शास्त्रों में अनामिका अंगुली को अत्यधिक पावन माना गया है। अनामिका अंगुली का किन-किन धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है, इसके बारे में हम आपको आज संक्ष्ोप में बताने जा रहे हैं। महामृत्युंजय जप में भी अनामिका अंगुली का विश्ोष महत्व हमेशा से रहा है। माना यह भी जाता है कि अनामिका अंगुली में सोने की अंगूठी पहनने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। माना यह भी जाना जाता है कि अनामिका यानी रिग फिगर बुनियादी मानव ऊर्ज़ा प्रणाली तक पहुँच बनाने की चाबी है, और साथ ही पूरे ब्रह्मांड तक पहुँच बनाने की चाबी भी है।
अनामिका अंगुली पर स्वयं भगवान शंकर का वास माना जाता है। यही कारण है कि भगवान शिव और उनके परिवार के सदस्यों से सम्बन्धित मंत्रों का जाप भी रुद्राक्ष की माला पर किया जाता है। महामृत्युंजय और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप सिर्फ रुद्राक्ष की माला पर किया जाना चाहिए।
धार्मिक कार्यों में अनामिका अंगुली में कुशा से बनी पवित्री धारण करने का विधान
पूजा अनुष्ठान आदि धार्मिक कार्यों में अनामिका अंगुली में कुशा से बनी पवित्री धारण करने का विधान है।
- अनामिका अंगुली मान, अभिमान रहित और यश और कीर्ति की सूचक है।
- अनामिका अंगुली का उपयोग सर्वथा वैदिक पूजन के समय किया जाता है क्योंकि यह उंगली सूर्य का प्रतीक भी है। अनामिका अंगुली से ही देवगणों को गंध और अक्षत अर्पित किया जाता है।
- बता दें कि तीसरी अंगुली अर्थात मध्यमा और कनिष्ठिका के बीच की अंगुली को अनामिका कहते हैं।
- अनामिका अंगुली सीधे हृदय से जुड़े होने के कारण पश्चिमी सभ्यता में भी अनामिका उंगली को रिंग फिंगर कहा गया है, जिस उंगली में अंगूठी पहनना सर्वथा मान्य माना गया है।
- ज्योतिषीय दृष्टि से इस अंगुली पर बने चक्र से व्यक्ति चक्रवर्ती बनता है।
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