संक्रांति व्रत से होगा कल्याण

0
700

जिस समय सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, उस समय को संक्रांति कहते हैं। किसी भी संक्रांति का जिस दिन संक्रमण हो, उस दिन प्रात: काल स्नान से निवृत्त होकर चौकी पर शुद्ध वस्त्र बिछाकर अक्षतों से अष्टदल कमल बनाकर, उसमें सूर्य नारायण की मूॢत स्थापित करके उनका स्नान, गंध, पुष्प व नैवेद्य से विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।

ऐसा करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है, किसी महीने की कोई संक्रांति यदि शुक्ल पक्ष की सप्तमी और रविवार को हो तो उसे महाजया संक्रांति कहते हैं। उस दिन उपवास, जप, तप, देव पूजा, पितृ तर्पण व ब्राह्मणों को भोजन कराने से अश्वमेघ के समान फल मिलता है, व्रती को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

Advertisment

-भृगु नागर

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here