बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के कुछ उपाय हम आपको बताने जा रहे हैं, इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं। इन्हें अपना कर आप अपना जीवन सुखमय बना सकते है। इन उपायों का अपनाकर आप बृहस्पति देव को प्रसन्न कर सकते हैं।
1- बृहस्पति देव सत्यनारायण भगवान के पूजन-अर्चन से प्रसन्न होते है। यदि मासिक रूप से सत्यनारायण व्रत कथा की जाए तो इससे बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा गुरुवार और एकादशी का व्रत करना चाहिए।
2- बृहस्पति देव की शांति के लिए तेरह या इक्कीस सप्ताह तक गुरुवार का व्रत करना चाहिए।
3- चमेली के नौ पुष्प लेकर बहते पानी में प्रवाहित करने चाहिए।
4- स्वर्ण जल से स्नान करें और स्वर्ण जल का पान करना चाहिए। यहां स्पष्ट करना आवश्यक है कि आखिर स्वर्ण जल क्या है? स्वर्ण जल अर्थात जिसमें स्वर्ण डुबाया गया हो।
5- ब्राह्मण, कुल पुरोहित की सेवा करें।
6- बृहस्पति यदि उच्च का हो तो बृहस्पति की चीजों को दान न देना और बृहस्पति यदि नीच का हो तो बृहस्पति की चीजों का दान न लेना।
7- गेंदा या सूरजमुखी आदि पीले फूल लगाएं।
8- गरुण पुराण का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए, इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं।
9-फलदार वृक्ष लगाने, ब्रह्मण व देवता का सम्मान करने, सद आचरण करने और फल विश्ोषकर केला, नारंगी आदि पीले फल का दान करने बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है।
1०- गुरु महाविष्णु का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए पुरुष सूक्त का जप और हवन या सुदर्शन होम भी कल्याणकारी होता है। इससे गुरु देव प्रसन्न होते हैं।
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11- मिथुन या कन्या लग्न में बृहस्पति छह, आठ या 12 वें स्थान में हो तो बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शुद्ध सोने के टुकड़े या पुखराज रत्न बराबर वजन के लें। विवाह के समय एक टुकड़ा संकल्पपूर्वक नदी में बहा दें और दूसरा टुकड़ा अपने पास रख्ों। जब तक दूसरा टुकड़ा जातक के पास रहेगा। तब तक उसको बृहस्पति का कुप्रभाव नहीं पड़ेगा। वैवााहिक जीवन सुखमय होगा।
12- दत्तात्रेय भगवान की विधिविधान से पूजन किया जाए, इससे भी बृहस्पति देव को प्रसन्नता होती है।
13- किसी सौभाग्यवती स्त्री को पीले वस्त्रों का दान किया जाना चाहिए। इससे गुरु की कृपा प्राप्त होती है।
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14- पीले कनेर के पुष्प गुरु प्रतिमा पर चढ़ायें तो उनकी कृपा प्राप्त होगी।
15- राहु, मंगल आदि क्रूर व पाप ग्रहों से दूषित गुरुकृत संतान बाधा योग में शतचंडी या फिर हरिवंश पुराण और संतान गोपाल यंत्र का अनुष्ठान करना श्रेयस्कर होता है।
16- हर दिन स्नान के पश्चात नाभि पर केसर का तिलक लगाएं।
17- वैदिक या फिर तांत्रिक गुरु मंत्र का जप और, कवच व स्तोत्र पाठ या फिर भगवान दत्तात्रेय के तांत्रिक मंत्र का अनुष्ठान करना श्रेयस्कर होता है। इससे देवों के गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है।
18- बृहस्पतिवार का व्रत पांच, 11 या फिर 43 सप्ताह तक लगातार करना चाहिए।
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19- चांदी की कटोरी में केसर या हल्दी का तिलक करना चाहिए।
2०- पंचम भाव स्थित शनि, गुरु के अनिष्ट के शमन के लिए चालीस दिन तक वट वृक्ष की 1०8 प्रदक्षिणा करना श्रेयस्कर होता है। इससे बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है।
21- गुरु के कारण उत्पन्न समस्त अनिष्टों के शमन के लिए रुद्राष्टाध्यायी एवं शिव सहस्त्रनाम का पाठ या नित्य रुद्राभिष्ोक करना श्रेष्ठ उपाय माना जाता है।
22- पीला पुखराज पहनने से भी बृहस्पति शांति होती है। पुखराज यदि न हो तो हल्दी की गांठ, पीले रंग के धागे में बांध कर दायी भुजा में धारण करें।
23- शुद्ध सोना धारण करना चाहिए। एक बात को ध्यान रख्ों कि बृहस्पति के षष्ठ भावस्थ को छोड़कर।
24- हरि पूजन करे या फिर पीपल का पालन करना चाहिए।
25- प्रतिदिन गुरुलीलामृत पाठ करें या फिर श्रवण करना चाहिए।
26- बृहस्पति को प्रभावी व बलवान बनाने और धन प्राप्ति के लिए पुखराज युक्त गुरुयंत्र सोने में लॉकेट की तरह अपने गले में पहनना चाहिए
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