पूजन के लिए या फिर मंत्र जप करने के लिए अपने इष्ट देवों को पुष्प चढ़ाया जाता है, इसे भक्त को परम शांति और पवित्रता की अनुभूति होती है। हर भक्त अपनी भावना की अभिव्यक्ति के लिए पुष्पांजलि करता है, लेकिन पुष्प तोड़ने का कुछ विधान है, क्या आप उसके बारे में जानते है। आइये हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
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देव कृत कार्य करने के लिए पुष्प तोड़ने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। प्रात: के काल में स्नान करने के बाद निम्न लिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने इष्ट के लिए पुष्प, तुलसी या बिल्वपत्र तोड़ने चाहिए।
मा नु शोकं कुरुष्व त्वं
स्थान त्यागं च मा कुरु।
मम इष्ट पूजनार्थाय
प्रार्थयामि वनस्पते।।
मम इष्ट के स्थान पर अपने इष्ट देवी अथवा देवता के नाम का उच्चारण करें। जिनकी पूजा व मंत्र जप आप करने वाले हैं।
इसके उपरांत पहला पुष्प तोड़ते समय-
ऊॅँ वरुणाय नम:।
दूसरा पुष्प तोड़ते समय-
ऊॅँ व्योमाय नम:।
तीसरा पुष्प तोड़ते समय-
ऊॅँ पृथिव्यै नम:।
उसके बाद इच्छा के अनुसार पुष्पांजलि के लिए फूल तोड़ें।
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