माला जपते समय का मंत्र हम आपको बताने जा रहे हैं, इस मंत्र का जप कर हमे माला का जप शुरू करना चाहिए। इससे मंत्र जप सफल होता है। इस मंत्र के प्रभाव से अभिष्ट सिद्धि के लिए हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।
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मंत्र’ का अर्थ शास्त्रों में ‘मन: तारयति इति मंत्र:’ के रूप में बताया गया है, अर्थात मन को तारने वाली ध्वनि ही मंत्र है। वेदों में शब्दों के संयोजन से ऐसी ध्वनि उत्पन्न की गई है, जिससे मानव मात्र का मानसिक कल्याण हो।
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वास्तव में मंत्र शब्दों का संचय है, जिससे इष्ट को प्राप्त करते हैं तथा अनिष्ट बाधाओं को नष्ट करते हैं ।
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मंत्र इस शब्द में ‘मन्’ का तात्पर्य मन और मनन से है और ‘त्र’ का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है ।
माला सिद्धि मंत्र
- ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः ।।
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिणी । चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ।।
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहणामि दक्षिणे करे । जपकाले च सिध्दयर्थ प्रसीद मम सिद्धये ।।
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्वमन्त्रार्थसाधिनि साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा ।
मन व श्रद्धा के अनुसार स्वयं निश्चित किये गए मंत्र का जप करें।
- मंत्र जप पूर्ण करके इन निम्न मंत्रो को बोलकर ही आसन से उठना चाहिये ।
मंत्र हीनं क्रिया हीनं भक्तिहीनं जनार्दन । यत्पूजितं मायादेव परिपूर्ण तदस्तु मे ।।
अपराध सहस्त्राणि क्रियन्तेअहर्निशि मया । दासोअयिमितिमां मत्वा क्षम्यतां परमेश्वर ।।
गुह्रातिगुह्रागोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम । सिद्धिभर्वतु मे देवि त्वत्प्रसादान्महेश्वरी ।।
ॐ इन्द्राय नमः ।