शाकुंभरी देवी पीठ: सभी मनोकमनाएं पूर्ण करने वाली देवी माँ

0
859

shaakumbharee devee peeth: sabhee manokamanaen poorn karane vaalee devee maan  शाकुंभरी देवी पीठ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर नगर से यह पीठ पच्चीस किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर अवस्थित है। सिद्धपीठ की मान्यता यहां की है ही। हांलाकि एक मान्यता के अनुसार, इनकी गणना शक्तिपीठ में की भी जाती है, क्योंकि सती का शीश यहां गिरा था। सिद्धपीठ के अनुसार इनकी बहुत मान्यता है। श्रद्धाभाव से पूजन- अर्चन सभी मनोकमनाएं पूर्ण होती हैं। दुर्गा शप्तशती में देवी का उल्लेख भी है। मंदिर प्रांगण में पहुंचने हेतु यात्रियों को लगभग 100 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है। मंदिर भव्य तथा अनेक शिखर युक्त है। मंदिर में प्रतिमा के दाईं ओर भीमा एवं भ्रामरी तथा बाईं ओर शीताक्षी देवी प्रतिष्ठित हैं। मंदिर के बड़े प्रांगण में अनेक देवी – देवताओं के छोटे – बड़े मंदिर अवस्थित हैं।

उत्तर भारत की नौ देवियां:शाकुंभरी देवी पीठ की कथा 

Advertisment

एक समय में पराक्रमी गुरु दुर्जन ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था कि कोई देवता उसे हरा न पाए। इसके पश्चात् वह अनेक उपद्रव करने लगा और उसने इंद्र को परास्त कर कैद कर लिया। इंद्र के अधीन होने से लगभग 100 वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, अतः किसी भी प्राणी को जल प्राप्त नहीं हो सका। देवतागण व्यथित होकर महादेवी के शरण में जाकर उस दुष्ट से मुक्ति दिलाने हेतु प्रार्थना करने लगे। देवगणों व प्रजा को दुखी देखकर महादेवी की आंखों से दया के आंसुओं की हजारों जलधाराएं प्रवाहित होने लगी, जिससे पृथ्वी के वृक्षों, नदी – तालाबों आदि को प्रचुर जल प्राप्त हो गया और प्रजा के कष्ट दूर हो गए। जब समस्त पृथ्वी पर वर्षा नहीं हुई थी तो उस समय शीताक्षी देवी ( शाकुंभरी का दूसरा नाम ) ने अपने शरीर पर उत्पन्न शाक ( साग – सब्जी ) उगाकर संसार का पालन किया। इसी कारण इन्हें शीताक्षी देवी कहा गया। देवताओं ने देवी से चारों वेदों को प्राप्त करने हेतु प्रार्थना की तो देवी ने उस दुर्जन का वध करके देवताओं को वे वेद उपलब्ध कराए। वध करने से इनका नाम दुर्गा पड़ा, अत : इन्हें शीताक्षी, शाकुंभरी व दुर्गा के नाम से जाना जाता है।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here