रस्थान करना।”

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