आइये, अब हम आपको मंत्र जप के लिए उचित आसन के बारे में संक्ष्ोप में बताने जा रहे है, हमे विश्वास है कि इससे आप निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे और इनका उपयोग करके जीवन को सफल बनायेंगे।
जानिए, मंत्र जप करने के लिए आसन कैसा हो। जानिए इसके बारे में, ताकि आप इनका सदपुयोग कर सकें –
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कुशा का आसन-
1- दृढ़ इच्छा शक्ति प्रबल होती है।
2- मंत्र सिद्धि और सफलता के लिए कुशासन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
3- अन्त:करण शुद्ध होता है।
4- कुशासन पर बैठकर मंत्र जप करने से दूषित प्रभावों भूत-प्रेत बाधाएं दूर होती है।
कम्बन का आसन-
कम्बल के आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से कर्म सिद्धि की लालसा पूर्ण होती है।
व्याघ्र चर्म का आसन-
राजसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए व्याघ्र चर्म का आसन सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
रेशमी या ऊनी आसन-
रेशमी अथवा ऊनी आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से शारीरिक विद्युत शक्ति पृथ्वी में प्रवेश न करके सुरक्षित रहती है। आध्यामिक दृष्टि से ऊनी आसन विश्ोष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है।
मृग चर्म का आसन-
धन प्राप्ति के लिए अथवा मोक्ष प्राप्ति के लिए मृग चर्म के आसन पर बैठकर मंत्र जप करना श्रेष्ठ माना गया है।
लकड़ी का आसन-
लकड़ी के आसन पर बैठकर मंत्र जप नहीं करना चाहिये। लकड़ी के आसन पर बैठकर जप करने से मंत्र जप का फल दानवों को प्राप्त होता है।
त्याग करने योग्य आसन-
1- सामान्य वस्त्र या कुर्सी का प्रयोग मंत्र जप के लिए निंदित माना गया है।
ं2- पत्थर के आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से रोग व्याधि का आगमन होता है।
3- भूमि पर बैठकर मंत्र जप करने से जप करने वाला व्यक्ति दुखी रहता है। उसके मंत्र जप का आधा भाग धरती को प्राप्त होता है।
4- बांस के बने आसन पर बैठकर जप करने से दरिद्रता आती है।
5- घुनी हुई लकड़ी का आसन दुभाग्यकारी होता है।
6- पत्तों का आसन विध्नकारक होता है।
7- तिनकों का आसन धन हानि कराता है।
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