उत्तानपादासन यानी सर्वांगासन के नियमित रूप से करने से मोटापा कम होता है। यह मोटापा कम करने में प्रभावी उपाय माना जाता है। यदि इस आसन को नियमित रूप से किया जाए तो इसका लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। उत्तानपादासन करने से आंतों को भी बहुत लाभ पहुंचता है,जो कि शरीर के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि जितनी मंद गति से इस आसन को किया जाएगा, उतना ही अधिक लाभ प्राप्त होता है।
उत्तानपादासन यानी सर्वांगासन करने की विधि
भूमि पर लेटकर स्नायु यानी अंगों ढीला छोड़ दें और बहुत धीरे-धीरे अपने पैरों उपर की ओर उठायें। जितनी अधिक मंद गति से पैरों को ऊपर उठायेंगे, उतना ही अधिक बल पैरों के स्नायुओं और आंखों पर पड़ेगा।
यूं तो पैरों को एकदम से ऊपर ले जाना बहुत ही सरल है, लेकिन मंद गति से ले जाने में बहुत परिश्रम होता है। ऐसे करने पर आसन से ही अधिक लाभ भी प्राप्त होता है। जब पैर भूमि से एक फिट की ऊंचाई तक पहुंच जाएं तो पैरों को रोक दें। जितनी अधिक देर तक रोक सकें, उतनी देर तक रोके रहें। जब अधिक कष्ट प्रतीत होने लगे तो मंदगति से पैरों को नीचे की ओर उतारें। एकदम जल्दी से पैर न नीचे लगाए।
उत्तानपादासन यानी सर्वांगासन के लाभ
इस आसन को करने से आंतों को शुद्ध करने में बहुत सहायता मिलती है। पेट की स्थूलता यानी मोटापन कम हो जाता है। एक पैर को नीचे रखकर दूसरे पैर को ऊपर उठाने से अर्द्ध उत्तानपादासन होता है। इस आसन को स्त्रियां भी कर सकती हैं।
प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)
नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।