telaja siddhapeeth (tulajaapur): yahaan shree raam ne kee shakti kee upaasanaतुलजा सिद्धपीठ ( तुलजापुर ): भगवान राम का इस पावन धाम से सम्बन्ध है। महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी मराठा सरदार शिवाजी की आराध्या तुलजा भवानी को उनके गुरु समर्थ रामदास ने रामवरदायिनी के रूप में स्मरण किया तथा अपने काव्य में स्तुति की। यह क्षेत्र कोल्हापुर जिले में पहाड़ी प्रदेश में शोलापुर के निकट पड़ता है।
तुलजा सिद्धपीठ ( तुलजापुर ) की कथा
किंवदंती है कि सीता की खोज में जब श्रीराम दंडकारण्य से चले तो आकाशवाणी हुई कि शक्ति की उपासना से ही वह सफल होंगे, अत : उन्होंने तपस्या तथा उपासना प्रारंभ की। देवी ने प्रकट होकर उन्हें विजयी होने का वरदान दिया। इसी से उन्हें रामवरदायिनी कहा गया। पुराणों में इनके तुलजा, त्वरिता, तुरजा और अंबा ये चार नाम मिलते हैं। मंदिर विवरण प्रत्यक्ष देव स्थान एक खोह में है, जहां सीढ़ियां उतर कर जाना होता है। सीढ़ियां उतरकर गोमुख तथा कल्लोलिनी तीर्थ हैं, जिन्हें पारकर छोटे – छोटे देवालय हैं तथा मुख्य देवालय का महाद्वार भी है। देवालय काफी बड़ा है, जिसके गर्भगृह में महिषासुर मर्दिनी मां तुलजा भवानी विराजती हैं। उनका विग्रह तीन फुट ऊंचा काले ग्रेनाइट पत्थर का है, जिसमें 8 भुजाएं हैं। वह महिषासुर का सिर धारण किए हैं। मंदिर बाहर से अति सुंदर व भव्य चौकोर आकृति में है, जिस पर अनेक कलाकारियां की गई हैं। देवी के सामने ही मंडप में भवानी व शंकर की मूर्ति है तथा प्रदक्षिणा क्षेत्र में अनेक देवालय स्थापित हैं। कहते हैं कि मंदिर के पीछे की पहाड़ी पर भगवान शंकर तथा जगतजननी मां पार्वती चौपड़ खेलने के लिए आज भी आते हैं। अतः भक्तगण उस पर्वत की भी उपासना – पूजा – नमन करते हैं।
यात्रा मार्ग
शोलापुर मुंबई – वाड़ी रेल मार्ग पर पड़ता है।