हाइड्रोजन-मुक्त डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया विकसित

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हाइड्रोजन-मुक्त डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया विकसित

नयी दिल्ली। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी) ने एकल चरण हाइड्रोजन-मुक्त डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया विकसित की है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि इस तरह की सहज एवं सस्ती प्रक्रिया परिवेशी दबावों और कम तापमान पर पेट्रोलियम उत्पादों के बड़ी मात्रा में प्रसंस्करण के लिए संभावित रूप से परिवर्तनकारी कम कार्बन एवं गंधक मुक्त (डिसल्फराइजेशन) समाधान प्रदान करती है।

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इस प्रक्रिया में महंगे हाइड्रोजन के उपयोग के बिना विशेष रूप से समुद्री एवं औद्योगिक ऊष्मायन (हीटिंग) अनुप्रयोगों के लिए कच्चे तेल और रिफाइनरी उत्पादों के वर्तमान गंधक मुक्त विन्यास (डिसल्फराइजेशन कॉन्फिगरेशन) की प्राप्ति की लागत को प्रभावी तरीके से बदलने की क्षमता है।

 

उल्लेखनीय है कि कच्चे तेल और कई पेट्रोलियम रिफाइनिंग धाराओं में गंधक (सल्फर) युक्त विषमचक्रीय सुगन्धित यौगिक (हेटेरोसाइक्लिक एरोमैटिक कंपाउंड्स-एससीएचएसी) होते हैं। ये अपने गुणों के क्षरण, ईंधन की खराब गुणवत्ता, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और पर्यावरणीय समस्याओं के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसलिए पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन, मिट्टी के तेल एवं ईंधन तेल जैसे रिफाइनरी उत्पादों को स्थायी अंतिम उपयोग से पहले गन्धंक (सल्फर) में कमी लाने के लिए आवश्यक शोधनात्मक उपचार की आवश्यकता होती है।

परंपरागत रूप से इस तरह के परिशोधन एवं उपचार में महंगी उच्च दबाव वाली हाइड्रोजन गैस, उच्च तापमान संचालन और महत्वपूर्ण पूंजी निवेश शामिल है और तब फिर इसमें आवश्यक डीसल्फराइजेशन को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त संबद्ध शुद्ध ग्रीनहाउस उत्सर्जन (कार्बन पदचिह्न) भी शामिल हो जाते हैं।

विभिन्न स्रोतों से प्राप्त कच्चे तेल और भारत में कई तेल शोधन संयंत्रों (रिफाइनरियों) से निष्कर्षित गंधक (सल्फर) युक्त उत्पादों का परीक्षण किया गया है; साथ ही उपचारित किए जा रहे तेल की विशिष्ट प्रकृति के आधार पर उसमें से विशिष्ट प्रक्रिया के माध्यम से गंधक पदार्थ को 90 प्रतिशत तक हटाया जा सकता है। सीएसआईआर-आईआईपी की प्रक्रिया द्वारा एससीएचएसी घटकों से उत्पादित रूपांतरित सल्फर यौगिकों को सरल निस्पंदन प्रक्रिया के माध्यम से गंधक – मुक्त अशोधित तेल (डी -सल्फराइज्ड क्रूड) अथवा अन्य रिफाइनरी उत्पादों से आसानी से अलग किया जा सकता है और इसके सड़क निर्माण तथा कोटिंग्स जैसे अनुप्रयोगों में बड़े पैमाने पर प्रयोग की सम्भावना भी बनती है।

इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख पेटेंट के लिए आवेदन किए गए हैं और ट्रेडमार्क की सुरक्षा सहित अतिरिक्त कागजी कार्यवाही प्रगति पर है। सीएसआईआर-आईआईपी सहयोगी अनुसंधान, विकास, उन्नयन और प्रौद्योगिकी के वाणिज्यिक उपयोग/परिनियोजन के लिए गैर-विशिष्ट आधार पर भागीदारी करने के लिए इच्छुक उद्योगों को आमंत्रित भी करता है।

वर्ष1960 में स्थापित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की उन 37 घटक प्रयोगशालाओं में से एक है जो भारत के माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक स्वायत्त समिति (सोसायटी) भी है।

सीएसआईआर- आईआईपी जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने, वैश्विक तेल और गैस क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के साथ ही उसकी उपयोग दक्षता बढ़ाने, क्षमता निर्माण तथा कम कार्बन ऊर्जा संक्रमण के लिए प्रबुद्ध नेतृत्व में ऊर्जा उत्पादक एवं ऊर्जा उपयोगकर्ता उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं का विकास तथा उनकी उपलब्धता प्रदान करता है।

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