चिंतपूर्णी देवी सिद्धपीठ: हरती हैं चिंताएं

0
668

उत्तर भारत की नौ देवियां: चिंतपूर्णी देवी – पीठ

हिमाचल प्रदेश में ऊना जिले के भरवाई गाँव में चिंतपूर्णी मां का दिव्य मंदिर अवस्थित है। इसे छिन्नमस्तिका का स्थान भी माना जाता है। ये देवी सभी चिंताओं को दूर करने वाली मानी जाती हैं, अत : इन्हें चिंतपूर्णी देवी का नाम दिया गया है। यह भी माना जाता है कि सती के चरणों का कुछ भाग यहां गिरा था, पर शक्तिपीठ की मान्यता इसकी नहीं है। फिर भी, सिद्धपीठ तो यह मानी ही जाती हैं। चिंतपूर्णी माता के दर्शन करने से मानव पूर्णतया चिंताओं से मुक्त हो जाता है।एक मतानुसार मां चिंतपूर्णी माता ज्वालामुखी का ही एक रूप हैं। उसकी पवित्र ज्वालाओं का स्पर्श करवा कर पिंडी को किसी भक्त के द्वारा यहां स्थापित कर दिया गया है। ज्वालामुखी का एक नाम चिंता भी है, अत : इस आधार पर चिंतापूर्णी नाम भी उचित ठहरता है।

चिंतपूर्णी देवी – पीठ मंदिर उल्लेख 

मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और अनेक सीढ़ियां चढ़कर यात्री यहां पहुंचते हैं। मार्ग के मध्य में एक सुंदर द्वार पड़ता है, जहां मंदिर का नाम लिखा है। उससे अंदर जाने पर मां का भव्य मंदिर अवस्थित है। मंदिर के ऊपर एक बड़ा तथा अनेक छोटे शिखर हैं। माता के मंदिर के ऊपर एक छोटा स्वर्ण का बना कमलनुमा सुंदर शिखर है। इसके ऊपर छत पर एक शिखर कमलपुष्प आकृति का है। इसी के साथ विकृत मानव के रूप की दो काली लाल आकृतियां छत पर स्थित हैं, जो चिंताओं का रूप प्रदर्शित करती हैं, जिनका निवारण मां के दरबार में होता है। मां की मूल पिंडी अत्यधिक छोटी है और भक्तों को उन्हें बड़े ध्यान से देखना पड़ता है। पिंडी के चारों ओर चार स्तंभ वाला छोटा मंदिर है, जिसका आधा ऊपरी भाग स्वर्ण पालिश युक्त है और अति सुंदर दिखलाई पड़ता है।

Advertisment

यहाँ के अन्य दर्शनीय स्थल

  • वटवृक्ष : मां का मंदिर प्राचीन वटवृक्ष के नीचे ही स्थित है। भक्तगण अपनी मान्यता पूर्ति हेतु इस वटवृक्ष पर कलावा या मौली बांध जाते हैं, जो पूर्ण होने पर खोल दी जाती है।
  • चिंतपूर्णी सरोवर : भगवती ने भक्त माईदास जी को प्रत्यक्ष दर्शन देकर उनकी चिंता का निवारण किया और कहा- तुम नीचे जाकर जिस पत्थर को उखाड़ोगे वहां से जल निकल आएगा और ऐसा ही हुआ। उस स्थान पर एक सरोवर बन गया, जिसका विस्तार आदि राजा के दीवान ने करवाया। इसमें स्नान करने से समस्त व्याधियों का नाश हो जाता है।
  • ऐतिहासिक पत्थर : जिस पत्थर को उठाने पर जल निकला था, वह आज भी माता के दरबार में दर्शन हेतु रखा है।

यात्रा मार्ग 

यह स्थान सड़क मार्ग से हिमाचल के अनेक नगरों से सीधा जुड़ा है। यात्री ऊना से ही टैक्सी या बस द्वारा सभी स्थानों के दर्शन हेतु एक करार कर लेते हैं और वाहन द्वारा चिंतपूर्णी, ज्वाला देवी, ब्रजेश्वरी देवी और चामुंडा देवी को देखते हुए वापस पहुंच जाते हैं। ठहरने की उत्तम व्यवस्था हर देवी के स्थान पर उपलब्ध है।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here