मंत्र जप माला विधान व वर्जनाएं

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मंत्र जप माला आरम्भ करने से पहले कुछ आवश्यक निर्देश बता देना जरूरी समझते हैं। जिससे मंत्र जप में कोई त्रुटि न हो और आपको मंत्र जप का पूरा लाभ प्राप्त हो सके।


1- मंत्र जप करते समय एक माला पूर्ण हो जाने पर सुमेरु तक पहुंच कर वहीं से फिर विपरीत दिशा में में जप आरम्भ करना चाहिए। कहने का आशय यह है कि सुमेरु को पार न करें। इसी में आपका कल्याण है।
2- जप करते समय दाहिने हाथ के अंगूठे और मध्यमा अंगुली को माला फेरने के लिए उपयोग करें। कनिष्ठिका यानी छोटी अंगुली और तर्जनी यानी अंगूठे के पास वाली अंगुली का स्पर्श माला से न करें।
3- टृटे-फूटे दानों वाली माला का प्रयोग न करें।
4- मंत्र जप करते समय भूल से भी किसी दुश्मन का बुरा न सोचें।
5- मंत्र माला जप करते समय कमर सीधी रख्ों।
6- आंखें मूंदकर मंत्र जप करना उत्तम होता है। आंख्ों मूंदने से मन नहीं भटकता है।
7- मंत्र जप करते समय ईष्ट देव की मूर्ति या चित्र को अपने सम्मुख रखिये।
8- सात्विक भोजन करें। हल्का व सुपाच्य भोजन ही श्रेयस्कर होता है।
9- स्नान आदि से निवृत्त होकर पूर्ण स्वच्छता से पूर्वाभिमुखी या उत्तराभिमुखी होकर मंत्र जप करें। पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके मंत्र जप न करें।
10- माला के मनकों की संख्या कम से कम 27 या 1०8 होनी चाहिए। हर मनके के बाद एक गांठ जरूर लगी होनी चाहिए।
11- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए।

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12- मंत्र जप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए कि माला से किया गया मंत्र जप सफल हो जाए।
13- माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए। दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
14- जिस माला से मंत्र जाप करते हैं, उसे धारण कतई भी नहीं करना चाहिए।

किस सिद्धि के लिए किस माला का प्रयोग करें-

1- धन प्राप्ति के लिए मूंगा की माला का प्रयोग करें।
2- सन्तान प्राप्ति के लिए पुत्रजीवा की माला का प्रयोग करें।
3- भ्ौरव सिद्धि के लिए स्फटिक या मूंगा की माला का प्रयोग करें।
4-पाप नाश के लिए कुशा की जड़ की माला का प्रयोग करें।
5- शत्रुनाश के लिए कमल के गट्टे की माला का प्रयोग करें।
6- अभीष्ट सिद्धि के लिए चांदी की माला का प्रयोग करें।
8- वैष्णवी मंत्र साधना के लिए तुलसी की माला का प्रयोग करें।
9- श्री दुर्गा के मंत्र जप के लिए लाल चंदन की बनी माला श्रेष्ठ मानी जाती है।
1०- गण्ोश मंत्र जप साधना के लिए हाथी दांत की बनी माला श्रेष्ठ मानी जाती है।

माला के प्रयोग के लाभ व सावधानियां-

रुद्राक्ष की माला-

सामान्य तौर पर किसी भी मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं। शिव जी और उनके परिवार के सदस्यों के मंत्र जप में रुद्राक्ष पर विशेष लाभकारी होते हैं। महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही प्रयोग करना चाहिए। यही उत्तम होता है।

स्फटिक की माला-

यह माला एकाग्रता, सम्पन्नता और शान्ति की माला मानी जाती है। माता सरस्वती और माता लक्ष्मी के मंत्र इस माला से जपना सर्वोत्तम होता है। धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करना भी अच्छा होता है। स्फटिक की माला मन में शांति की भावना उपजाती है। मन की चंचलता पर अंकुश लगता है।

हल्दी की माला-

विशेष प्रयोगों और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है। बृहस्पति देव तथा माता बगलामुखी के मंत्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है। हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।

चन्दन की माला-
चन्दन की माला दो तरह की होती है, लाल चन्दन और श्वेत चन्दन। देवी के मंत्रों का जप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है। भगवान कृष्ण के मंत्रों के लिए सफेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं। सफेद चंदन की माला के प्रयोग से मंत्र जप करने से भगवान श्री कृष्ण की भक्त पर असीम कृपा होती है।

तुलसी की माला-

वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व माना गया है। जगत के पालनहाल भगवान विष्णु और उनके अवतारों के मंत्रों का जप इसी माला से किया जाता है। यह माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए। तुलसी की माला पर कभी भी देवी और भगवान शिव जी के मंत्रों का जप नहीं करना चाहिए। भगवान शिव ने तुलसी के पति का वध किया था, इसलिए भगवान शंकर की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है। मंत्रजप में भी तुलसी की माला का प्रयोग नहीं होता है।

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