नाड़ियों में दूषित रक्त जो जमा होता रहता है, वह इस आसन को करने से दूर होता है। दूषित रक्त को शुद्ध करने के लिए यह आसन बेहद प्रभावी माना जाता है। इसे हलासन और सर्वांगसन के नाम से जाना जाता है।
जानिए, हलसन या सर्वांगसन करने की विधि –
भूमि पर सीधे लेट जाइये। अपने दोनों पैरों को उठाकर सिर के पीछे भूमि पर लगायें। इस प्रक्रिया के दौरान केवल पैरों के पंजे को भूमि को छूते रहे। बाकि भाग बिल्कुल सीधा रखें। घुटना झुकने न पायें। हाथ पीठ की ओर भूमि पर सीधे रहने चाहिए। पीठ को रोकने के लिए हाथों की सहायता ले सकते हैं।
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हलसन के लाभ –
- इस आसन से जठराग्नि प्रदीप्ति होती है। रक्त बहने वाली नाड़ियों में दूषित रक्त जमा होता है। वह इस आसन को करने से दूर हो जाता है।
- यह आसन रक्त प्रवाह के अवरोधों को दूर करता है। रक्त को शुद्ध करता है, जो कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- दूषित रक्त होने से शरीर में विभिन्न विकार उत्पन्न होते हैं, लेकिन इस आसन से दूषित रक्त की समस्या से निजात मिल जाती है, यह आसन इस समस्या के लिए बेहद प्रभावी उपाय है।
- इसे नियमित रूप से करने बहुत लाभ होता है, लेकिन गर्भवती स्त्रियों को इस आसन को नहीं करना चाहिए। वैसे तो कोई भी आसन यदि नियमित रूप से किया जाये तो ही पूर्ण लाभ मिलता है, इसलिए आसन नियमित रूप से करना ही श्रेयस्कर माना जाता है, तभी आप स्वस्थ्य रह सकते हैं।
प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)
नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
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