प्रात:काल उठकर सर्व प्रथम अपने हाथों की दोनों हथ्ोलियों का दर्शन करें।
मंत्र है-
कराग्रे वसति लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितों ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्।।
लक्ष्मी हाथों के आगे के भाग में हैं यानी कर्म करो, सरस्वती का निवास हाथ के मध्य भाग में है, यानी हथ्ोलियों में है। ब्रह्मा का निवास हाथों के नीचले भाग में है, अर्थात अच्छे कार्य करो तो भाग्य बन जाएगा।
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सुबह उठकर सबसे पहले हाथों का दर्शन करें। इसके पश्चात अन्य कार्य आरम्भ करना ही श्रेयस्यर होता है। इस मंत्र के जप अब हम आपको दूसरे अर्थो में समझाने का प्रयास करते है, जब हम मंत्र जप करते हैं तो भगवती दुर्गा के लक्ष्मी और सरस्वती स्वरूप का स्मरण करते हैं और कर यानी हाथ के मूल में बसने वाले ब्रह्मा जी का स्मरण करते है तो शुभता की प्राप्ति होती है।
मंत्र जप के दौरान उनसे श्रद्धाभाव से अपनी अंतर आत्मा में बसने का आह्वान करना चाहिए, ताकि हम धर्म परायण हो और हमारी मति-गति श्रेष्ठ रहे। विद्बानों का कथन है कि प्रात: उठते ही इस मंत्र का जप करके हाथों का दर्शन करना श्रेयस्कर होता है। दर्शन से इष्ट स्मरण से प्राप्त शुभता कल्याण के पथ की ओर अग्रसर करती है।