सामवेद मंत्र 979 में जगत्पति परमेश्वर से प्रार्थना

0
204

वेद स्वाध्याय : सामवेद मंत्र 979 में जगत्पति परमेश्वर से प्रार्थना की गई है। मंत्र निम्न है।

यास्ते धारा मधुश्चुतोsसृग्रमिन्द ऊतये।
ताभि: पवित्रमासद:।।

Advertisment

मंत्र का पदार्थ सामवेद भाष्यकार वेदमूर्ति आचार्य (डॉ०) रामनाथ वेदालंकार जी रचित:- हे आह्लाद देने वाले, चन्द्रतुल्य, रस के भण्डार जगदीश्वर! जो आपकी मधुस्राविणी आनन्द की धाराएं हमारी रक्षा के लिए आपके पास से छूटती हैं उन धाराओं के साथ, आप हमारे पवित्र अन्तरात्मा में विराजो।

भावार्थ:- परमेश्वर के ध्यानी योगी लोग अपने अन्तरात्मा में झरते हुए आनन्द के झरने का अनुभव करते हुए परम तृप्ति प्राप्त करते हैं।

-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here