मुक्तेश्वरी सिद्धपीठ ( कानपुर ): बड़ी महिमा है माँ की

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मुक्तेश्वरी सिद्धपीठ ( कानपुर ):

mukteshvaree siddhapeeth ( kaanapur ): badee mahima hai maan keeपूर्व काल में मुक्तेश्वरी मंदिर की वजह से मुक्तानगर था। किवंदंती के अनुसार, असुरराज ने दूसरे राज्य पर अधिपत्य करने के बाद यहां 99 यज्ञ किये थे। एक अश्वमेघ यज्ञ भी किया था। मुक्तेश्वरी मां दिन में तीन बार अपने रूप बदलती हैं। वर्तमान में कानपुर के पास एक तहसील अकबरपुर है और इसी स्थल से 34 किलोमीटर दूर एक मूसानगर कस्बा है, जहां मां मुकुटेश्वरी का मंदिर है, जो कालांतर में मुक्तेश्वरी कहलाई। जनश्रुति के अनुसार मूसानगर दैत्यराज बलि ने बसाया था और नाम दिया था और मुक्तिनगर और इसी नगर में सती के मुकुट का निपात हुआ था, अतः इसे मुकतेश्वरी नाम दिया गया। मुक्तेश्वरी मंदिर हालाँकि शक्तिपीठ में शामिल नहीं है , लेकिन सिद्धपीठ के रूप में बहुत मान्यता है।

इस मंदिर की आयु 5000 वर्ष प्राचीन मानी गई है। मंदिर के पास ही दतिया व टीकमगढ़ के राज घराने के दो प्राचीन भवन भी बने हैं। मान्यता है कि सिद्धपीठ माता मुक्तेश्वरी में मांगी गई मुराद पूरी होती है। यहाँ बीहड़ पट्टी के इस मंदिर से गुजराती यमुना नदी उत्तर्गामिनी हो कर बहती है, इसलिए भी यहाँ का विशेष महत्त्व है, यहाँ ध्यान स्नान पूजन का विशेष महत्त्व है ।  सिद्धपीठ मां मुक्तेश्वरी मंदिर में पहुंचकर मां के दर्शन कर दीपक जलाये।

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