आंत के विकार गर्भासन से दूर होते हैं। कम होता है मोटापा।
गर्भासन की विधि-
पद्मासन लगाकर दोनों घुटनों और जंघाओं के बीच से दोनों हाथ बाहर निकाले। पुन: दोनों कानों को पकड़े। इस आसन का समय एक से तीन मिनट होना चाहिए।
गर्भासन के लाभ-
आंतों के विकार और पेट की वृद्धि दोष दूर होते हैं और भूख भी बढ़ती है। यह आसन स्त्रियों के लिए वर्जित है। पेट की वृद्धि को रोकने और कम करने में यह आसन बेहद प्रभावी माना जाता है।
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विश्ोष तौर यह पेट के लिए बेहद प्रभावशाली आसन माना जाता है।
चूंकि पद्मासन आसन के अपने अलग फायदे होते है, इसे करने से पद्मासन भी हो जाता है। इस आसन के लिए पद्मासन की क्रिया जाननी जरूरी है, इसलिए हम पद्मासन का लिंक भी इसी लेख के साथ दे रहे है, जिसे करने की प्रक्रिया आपस जान सकते है, ताकि आप इस गर्भासन को कर सकें। महिलाओं को यह आसन वर्जित है, इसलिए महिलाएं इस आसन को कदापि न करें। यह हितकारी होगा।
प्रस्तुति – स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर (सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई)
नोट: स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।