नेतुला महारानी मंदिर में पूजा से नेत्र संबंधित विकार से मुक्ति

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जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड के कुमार गांव में स्थित मां नेतुला महारानीमंदिर लोगों के बीच अपनी मान्यताओं को लेकर काफी प्रसिद्ध हैं।

मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तिभाव से पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में सालों भर नेत्र रोग से पीड़ित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मनचाही मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु सोने या चांदी की आंखें मंदिर में चढ़ाते हैं।

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नेतुला महारानी मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा का इंतजाम किया जाता है। इस दिन भक्तों की काफी भीड़ होती है। यहां पर लोग संतान प्राप्ति के लिए भी मन्नत मांगते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में श्रद्धापूर्वक पूजा करने से कई नि:संतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति हो चुकी है।

नवरात्र में नेतुला महारानी मंदिर में मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल से हजारों व्रती पहुंच कर नौ दिन तक मंदिर परिसर में उपवास एवं फलहार पर रहकर माता की पूजा-अर्चना एवं आरती करते हैं। कुमार गांव के ग्रामीण द्वारा साफ-सफाई एवं व्रतियों की सेवा की जाती है।

इस मंदिर का इतिहास 2600 साल पुराना रहा है। जैन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ कल्पसूत्र के अनुसार, 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर अपने घर का त्याग कर कुंडलपुर से निकले थे, तब प्रथम दिन मां नेतुला मंदिर स्थित वटवृक्ष के नीचे रात्रि विश्राम किया था। इसी स्थान पर भगवान महावीर ने अपना वस्त्र का त्याग कर दिया था।

इस मंदिर में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम संप्रदाय के लोग भी मन्नत मांगने के लिये आते हैं।नेतुला महारानी मंदिर में प्रत्येक दिन सुबह-शाम मां का श्रृंगार और आरती की जाती है। फूलों से मां का दरवार सजाया जाता है।

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