नींबू के ये गुण हैरान कर देंगे आपको
नीबू बदलते मौसम के अनुरूप अपने गुणों को समायोजित कर मौसम सम्बन्धी दोषों से बचाता है। नीबू का मुख्य कार्य शरीर के विषों को नष्ट कर उन्हें बाहर निकालना है। यह मुँह के स्वाद को ठीक करके भोजन के प्रति रुचि पैदा करता है। रक्त शुद्ध कर त्वचा को नवीन आभा देता है। नीबू को नमक में रखने से वह कई दिन तक ताजा बना रहता है। नीबू का प्रभाव क्षारीय है। सब्जियों में नीबू पकाते समय नहीं डालें, सब्जी पकाकर उतारते समय डालें।नीबू का पेड़ अपने घर के दरवाजे के सामने लगायें। इससे सम्पन्नता बढ़ती है, ऐसी मान्यता है। जगह के अभाव में प्लास्टिक का कृत्रिम नीबू का पेड़ रखकर इस शुभ कार्य को करें।
शरीर शुद्ध है नींबू
नीबू में साइट्रिक एसिड ( अम्ल ) होने पर भी पेट में इसका दुष्प्रभाव नहीं होता। नीबू पेट में क्षार की उत्पत्ति करता है जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। नीबू में पाया जाने वाला फॉस्फोरस शरीर में नये तन्तुओं के विकास में सहायक होता है। पोटेशियम लवण स्वयं क्षारमय होने से उन तन्तुओं की रक्षा करता है और रक्त में अम्लता की वृद्धि को रोकता है। नीबू की शिकंजी व्रत या उपवास के दिनों में अधिक मात्रा में पियें। नीबू पेट के सारे विकार पेशाब के रास्ते बाहर निकाल देता है। शरीर में विजातीय द्रव्य व विष जमा होने से व्यक्ति बीमार होता है। प्रातः एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर एक चम्मच अदरक का रस डालकर नित्य पीने से शरीर शुद्ध व नीरोग रहता है।
शक्तिवर्धक ( Tonic ) ( 1 ) एक गिलास उबलते हुए पानी में एक नीबू निचोड़कर पीते रहने से शरीर के अंग – अंग में नई शक्ति अनुभव होने लगती है। नेत्र ज्योति तेज हो जाती है। मानसिक दुर्बलता , सिरदर्द, पुट्ठों में झटके लगना बन्द हो जाते हैं। अधिक कार्य से भी थकावट नहीं आती। इसे बिना शक्कर और नमक मिलाए छोटे – छोटे घूँटों में पीना चाहिए। चाहें तो शहद की दो चम्मच मिला सकते हैं।
शक्कर और नमक का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। असाध्य रोगों मैं लम्बे समय तक उपवास रखने के बाद खाना नहीं दिया जाता, परन्तु पानी में नीबू का रस मिलाकर बार- बार पीते रहने से रोगी के शरीर से दूषित पदार्थ निकल जाते हैं और रोग दूर हो जाते हैं। इसके नियमित सेवन से स्फूर्ति रहती है।
( 2 ) 40 ग्राम किशमिश, 6 मुनक्के, 6 बादाम, 6 पिस्ते रात को आधा किलो पानी में काँच के बर्तन में भिगो दें। प्रातः छानकर पीसकर इसी पानी में मिलाकर एक चम्मच शहद और एक नीबू निचोड़कर भूखे पेट पियें। इससे मानसिक व शारीरिक कमजोरी, थकान दूर हो जाती है। यह इन्द्रियों की शक्ति के लिए लाभदायक है।
( 3 ) शक्तिवर्धक गर्म पेय – एक कप उबला हुआ पानी, एक चुटकी सेंधा नमक, एक चुटकी काला नमक, एक चम्मच चीनी, दस बूँद नीबू का रस, भुना – पिसा हुआ चौथाई चम्मच जीरा सबको मिलाकर पियें। यह पेय बहुत स्वादिष्ट, पाचनशक्ति और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाला है। इसे चाय की जगह पियें तो अच्छा है। ये मिलाई जाने वाली चीजें स्वाद के अनुसार और परहेज के अनुसार घटा – बढ़ा सकते हैं। इस पेय को बीमारी की अवस्था में भी ले सकते हैं। इसे तीन बार तक नित्य पिया करें।
( 4 ) तीन छुहारे गुठली निकालकर टुकड़े कर लें। एक गिलास पानी में छुहारे, 15 किशमिश, एक नीबू का रस डालकर रात को खुले में छत पर रख दें। प्रातः मज्जन करके पानी पी जायें तथा छुहारे, किशमिश खा जायें। लगातार चार महीने तक सेवन करें। चेहरा चमकने लगेगा ।
शर्बत – 1 किलो चीनी, 350 मिलीलीटर पानी, 2 नीबू का रस — इन तीनों को मिलाकर, उबाल देकर कपड़े से छान लें। ठण्डा कर काँच की बोतल में भरें। यह चाशनी वर्ष भर खराब नहीं होती। इसे शर्बत की तरह प्रयोग करें।
पागलपन- नीबू का छिलका छाया में सुखाकर पीस लें। इसकी आधा चम्मच रात को एक गिलास पानी में भिगोकर प्रातः पानी छानकर स्वादानुसार मिश्री मिलाकर प्रतिदिन पीने से पागलपन और भ्रम ( वहम ) ठीक हो जाता है।
विटामिन— नीबू से मिलने वाला विटामिन ‘ ए ‘ नेत्र के विकार ठीक करता है, विटामिन ‘ बी ‘ पाचनशक्ति को ठीक करता है और विटामिन ‘ सी ‘ रक्तविकारों को ठीक करता है। नीबू को पानी में निचोड़कर प्रातः भूखे पेट पीना ज्यादा लाभदायक है।
विटामिन ‘ सी ‘ – विभिन्न रोगों से बचने , स्वास्थ्य और शक्ति प्राप्त करने के लिए। नीबू का रस विटामिन ‘ सी ‘ का भण्डार है। शरीर में विटामिन ‘ सी ‘ घट जाने से स्कवीं, एनीमिया, हड्डी के जोड़ों की पीड़ा, रक्तस्राव, दाँतों के रोग, पायोरिया, कूकरखाँसी, दमा आदि रोग हो जाते हैं। नीबू के सेवन से इनमें लाभ होता है तथा सल्फाड्रग्स के सेवन से उत्पन्न दोष भी दूर हो जाते हैं।
विटामिन ‘ सी ‘ संतरा कुल के सभी फलों, जैसे नीबू, चकोतरा, मौसमी, माल्टा तथा संतरा में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘ सी ‘ का एक अन्य स्रोत आँवला भी है। पर आँवले का विटामिन ‘ सी ‘ अन्य कई यौगिकों के साथ मिलकर एक गरिष्ठ रसायन बनाता है जिसके कारण आँवले के विटामिन ‘ सी ‘ का लाभ शरीर को इसके दीर्घकालीन सेवन के बाद ही प्राप्त होता है। इसके विपरीत संतरा कुल के सभी फलों में पाया जाने वाला विटामिन ‘ सी ‘ बहुत आसानी से शरीर में स्वांगीकृत हो जाता है और तत्काल लाभ प्रदान करता है। नीबू का विशेष महत्त्व इसमें पाये जाने वाले विटामिन ‘ सी ‘ अर्थात् एस्कार्बिक अम्ल के कारण है।
नीबू शरीर के स्वस्थ विकास के लिये बहुत आवश्यक जीवन तत्त्व है। यह विटामिन दूसरे कई विटामिनों के साथ मिलकर शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही त्वचा को स्वस्थ रखने में तथा शरीर को विपरीत परिस्थितियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में भी विटामिन ‘ सी ‘ बहुत अनिवार्य है। यह विटामिन शरीर में संचित नहीं रहता, इसलिये इसकी पूर्ति के लिये शरीर को प्रतिदिन कुछ मात्रा में विटामिन ‘ सी ‘ अनिवार्य रूप से प्राप्त होना चाहिये वरना शरीर में विभिन्न प्रकार के उपापचय सम्बन्धी रोग उत्पन्न हो जाते हैं तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है।
विटामिन ‘ सी ‘ का प्रमुख गुण शरीर में प्रतिरोधक शक्ति का विकास करना है। नीबू के रस में पाये जाने वाली विटामिन ‘ सी ‘ की प्रचुर मात्रा के कारण नीबू को प्राकृतिक शक्तिवर्धक फल के रूप में बहुत महत्त्व दिया जाता है।
प्रतिदिन भोजन के साथ एक नीबू का प्रयोग करने से शरीर को विटामिन ‘ सी ‘ की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध होती है।
रक्तविकार — उबलते हुए पानी का एक गिलास भरकर इसमें दो नीबू निचोड़कर पीने योग्य ठण्डा होने पर नित्य प्रातः एक मास तक पीते रहने से रक्त विकार ठीक हो जाता है।
रक्तक्षीणता ( Anaemia ) – ( 1 ) जिनके शरीर में रक्त की कमी हो, शरीर दिन पर दिन गिरता जाए, उन्हें नीबू और टमाटर के रस का सेवन लाभ पहुंचाता है।
( 2 ) नीबू के रस को एक गिलास पानी में मिलाकर स्वादानुसार नमक मिलाकर पीना चाहिए। इससे शरीर में रक्ताल्पता सम्बन्धी दोष दूर हो जाते हैं।
रक्तवर्धक– ( 1 ) एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर इसमें 25 ग्राम किशमिश डाल दें। इसे रात को खुले स्थान पर रख दें। प्रातः भीगी हुई किशमिश खाते जायें और यह पानी पी जायें। इस प्रकार नीबू पानी में भिगी हुई किशमिश खाने से रक्त बढ़ता है जिससे रक्त की कमी के रोगों में लाभ होता है।
( 2 ) मूली काटकर अदरक के टुकड़े और नीबू डालकर खायें। इससे रक्त की कमी दूर हो जाती है।
नाखून न बढ़ना– ( 1 ) यदि आपके नाखून न बढ़ते हों तो गर्म पानी में नीबू निचोड़कर उसमें पाँच मिनट तक अँगुलियाँ रखें, फिर तुरन्त ही हाथ ठण्डे पानी में रखें। इससे नाखून बढ़ने लगेंगे।
( 2 ) नाखूनों पर नीबू का रस लगाने से वे बहुत मजबूत और सुन्दर रहते हैं। अँगुलियों को धोकर उनके अग्रभाग पर नीबू रगड़कर सुखा लें। नाखूनों के पास की त्वचा पकती हो तो नीबू के हरे पत्ते और नमक पीसकर लगायें। 15 दिन लगाने पर आप देखेंगे कि नाखूनों की त्वचा पकना बन्द हो गई है।
आयु बढ़ना – प्रो . स्कमोल के अनुसार यदि थोड़ा – सा नीबू नित्य सेवन किया जाए आयु बढ़ती है। नीबू का अधिक सेवन हानिकारक है।
पाचन संस्थान के रोग – यदि आपके पाचन अंग कार्य नहीं करते, भोजन नहीं पचता, पेट में गैस के कारण हृदय पर बोझ अनुभव होता है, पेट फूल जाता है, रात को नींद नहीं आती, भोजन भली प्रकार नहीं पचता तो एक गिलास गर्म पानी में एक नीबू का रस मिलाकर बार – बार पियें, इससे पाचन – अंग और शरीर की धुलाई हो जाती है। रक्त और शरीर के समस्त विषैले पदार्थ मूत्र द्वारा निकल जाते हैं। कुछ ही दिनों में शरीर में नई स्फूर्ति और शक्ति अनुभव होने लगती है। अपच होने पर नीबू की फाँक पर नमक डालकर गर्म करके चूसने से भोजन सरलता से पच जाता है। यकृत के समस्त रोगों में नीबू लाभदायक है।
पेट दर्द- ( 1 ) 12 ग्राम नीबू का रस, 6 ग्राम अदरक का रस और 6 ग्राम शहद मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
( 2 ) नीबू की फाँक में काला नमक, कालीमिर्च और जीरा भरकर गर्म करके चूसने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है। कीड़े ( कृमि ) नष्ट हो जाते हैं।
( 3 ) अजीर्ण, अपच, गैस, अधिक खाना आदि कारणों से पेट दर्द हो तो एक कप गर्म पानी में नीबू निचोड़ें। इसमें एक चम्मच चीनी, जरा सा नमक, पिसी हुई अजवायन और जीरा मिलाकर पियें। पेट दर्द शीघ्र मिट जायेगा।
( 4 ) 50 ग्राम पोदीने की चटनी पतले कपड़े में डालकर निचोड़कर रस निकालकर इसमें आधः नीबू निचोड़ें। दो चम्मच शहद, चार चम्मच पानी मिलाकर पीने से पेट का तेज दर्द शीघ्र बन्द हो जाता है।
( 5 ) आधा कप पानी, दस पिसी हुई कालीमिर्च, एक चम्मच अदरक का रस, आधे नीबू का रस सब मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। स्वाद के लिए चीनी या शहद चाहें तो मिला लें।
( 6 ) एक नीबू, काला नमक, कालीमिर्च, चौथाई चम्मच सोंठ, आधा गिलास पानी में मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
( 7 ) अजवायन, सेंधा नमक को नीबू के रस में भिगोकर सुखा लें। पेट दर्द होने पर एक चम्मच चबाकर पानी पियें। इस प्रकार हर एक घण्टे से, जब तक दर्द रहे , लें। पेट का सेंक करें। नमक, जीरा, चीनी, अजवायन सभी आधा – आधा चम्मच लेकर नीबू निचोड़कर, पीसकर चटनी बनाकर खाने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
( 8 ) कीड़ों के कारण पेट दर्द हो, पेट में कीड़े हों तो सात दिन तक नित्य दो बार नीबू की एक फाँक में पिसा हुआ जीरा, कालीमिर्च, काला नमक भरकर चूसें।
( 9 ) मूली पर नमक, नीबू, कालीमिर्च डालकर खाने से अपच के कारण होने वाला पेट दर्द ठीक हो जाता है।
( 10 ) विवाह, जीमन में अधिक खाना खाने से अपच, गैस से पेट दर्द हो तो एक कप तेज गर्म पानी में भुना हुआ जीरा, पिसी हुई अजवायन, नीबू और चीनी सब स्वादानुसार मिलाकर नित्य चार बार पियें।
( 11 ) रोगी को पेट दर्द खाना खाने के बाद होता है तो, आधा कप मूली के रस में आधा नीबू निचोड़कर नित्य दो बार पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
( 12 ) चीनी, जीरा, नमक, कालीमिर्च, एक कप गर्म पानी, नीबू मिलाकर नित्य तीन बार पियें।
( 13 ) बार – बार नीबू का पानी पीते रहने से पेट दर्द, वायु गोले का दर्द ठीक हो जाता है।
भूख न लगना , अपच होने पर— ( 1 ) भोजन से पहले एक गिलास पानी में आधा नीबू, एक चम्मच अदरक का रस, स्वादानुसार नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।
( 2 ) नीबू , भुना हुआ जीरा , काला नमक और अदरक लेकर सबकी चटनी बनाकर खाने से भूख अच्छी लगती है। वर्षा में भूख प्रायः कम लगती है, उस समय यह ज्यादा लाभकारी है।
( 3 ) नीबू और अदरक की चटनी का सेवन करें। मौसम के अनुसार धनिए की पत्ती भी मिला सकते हैं।
( 4 ) भोजन करने के आधा घण्टा पहले एक गिलास पानी में नीबू निचोड़कर पीने से भूख अच्छी लगती है।
भूख न लगे, अजीर्ण हो, खट्टी डकारें आती हों तो- ( 1 ) एक नीबू आधा गिलास पानी में निचोड़कर शक्कर मिलाकर नित्य पियें।
( 2 ) एक चम्मच अदरक का रस, नीबू , सेंधा नमक एक गिलास पानी में मिलाकर पियें।
( 3 ) खट्टी डकारें आती हों तो गर्म पानी में नीबू निचोड़कर पियें। नीबू और अदरक का सेवन, खूब बढ़ाए भूख। गुण इनके नहीं मरते चाहे जाएं ये सूख॥ प्यास अधिक लगती हो तो पानी में नीबू निचोड़कर पीने से प्यास कम लगती है।
बार – बार थूकना – अदरक, नीबू के रस में डालकर खाना खाते समय नित्य खायें। बार – बार थूकना बन्द हो जायेगा।
कब्ज़- ( 1 ) एक नीबू का रस एक गिलास गर्म पानी के साथ रात्रि में लेने से दस्त खुलकर आता है।
( 2 ) नीबू का रस और शक्कर प्रत्येक 12 ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ दिनों में पुराना कब्ज दूर होता है।
( 3 ) गर्म पानी और नीबू प्रातः भूखे पेट पियें। एक गिलास हल्के गर्म पानी में एक नीबू निचोड़कर एनिमा लगायें। पेट साफ होगा। कृमि भी निकल जायेंगे।
( 4 ) एक गिलास गर्म पानी में एक नीबू, दो चम्मच अरंडी का तेल ( Castor Oil ) मिलाकर रात को पियें।
( 5 ) एक चम्मच मोटी सौंफ, 5 कालीमिर्च चबायें फिर एक गिलास गर्म पानी, एक नीबू , काला नमक मिलाकर रात को नित्य पियें।
( 6 ) प्रातः भूखे पेट अमरूद पर नमक, कालीमिर्च, नीबू डालकर प्रतिदिन खायें।
( 7 ) प्रातः भूखे पेट नीबू पानी तथा रात को सोते समय नीबू की शिकञ्जी पीने से कब्ज दूर होती है। लम्बे समय तक पीते रहने से पुरानी कब्ज़ भी दूर हो जाती है।
( 8 ) एक अच्छा बड़ा नीबू काटकर रात को छत पर या खुले में रख दें। प्रातः एक गिलास पानी में स्वादानुसार चीनी डालकर उस नीबू को निचोड़कर, जरा – सा काला नमक अच्छी तरह मिलाकर नित्य पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
( 9 ) एक गिलास गर्म पानी में एक नीबू निचोड़कर चौथाई चम्मच नमक डालकर रात को पीकर सोने से कब्ज दूर हो जाती है।
पेट में गाँठ– ( 1 ) गाजर व चुकन्दर के मिश्रित रस का एक – एक गिलास नित्य दो बार एक- दो महीने तक पीते रहें।
( 2 ) एक गिलास चुकन्दर के रस में आधा नीबू, दो चम्मच शहद मिलाकर पीते रहें। पेट या कहीं भी गाँठ हो, पिघल जायेगी।
उल्टी – जी मिचलाना आरम्भ होते ही नीबू का सेवन करना चाहिए। इससे उल्टी नहीं होती। नीबू में शक्कर और कालीमिर्च, दोनों भरकर चूसने से भी उल्टी बन्द हो जाती है। उल्टी में नीबू को गर्म नहीं करना चाहिए। नीबू का रस एक चम्मच, पानी एक चम्मच और ग्लूकोज एक चम्मच मिलाकर एक – एक घण्टे से लें। उल्टियाँ बन्द हो जायेंगी।
( 1 ) आधा कप पानी में 15 बूँद नीबू का रस, भुना – पिसा हुआ जीरा, पिसी हुई एक छोटी इलायची मिलाकर हर आधे घण्टे बाद पियें। उल्टी होना बन्द हो जायेगी।
( 2 ) नीबू के छि सुखाकर, जलाकर राख बना लें। चौथाई चम्मच राख, आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी बन्द हो जाती है।
( 3 ) दो छोटी इलायची पीसकर नीबू की फाँक में भरकर चूसने से उल्टी बन्द हो जाती है।
( 4 ) चौथाई कप पानी में आधा नीबू निचोड़कर मिला लें। इसकी एक चम्मच हर पन्द्रह मिनट बाद पियें उल्टी बन्द हो जायेगी।
( 5 ) सेंधा नमक, हरा धनिया पर आधा नीबू निचोड़कर, चटनी बना लें। जब तक उल्टी हो , बार – बार आधा चम्मच चाटते रहें।
( 6 ) नीबू, प्याज, पोदीना की चटनी बार – बार चाटें।
( 7 ) नीबू की एक फाँक में मिश्री भरकर चूसें ।
( 8 ) जी मिचलाते ही, उल्टी की इच्छा होतें ही नीबू की फाँक में काला नमक, कालीमिर्च भरकर चूसें। उल्टी नहीं होगी।
( 9 ) यात्रा ( जल, थल, नभ, सभी ) में उल्टी हो तो नीबू चूसते रहें।
( 10 ) शिशु दूध पीने के बाद उल्टी करता हो तो दूध पिलाने के कुछ देर बाद तीन बूंद नीबू का रस एक चम्मच पानी में मिलाकर पिलायें।
( 11 ) उल्टियाँ लगातार होती रहें, दवा देने पर भी बन्द नहीं हों तो नीबू के आठ बीज पीसकर तीन चम्मच पानी में घोलकर, छानकर आधा – आधा घण्टे के अन्तर से तीन बार पिलायें। उल्टियाँ बन्द हो जायेंगी। उल्टी बन्द हो जाये तो आगे नहीं पिलायें।
गर्भावस्था की उल्टी- ( 1 ) 100 ग्राम कच्चा जीरा, 30 ग्राम सेंधा नमक पीसकर नीबू के रस में तर कर लें, ये रस में डूबे रहें, इनको भीगते रहने दें। प्रतिदिन एक बार स्टील की चम्मच से हिला दें। सूख जाने पर आधा चम्मच प्रतिदिन तीन बार चबायें। गर्भावस्था में होने वाली उल्टियाँ बन्द हो जायेंगी।
( 2 ) ठण्डे पानी में नीबू निचोड़कर पीने से गर्भावस्था की उल्टी में लाभ होता है।
शिशुओं की उल्टी- ( 1 ) नीबू के रस की पाँच बूंद तीन चम्मच पानी में मिलाकर पिलायें, शिशु दूध नहीं उलटेगा।
नाभि टलना – नीबू काटकर बीज निकाल दें। इसमें सुहागा ( यह पंसारी के मिलता है ) भुना हुआ आधा चम्मच भरकर हल्का – सा गर्म करके चूसें, टली हुई नाभि अपने स्थान पर आ जायेगी।
दस्त — ( 1 ) दूध में नीबू निचोड़कर पीने से लाभ होता है। दस्त में मरोड़ हों, आँव आती हो तो नीबू का उपयोग करें। एक नीबू का रस एक कप पानी में मिलाकर पियें। इसी प्रकार एक दिन में पाँच बार लें। इससे दस्त बन्द हो जाते हैं।
( 2 ) एक बूँद नीबू का रस, एक चम्मच पानी जरा – सा नमक और शक्कर मिलाकर नित्य पाँच बार पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
( 3 ) आधे नीबू पर बाजरे के दाने के बराबर अफीम लगायें और इसे गोद लें फिर जरा – सा गर्म करके चूसें। इस तरह हर चार घण्टे से चूसें। दस्त, पेचिश बन्द हो जायेगी।
( 4 ) एक कप ठण्डे पानी में चौथाई नीबू निचोड़कर स्वादानुसार नमक, चीनी मिलाकर हर दो घण्टे में पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं।
( 5 ) दस्त थोड़ा – थोड़ा, बार – बार हो तो एक चम्मच प्याज का रस और आधा नीबू का रस चौथाई कप ठण्डे पानी में मिलाकर हर तीन घण्टे से पिलायें।
हैजा — गर्म पानी में नमक और नीबू का रस मिलाकर पिलायें। उल्टी हो जाने पर फिर पिलायें। जब तक उल्टी होती रहे, पिलाते रहें। पेट की सफाई हो जायेगी। रोगी अच्छा हो जायेगा। हैजे के दिनों में नीबू का अचार खाने से हैजा तथा रोग संक्रमण घटता है। नित्य नीबू सेवन करने से हैजे से बचाव होता है। पित्त शमन होता है। नीबू गर्म करके चीनी लगाकर चूसना, जी मिचलाने एवं हैजे में लाभप्रद है। नीबू, प्याज का रस, चीनी और पानी मिलाकर पीने से हैजे में लाभ होता है। नीबू का रस एक भाग, हरा पोदीना और प्याज का रस आधा आधा भाग मिलाकर पीने से लाभ होता है। नीबू हैजे से बचाता है। जब हैजा फैल रहा हो, किसी को हैजा हो गया हो तो सम्पर्क में आने वाले लोग नीबू का अधिकाधिक सेवन करें। नीबू चूसें, नीबू का अचार खायें। भोजन के बाद नीबू का पानी पियें हैजा से बचाव होगा। हैजे के कीटाणु खट्टी चीजों के सेवन से नष्ट हो जाते हैं। हैजा होने पर चार चम्मच गुलाबजल, थोड़ा – सा नीबू और मिश्री मिलाकर हर दो घंटे से पियें। हैजे में लाभ होगा। हैजा के कीटाणु अम्लीय ( खट्टे ) पदार्थों के सेवन से नष्ट होते हैं। नीबू का रस, प्याज का रस और शहद प्रत्येक एक – एक चम्मच मिलाकर पियें। इससे हैजा ठीक हो जाता है।
संग्रहणी — नीबू को बीच में से काटकर इसमें मूंग के बराबर अफीम डालकर धागे से बाँधकर आँच पर लटकाकर सेंककर नित्य तीन दिन तक चूसें।
वायुगोला – 6 ग्राम नीबू का रस आधा गिलास पानी में मिलाकर पीने से आराम होता। गैस – एक चम्मच नीबू का रस और एक चम्मच पिसी हुई अजवायन एक गिलास गर्म पानी में घोलकर पीने से गैस और पेट दर्द ठीक हो जाता है।
पेचिश– ( 1 ) आधा गिलास ताजा पानी में आधा नीबू निचोड़कर दिन में 3 बार पीने से पेचिश में लाभ होता है। दूध में नीबू निचोड़कर पीने से भी लाभ होता है।
( 2 ) मिट्टी के बर्तन ( शिकोरा ) में 250 ग्राम दूध, स्वादानुसार शक्कर, आधा नींबू निचोड़कर मिलाकर पियें। इससे पेट में हल्की – सी जलन होगी और खून के दस्त बन्द हो जायेंगे।
( 3 ) एमोबायसिस- ( आमातिसार ) होने पर नित्य दिन में तीन बार नीबू का पानी पीने से लाभ होता है। लगातार लेते रहने से अति साफ होकर आँव आना बन्द हो जाती है।
कृमि – ( 1 ) यदि पेट में कृमि उत्पन्न हो गए हों तो नीबू के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें और पानी के साथ लें। इससे पेट के कृमि नष्ट हो जायेंगे।
मात्रा — बड़ों के लिए 1 से ३ ग्राम, बच्चो के लिए इसकी चौथाई। भूखे पेट नीबू पानी भी पियें।
( 2 ) नीबू + शहद + पानी मिलाकर नित्य 15 दिन पीने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।
अम्लपित्त – ( 1 ) नीबू अम्ल का नाश करने वाला है। नीबू का रस गर्म पानी में डालकर सायंकाल पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है।
मात्रा – एक कप गर्म पानी, एक चम्मच नीबू का रस एक – एक घण्टे से तीन बार लें।
( 2 ) खाना खाने के बाद एक कप पानी में आधा नीबू, जरा – सा खाने का सोडा मिलाकर प्रतिदिन दो बार पियें।
( 3 ) दो कप ठण्डे पानी में ½ नीबू निचोड़कर नित्य दो बार पीने से घबराहट और सीने की जलन में लाभ होता है।
( 4 ) दोपहर में भोजन से आधा घण्टा पहले नीबू की मीठी शिकञ्जी दो महीने पियें। खाने के बाद नहीं पियें।
( 5 ) तीव्र अम्लता अर्थात् एसिडिटी के पुराने रोगियों को ताजा नीबू पानी में निचोड़कर पीना चाहिये।
( 6 ) दो चम्मच शहद में नीबू का एक चम्मच रस मिलाकर चाटने से अम्लपित्त में लाभ होता है। नीबू में एस्कार्बिक अम्ल पाया जाता है, पर यह शरीर में सोडियम लवणों के सांद्रण को कम करता है जिसके कारण मनुष्य की आत्र में उत्पन्न होने वाला नमक का अम्ल अर्थात् हाइड्रोक्लोरिक अम्ल शांत रहता है तथा अम्लता धीरे – धीरे कम होती है।
हिचकी- ( 1 ) नीबू का रस, शहद, दोनों एक – एक चम्मच, स्वादानुसार काला नमक मिलाकर चाटने से हिचकी बन्द हो जाती है।
( 2 ) एक नीबू का रस, एक कप गर्म पानी, जरा – सा काला नमक और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से हिचकी आना बन्द हो जाता है।
( 3 ) नीबू के पेड़ से हरी पत्तियाँ तोड़कर चबाकर रस चूसें। हिचकी बन्द हो जाती है।
( 4 ) तेज गर्म पानी में नीबू निचोड़कर घूँट – घूँट पीने से हिचकी बन्द हो जाती है।
( 5 ) नीबू, सोंठ, कालीमिर्च, अदरक सब अल्प मात्रा में लेकर चटनी बनाकर चाटें।
( 6 ) नीबू में नमक भरकर बार – बार चूसें। इन प्रयोगों से हिचकी चलना बन्द होती है।
बवासीर– ( 1 ) नीबू के रस को स्वच्छ महीन कपड़े से छानकर उसमें जैतून का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर दो ग्राम की मात्रा में ग्लिसरीन सीरिंज द्वारा रात को गुदा में प्रवेश कराते रहने से बवासीर की जलन, दर्द दूर हो जाता है, मस्से छोटे हो जाते हैं। पाखाना बिना कष्ट के आने लगता है।
( 2 ) बवासीर में तेज दर्द हो तो एक नीबू का रस और इतना ही पानी मिलाकर ग्लिसरीन सीरिंज से गुदा में डालें और बाहर निकालें, दर्द में लाभ होगा। बवासीर में तेज दर्द, रक्तस्राव होने पर उपवास रखें और ताजे पानी में नीबू पियें।
( 3 ) गाय के धारोष्ण दूध से चार कप अलग – अलग भर लें। इनमें क्रमशः आधा-आधा नीबू निचोड़कर पीते जायें। एक सप्ताह सेवन करने से हर प्रकार के बवासीर नष्ट हो जायेंगे।
( 4 ) रक्तस्रावी बवासीर हो तो गर्म दूध में आधे नीबू का रस डालकर तुरन्त हर 3 घण्टे में पिलायें।
( 5 ) नीबू काटकर दोनों फॉकों में पिसा हुआ कत्था भरें। फिर दोनों टुकड़े रात को ओ रख दें। प्रातः दोनों टुकड़े चूस लें, इससे रक्त गिरना बन्द हो जायेगा।
( 6 ) बवासीर ( पाइल्स ) में रक्त आता हो तो नीबू की फाँक में सेंधा नमक भरकर चूसने से रक्तस्राव बन्द हो जाता है।
यकृत ( Liver )- यकृत की हर तरह की बीमारियों में नीबू लाभदायक है। दाल, सब्जी, शिकञ्जी हर चीज में नीबू अधिक – से – अधिक लें। नीबू , पानी व 10 कालीमिर्च मिलाकर नित्य पीते रहें। यकृत सम्बन्धी रोग ठीक हो जायेंगे।
पीला ज्वर ( Yellow Fever ) – एक फ्रेंच चिकित्सक के अनुसार नीबू को फीके पानी में मिलाकर पीले ज्वर के रोगी को पिलाने से रोगी शीघ्र ठीक हो जाता है। इसमें मीठा न मिलायें।
पीलिया ( Jaundice )- ( 1 ) पत्तों सहित मूली का रस एक कप में स्वादानुसार चीनी व नीबू का रस मिलाकर प्रातः भूखे पेट तथा रात को सोते समय दो बार प्रतिदिन पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
( 2 ) प्याज के टुकड़े नीबू के रस में डाल दें। स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च डाल दें। नित्य दो बार थोड़ा – थोड़ा यह प्याज खाने से पीलिया में लाभ होता है।
लू ( Sunstroke ) – ( 1 ) प्रतिदिन प्याज खायें, नीबू की नमकीन शिकञ्जी पियें। लू से बचाव होगा।
( 2 ) एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़ें और स्वादानुसार पिसी हुई मिश्री या शक्कर डालकर पीने से लू का प्रभाव कम हो जायेगा।
गर्मी से घुटन- गर्मी की तपन से घुटन प्रतीत होने पर नीबू की शिकञ्जी पीने से मस्तिष्क तरोताजा हो जाता है।
नीबू का शर्बत – ठण्डे पानी में गर्म किया हुआ नीबू और शक्कर मिलाने से नीबू का शर्बत बन जाता है। यह पाचक, मतली और वमन दूर करने वाला, मलेरिया और पित्त ज्वर में हितकारी होता है।
सिर चकराना- ( 1 ) यकृत ( Liver ) की गड़बड़ी, पेट की गैस से चक्कर आता हो, दौरा पड़ता हो तो गर्म पानी में नीबू निचोड़कर पीने से लाभ होता है।
मात्रा- एक कप गर्म पानी, नीबू का रस डेढ़ चम्मच।
( 2 ) प्रातः नीबू की मीठी शिकञ्जी पीने से उठते – बैठते समय आने वाले चक्कर ठीक हो जाते हैं।
( 3 ) एक कप गर्म पानी में आधा नीबू निचोड़कर नित्य तीन बार पीने से चक्करों में लाभ होता है।
नींद में खर्राटे आते हों तो नीबू के पत्तों को सुखाकर, पीसकर आधा चम्मच और एक चम्मच शहद में मिलाकर रात को सोते समय चाटने से लाभ होगा। अनिद्रा- सोते समय नीबू, शहद, पानी का एक गिलास पीने से नींद गहरी आता है।
सिरदर्द – ( 1 ) नीबू के छिलके पीसकर सिर पर लेप करने से सिरदर्द में लाभ होता है।
( 2 ) अदरक का रस आधा चम्मच, नीबू का रस आधा चम्मच, सेंधा नमक चौथाई चम्मच मिलाकर हल्का – सा गर्म करके इसे सूंघे। इससे छींके आकर कफ , पानी निकलता है और सिरदर्द ठीक हो जाता है। सर्दी लगने से हुआ सिरदर्द, आधे सिर का दर्द ( विवर प्रदाह ) ( साइनोसाइटिस ) में अधिक लाभकारी है।
( 3 ) जिस ओर सिरदर्द हो उसके विपरीत नथुने में ( अर्थात् बाईं ओर सिरदर्द हो तो दायें नधुने में ) तीन बूंद नीबू के रस की डालने से आधे सिर का दर्द ( हेमीक्रेनिया ) जो सूर्य के साथ घटता बढ़ता है, ठीक हो जाता है।
( 4 ) कॉफी में नीबू का रस डालकर पियें। दूध नहीं डालें।
( 5 ) नीबू की फाँक गर्म करके सिर पर रगड़ें, एक बार रगड़ने के 15 मिनट बाद पुनः रगड़ें। इस तरह लगाते रहने से सिरदर्द शीघ्र ठीक हो जाता है। नीबू का रस रगड़ने के बाद सिर को हवा नहीं लगने दें। सिर ढँक लें। नीबू के प्रयोग से गर्मी के कारण होने वाला सिरदर्द शीघ्र ठीक हो जाता है।
जुकाम, सिरदर्द होने पर चाय में नीबू निचोड़कर पीने से लाभ होता है। नीबू की पत्तियों को कूटकर रस निकालकर रस को सूंघें। जिन्हें हमेशा सिरदर्द रहता है, वे यह उपाय करें।
इससे सदा के लिए सिरदर्द ठीक हो जायेगा। नीबू की पत्तियों को सुखाकर प्रतिदिन प्रातः सूँघने और चाय पीने से चमत्कारिक लाभ होगा। – वैद्य सुशील कुमार जैन, जयपुर
दिल घबराना – दिल घबराने, छाती में जलन होने पर ठण्डे पानी में नीबू निचोड़कर पीने से लाभ होता है। पतले दुबले शरीर वाले इसमें शक्कर भी मिलायें।
हकलाना , तुतलाना — गर्म पानी में नीबू निचोड़कर सुबह – शाम कुल्ले करें। दस पिसी हुई कालीमिर्च, एक चम्मच घी में मिलाकर दो बार चाटें।
ज्वर – ( 1 ) ज्वर जिसमें रोगी को बार – बार प्यास लगे, तो उबलते पानी में नीबू निचोड़कर पिलाने से ज्वर का तापमान गिर जाता है।
मात्रा — पानी एक कप, नीबू का रस दो चम्मच।
( 2 ) दो नीबू काटकर, 250 ग्राम पानी में डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें। इसमें दो ग्राम सेंधा नमक सेंककर मिला लें और पी जायें। यह एक खुराक है। इस प्रकार दिन में तीन बार लें। भोजन न करें। दो – तीन दिन इस प्रकार करने से हर प्रकार का ज्वर दूर हो जाता है।
( 3 ) पानी में नीबू निचोड़कर बार – बार पीने से ज्वर की गर्मी, ताप कम होता है।
( 4 ) ज्वर में प्यास अधिक लगती है, मुँह सूखता है, व्याकुलता बढ़ती है। लार बनाने वाली ग्रंथियाँ लार बनाना बन्द कर देती हैं, जिससे मुँह सूखने लगता है। अतः पानी में नीबू, नमक, कालीमिर्च डालकर पियें। नीबू में नमक, कालीमिर्च भरकर भी चूस सकते हैं।
मलेरिया- मलेरिया में नमक, कालीमिर्च नीबू में भरकर गर्म करके चूसने से बुखार की गर्मी दूर हो जाती है। दो नीबू का रस नीबू के छिलकों सहित 500 ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी की हाँडी में रात को उबालकर आधा रहने पर रख दें। प्रातः इसे पीने से मलेरिया आना बन्द हो जाता है। पानी में नीबू निचोड़कर स्वाद के अनुसार शक्कर मिलाकर पीने से 4 दिन में मलेरिया आना बन्द हो जाता है। मलेरिया में उल्टी होने लगे तो नीबू में नमक भरकर चूसें। नीबू और गन्ने का रस मिलाकर पियें। उल्टी बन्द हो जायेगी। नीबू मलेरिया के लिए प्राकृतिक औषधि है।
मलेरिया में नीबू किसी भी रूप में अधिकाधिक सेवन करने से लाभ होता है। चाय में दूध के स्थान पर नीबू डालकर पीने से मलेरिया में लाभ होता है। चाय में दूध के स्थान पर नीम्बू डालकर पिने से मलेरिया में लाभ होता है। भोजन करते समय हरीमिर्च पर नीबू निचोड़कर खायें। मलेरिया आने से पहले नीबू में नमक भरकर चूसें या नीबू की शिकञ्जी पियें।
फिटकरी भुनी हुई, कालीमिर्च , सेंधा नमक तीनों समान मात्रा में लेकर पीस लें। नीम्बू की एक फाँक पर यह चूर्ण चौथाई चम्मच भरकर गर्म करके ज्वर आने के एक घण्टे पहले आधा – आधा घण्टे के अन्तर से चूसें। मलेरिया बुखार नहीं आयेगा। दो, तीन दिन यह प्रयोग करें।
फ्लू ( Flu )- शरीर के विभिन्न अंग और हड्डियाँ टूटने, नजला, जुकाम और फ्लू होने पर गर्म पानी में नीबू का रस पीते रहने से इन रोगों से बचा जा सकता है। ये रोग होने पर इसे बार – बार पीना चाहिए। पानी में शहद भी मिला सकते हैं।
खाँसी, श्वास और ज्वर – नीबू में नमक, कालीमिर्च एवं शक्कर भरकर गर्म करके चूसने से लाभ होता है।
उपदंश ( Syphilis ) की पहचान- स्त्री – पुरुष को उपदंश है या नहीं, यह जानने के लिए उसके शरीर के किसी भाग पर नीबू का रस लगाओ। यदि यह असह्य प्रतीत हो तो समझ लो कि उपदंश है।
जुकाम– ( 1 ) यदि जुकाम बार – बार लगता है तो रात को सोते समय पगतलियों पर सरसों के तेल की मालिश करें। गर्म पानी के एक गिलास में एक नीबू निचोड़कर गर्मा गर्म एक महीने पियें।
( 2 ) जब जुकाम लग गई हो तो एक साबुत नीबू को धोकर एक गिलास पानी में उबालें। नीबू उबलने पर नीबू निकालकर काट लें और इसी गर्म पानी को एक गिलास में भरकर नीबू निचोड़ें। इसमें एक चम्मच अदरक का रस, दो चम्मच शहद मिलाकर पियें। जुकाम ठीक हो जायेगा।
( 3 ) दो चम्मच दानामेथी एक गिलास पानी में उबालें। उबलते हुए आधा पानी रहने पर पानी छानकर इसमें आधा नीबू निचोड़कर गर्मा – गर्म ही पियें। उबली हुई मेथी भी खायें। ज्वर, फ्लू , सर्दी , श्वास, विवर – प्रदाह ( साइनोसाइटिस ) में लाभ होगा। यह पेय नित्य दो बार जब तक ठीक नहीं हो जायें, पीते रहें।
( 4 ) गुनगुने पानी में नीबू निचोड़कर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। नीबू पानी से सुबह – शाम गरारे करें। इससे गले में जमा हुआ कफ भी निकल जायेगा तेज जुकाम हो तो एक गिलास उबलते हुए गर्म पानी में एक नीबू इच्छानुसार शहद मिलाकर रात को सोते समय पियें।
( 5 ) एक नीबू मोटे कपड़े में लपेटकर ऊपर से मिट्टी का लेप करके भोभल ( मंद आग ) में सेंकें। सिकने के बाद नीबू निकालकर काटकर गर्म – गर्म को ही चूस लें। जुकाम शीघ्र ठीक हो जायेगा।
पेट दर्द , सिरदर्द तथा जुकाम- चाय में दूध के स्थान पर नीबू निचोड़कर पियें। यह नित्य तीन बार जब तक दर्द रहे, पियें। नीबू के छिलके पीसकर दर्द वाले स्थान पर लेप करें।
गला बैठना — गला बैठ जाए, गले में ललाई या सूजन हो जाए तो ताजा पानी या गर्म पानी में नीबू निचोड़कर नमक डालकर तीन बार गरारे करने से लाभ होता है।
नकसीर ( एपिसटेक्सिस )- ( 1 ) नीबू के रस की चार बूँद जिस नथुने से रक्त आ रहा हो, उसमें डालने से तुरन्त रक्त आना बन्द हो जाता है।
( 2 ) मूली पर नीबू निचोड़कर, नित्य खाते रहने से बार – बार नकसीर आना बन्द हो जाता है।
( 3 ) आँवला , अंगूर , गन्ना , नीबू में से किसी एक के रस की चार बूँद नाक में डालने से नकसीर आना बन्द हो जाता है।
( 4 ) पानी में मिश्री घोलकर तीन बूँद नाक में डालने से नाक से रक्त आना बन्द हो जाता है।
साँस फूलना – नीबू के रस को शहद में मिलाकर चाटने से बच्चों का साँस फूलना बन्द हो जाता है।
मोटापा – ( 1 ) एक नीबू, नमक, पाव भर गुनगुने पानी में मिलाकर भूखे पेट प्रातः पीने से मोटापा कम होता है। यह लगातार एक दो माह लें। यह गर्मी के मौसम में ज्यादा उपयोगी है। यदि शहद भी मिलायें तो ज्यादा अच्छा है। इसके बाद दिन में जब भी प्यास लगे, पानी में नीबू, शहद मिलाकर यें। शहद मिलायें तो नमक न मिलायें।
( 2 ) 3 माह सुबह शाम भूखे पेट नीबू का पानी पीने से मोटापा घटता है।
( 3 ) 125 ग्राम पानी उबालकर जब गुनगुना रह जाये तब तीन – तीन चम्मच नीबू का रस तथा शहद मिलाकर पियें। मोटापा कम होगा। यह भूखे पेट दो महीने पियें। भोजन एक बार करें। कसरत, योग, प्राणायाम नित्य करें। चोकर की रोटी, हरी सब्जियाँ खायें। शाम को फलाहार करें। भोजन के तुरन्त बाद जितना तेज गर्मागर्म पानी पिया जा सके, दो माह पियें।
यात्रा – यात्रा करते समय नीबू का सेवन करने से जी नहीं मिचलाता और यात्रा सुखद रहती है।
पर्वतारोहण – ऊँचे पहाड़ों पर चढ़ने वालों के लिए नीबू का सेवन लाभदायक है। नीबू पानी पीकर पहाड़ी पर चढ़ें, चलें, यात्रा आरम्भ करें। चढ़ते समय नीबू पानी पीते रहें। प्राणवायु की कमी होने, साँस लेने में कठिनाई होने पर नीबू पानी पियें। नीबू पानी मीठा, फीका, नमकीन इच्छा और स्वादानुसार पियें।
दाँतों की मजबूती — शौचालय में जब तक मल त्याग करें दाँत भींचकर रखें, मजबूत रहेंगे, हिलेंगे नहीं। प्रातः भूखे पेट फीका नीबू चूसें। नीबू चूसने के एक घण्टे बाद तक कुछ भी नहीं खायें। दाँत मजबूत रहेंगे और दाँत दर्द में भी लाभ होगा। दाँतों, मसूढ़ों में रक्तस्राव हो तो नीबू की फाँक निचोड़कर आधा रस निकालकर इस फाँक से दाँत व मसूढ़े रगड़ें। मसूढ़ों से रक्तस्राव बन्द हो जायेगा। मसूढ़े ढीले पड़ गये हों तो नीबू की मीठी शिकञ्जी प्रतिदिन दो बार एक महीने तक पियें।
दाँतों की सफाई व दाँतों का पीलापन– ( 1 ) नीबू की आधी निचोड़ी फाँक पर चार बूँद सरसों का तेल, जरा – सा नमक और हल्दी डालकर दाँतों को रगड़ें। दाँतों का पीलापन दूर होकर दाँत साफ हो जायेंगे।
( 2 ) नीबू के छिलके सुखाकर पीस लें। इसमें थोड़ा सा खाने का सोडा और नमक मिलाकर मञ्जन करें। दाँत चमकने लगेंगे, साफ रहेंगे। दाँतों के सामान्य रोग ठीक हो जायेंगे।
( 3 ) नीबू के रस में ब्रुश डूबोकर मञ्जन करने से दाँत चमकने लगते हैं। दाँतों को नीबू के रस से रगड़ें।
( 4 ) नीबू के छिलकों को धूप में सुखाकर पीस लें और मञ्जन के रूप में काम में लें। इससे दाँत साफ होंगे और साँस की बदबू दूर होगी। नमक, सरसों का तेल और नीबू का रस मिलाकर नित्य मञ्जन करने से दाँत मजबूत होते हैं, प्रायः सभी रोग मिट जाते हैं। निचोड़े हुए नीबू के छोटे – छोटे टुकड़े करके दाँत साफ करने से दाँत चमकने लगते हैं।
( 5 ) नीबू के छिलके सुखाकर पीस लें। छिलकों के तोल का एक भाग पिसी हुई फिटकरी मिला लें। इससे नित्य मञ्जन करने से दाँत चमकदार होते हैं। मसूढ़ों को शक्ति मिलती है।
दाँत दर्द— ( 1 ) तीन लौंग को नीबू के रस में पीसें। यदि दाँत में छेद हो तो रुई के फोये में इसे लेकर दांत में भर दें अन्यथा उससे दाँतों को मलें, दर्द दूर हो जायेगा।
( 2 ) एक नीबू के चार टुकड़े करके उन पर नमक डालकर एक के बाद एक गर्म करते जायें और एक एक टुकड़े को क्रमश: दुखते दाँत, दाढ़ पर रखकर दबायें। इस प्रकार एक के बाद एक चारों टुकड़े दबायें। इससे दाँत दर्द में लाभ होगा।
दाँतों के रोग — ताजा पानी में नीबू निचोड़कर कुल्ले करने से दाँतों के रोगों में आराम मिलता है। मसूढ़े फूलना, मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है। निचोड़े हुए नीबू से दाँत रगड़ने से दाँत साफ, सुन्दर और चमकदार होते हैं। नीबू में मिलने वाला विटामिन ‘ सी ‘ , ‘ ए ‘ तथा ‘ डी ‘ के साथ मिलकर बच्चों में हड्डियों तथा दाँतों के स्वस्थ विकास में सहायता करता है। पायोरिया नीबू का रस और शहद मसूढ़ों पर मलते रहने से रक्त और पीप निकलना बन्द हो जाता है और दाँत मजबूत हो जाते हैं। पानी में नीबू निचोड़कर कुल्ले भी करें। हृदय रोगियों के लिए नीबू लाभदायक है।
पाँवों में पसीना – गर्म पानी के दो गिलास में एक नीबू का रस मिलाकर पगतलियों का सेंक करें, फिर इसी पानी से पगतलियाँ धोयें। गुप्तांगों की खुजली में नीबू की फाँक रगड़ें। तनिक जलन, चिरमिराहट होगी लेकिन खुजली ठीक हो जायेगी। अण्डकोश, जननांगों पर नीबू का रस लगायें।
खुजली– ( 1 ) नीबू चूसें एवं नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर मालिश करने से खुजली में लाभ होता है यदि खुजली में दाने हों तो समान मात्रा में नीबू का रस और नारियल का तेल मिलाकर इतना गर्म करें कि रस जल जाये फिर इसे खुजली वाली जगह नित्य तीन बार मलें। खुजली मिट जायेगी। नीबू के रस को नारियल के तेल में गर्म करके लगायें। नीबू में फिटकरी भरकर खुजली वाली जगह पर रगड़ें।
( 2 ) गर्म पानी में नीम्बू निचोड़कर स्नान करने से खुजली मिट जाती है।
( 3 ) नहाने से पहले नीबू की फाँक में पिस हुई फिटकरी भरकर खुजली वाली जगह रगड़ें । दस मिनट बाद स्नान करें। खुजली में लाभ होगा।
शरीर की कोमलता- दो चम्मच आटा, चार चम्मच दूध, एक चुटकी हल्दी और एक नीबू का रस मिलाकर गूँथ लें और नहाने से पहले शरीर पर मलें, दस मिनट बाद नहायें। साबुन न लगायें। इससे शरीर की कोमलता देगी। त्वचा के रूखेपन पर नीबू भूल कर भी नहीं लगाना चाहिए, यह त्वचा को और भी रूखी कर देता है , तैलीय त्वचा पर नीबू मलने से तेल निकल जाता है।
घट्टा ( Corns ) – घट्टा ( पैरों में कील, कठोर गाँठ ) पर नीबू का रस लगाकर से नर्म पड़ जाते हैं। इस पर एक फाँक नीबू की भी बाँध सकते हैं। यह अनुभूत सफल प्रयोग है ।
रक्तशोधक, चर्म रोग – नित्य प्रातः तथा शाम को नीबू पानी पियें। चर्म रोग वाले अंगों पर नीबू रगड़कर स्नान करें। लाभ होगा। दो करेले पीसकर इसकी लुगदी पतले कपड़े में लेकर निचोड़कर, रस निकालकर इसमें आधा नीबू निचोड़ें, तीन चम्मच पानी डालकर मिलाकर पियें। इससे रक्त साफ होकर फोड़े फुंसी ठीक हो जाते हैं।
रक्तशुद्धि- नीबू रक्त शुद्ध करता है। नीबू को गर्म पानी में निचोड़कर दिन में नित्य तीन बार पीना चाहिए। पानी चाय की तरह गर्म होना चाहिए। रक्त सम्बन्धी अधिकांश दोष पाचन सम्बन्धी गड़बड़ियों के कारण ही उत्पन्न होते हैं। प्रतिदिन नीबू गर्म पानी में निचोड़कर पीने से कब्ज़ पूर्णत : नष्ट हो जाता है। शरीर के पाचन तंत्र के नियमित काम करने से भोजन आसानी से पचता है और रक्त वृद्धि होती है।
दाद ( Eczema )- दाद को खुजलाकर दिन में चार बार , चार सप्ताह नीबू का रस लगाने से वह ठीक हो जाता है।
हाथों , अंगुलियों में खुश्की हो, हथेलिया खुरदरी, त्वचा खुरदरी हो, फटती हो तो नीबू का रस व चीनी 1-1 चम्मच मिलाकर हाथों में मलें, आपस में रगड़ें। इससे त्वचा की गर्मी निकल जायेगी, त्वचा मुलायम हो जायेगी, खुजली नहीं चलेगी।
फोड़े – फुंसी, पेट खराब होने पर अदरक, नीबू, सेंधा नमक तीनों का मिश्रित अर नित्य सुबह – शाम खाने से लाभ होता है।
चर्म रोग– नीबू चर्म को साफ करता है। चर्म के समस्त रोग फोड़ा – फुंसी, दाद, खाज आदि में नींबू का रस लगाने या नीबू को पानी में निचोड़कर धोने, नहाने से लाभ होता है। प्रातः दो नीबू पानी में निचोड़कर नित्य पीने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। कान से पीप निकलना और नासूर भी ठीक हो जाते हैं। इस प्रयोग में गुड़ , शक्कर , दालें न खायें।
धूप से जलना ( Sun Burn )- ( 1 ) यदि धूप से रंग काला होता है तो आधा कप कच्चे दूध में आधा नीबू निचोड़कर मिलाकर चेहरे, हाथ – पैरों पर लगायें, मलें। धूप से जलने के दुष्प्रभाव नष्ट हो जायेंगे।
( 2 ) नीबू और छाछ मिलाकर लगाने से धूप के कारण काला हुआ चेहरा निखर उठता है। चेहरे पर झुर्रियाँ हों तो दो चम्मच ग्लिसरीन में आधा चम्मच गुलाबजल एवं नीबू का रस मिलाकर रात्रि को चेहरे पर लगायें।
अलाइयाँ ( Prickly Heat )- गर्मी के मौसम में शरीर में अलाइयाँ, घमौरियाँ निकलती हैं। दिन में तीन बार नीबू पानी पीने से अलाइयाँ ठीक हो जाती हैं और फिर नहीं निकलतीं। अलाइयों पर नीबू का रस भी लगायें।
धब्बे – सूती , ऊनी , सिल्कन , टेरीन , कैसा भी कपड़ा हो , नीबू का रस लगाकर से दाग – धब्बे दूर हो जाते हैं। पीतल के बर्तनों के धब्बे भी दूर हो जाते हैं।
पसीने की दुर्गन्ध- नीबू के पत्तों को पीसकर मलने से पसीने की दुर्गन्ध दूर होती है। जहाँ कहीं दुर्गन्ध युक्त पसीना आता हो, विशेषकर बगल में, जहाँ अधिकतर पसीना आता है, नीबू के पत्ते पीसकर मलें, दुर्गन्ध नहीं आयेगी।
विषैले दंश— डॉ . हैरिंग ने कहा है कि यदि मच्छर काटने पर तेज दर्द हो तो उस पर नीबू का रस लगायें। इसका रस नमक के साथ मिलाकर बिच्छू, मकड़ी, बर्र व मधुमक्खी के काटे स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। खटमल, पिस्सू काटने पर नीबू लगाना चाहिए।
हृदय की धड़कन — नीबू ज्ञान – तन्तुओं की उत्तेजना को शान्त करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्त – वाहिनियों को शक्ति मिलती है।
रक्तचाप और हृदय की दुर्बलता – हृदय की कमजोरी दूर करने के लिए नीबू में विशेष गुण हैं। इसके निरन्तर प्रयोग से रक्तवाहिनियों में लचक और कोमलता आ जाती है और इनकी कठोरता दूर हो जाती है। इसलिए उच्च रक्तचाप जैसे रोग को दूर करने में नीबू उपयोगी है। इससे बुढ़ापे तक हृदय शक्तिशाली बना रहता है एवं हृदयाघात ( Heart Attack ) का भय नहीं रहता है। कैसा भी ब्लडप्रेशर हो, पानी में नीबू निचोड़कर दिन में कई बार पीने से लाभ होता है। प्रातः एक नीबू का रस गर्म पानी में मिलाकर पीना हितकारी है।
हृदय रोग और उच्च रक्तचाप के रोगी नित्य तीन बार नीबू का पानी पीते रहें, मस्त रहें। आशातीत लाभ होगा।
रक्तस्राव — फेफड़े , आमाशय, गुर्दा, गर्भाशय और मूत्राशय से रक्त आने पर नीबू का रस ठण्डे पानी में मिलाकर दिन में तीन बार पीते रहने से आराम आ जाता है।
कमर दर्द — चौथाई कप पानी में आधा चम्मच लहसुन का रस और एक नीबू का रस मिलाकर नित्य दो बार पियें। यह पेय कमर दर्द में लाभदायक है।
समान मात्रा में नीबू का रस और अदरक का रस ( 1-1 चम्मच ) मिलाकर गर्म करके कमर दर्द वाली जगह पर लेप करें।
नीबू और अदरक का रस काँच की बोतल में भरकर फ्रीज में रखने से खराब नहीं होता।
यूरिक अम्ल- वात रोग को उत्पन्न करने वाली यूरिक अम्ल का नाश नीबू से हो जाता है। यूरिक अम्ल को नष्ट करने हेतु प्रातः भूखे पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नीबू का रस तथा आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें। पेशाब के द्वारा शरीर में व्याप्त सारा विष निकल जायेगा। शरीर कंचन की तरह चमकने लगेगा।
आमवात, गठिया, जोड़ों के दर्दों में नित्य प्रातः एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर पियें। दर्द वाली जगह पर नीबू की फाँक रगड़कर स्नान करें।
घुटनों का दर्द — बड़ी आयु के लोग प्रायः घुटनों के दर्द से दुःखी रहते हैं। उनका उठना, चलना भी दुःखदायी रहता है। औषधियों से इस दर्द में आशातीत लाभ नहीं होता। घुवनों से सम्बन्धित कसरत, व्यायाम करें तथा नीबू, गाजर, खीरा, चुकन्दर सब स्वादानुसार मिलाकर रस निकालकर एक गिलास नित्य दो बार पियें। घुटनों के दर्द में लाभ होगा।
जोड़ – जोड़ों पर नीबू का रस मलते रहने से जोड़ों का दर्द और सूजन दूर हो जाती है। नीबू का रस आमाशय, आँतों और रक्त की अम्लता ( खटास ) की अधिकता को कम कर देता है, जिससे जोड़ों का दर्द, स्नायु का दर्द, बहुत अधिक कमजोरी आदि रोग दूर हो जाते हैं। नीबू खट्टा होने पर भी इसका स्वभाव क्षारीय ( खारा ) और अम्लता को दूर करने वाला है।
गठिया – एक गिलास पानी में नीबू निचोड़कर नित्य प्रातः पीते रहने से लाभ होता है।
रोहिणी ( Diphtheria ) – डॉ . ई . पी . एन्शूज ने अपनी पुस्तक ‘ थेराप्यूटिक बाइ वेज ‘ में लिखा है कि जर्मनी के एक डॉक्टर ने नीबू के रस से 80 रोगियों को ठीक किया, केवल 1 रोगी ठीक नहीं हो पाया। वे नीबू को पानी में मिलाकर गरारे कराते थे या रोगी को नीबू का थोड़ा – सा रस चूसने को कहते थे।
पेशाब का रंग पीला – पानी में नीबू निचोड़कर बार – बार पीने से पीला पेशाब ठीक हो जाता है।
पेशाब रुकना – नीबू के बीजों को पीसकर नाभि पर रखकर ठण्डा पानी डालें। इससे रुका हुआ पेशाब होने लगता है।
पथरी – एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर सेंधा नमक मिलाकर नित्य सुबह शाम एक महीना पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है। नीबू में नमक भरकर चूस भी सकते हैं। नीबू में पोटेशियम साइट्रेट होता है जो पथरी बनना रोकता है।
पथरी का दर्द – अंगूर के साठ पत्तों पर आधा नीबू निचोड़कर पीसकर चटनी बना लें। इसकी दो चम्मच हर दो घण्टे से तीन बार खाने से पथरी से होने वाला दर्द दूर हो जायेगा।
वर्षा ऋतु के रोग – वर्षा ऋतु में पेट के रोग जैसे हैजा, दस्त ( डायरिया ), आंत्रशोथ के तथा पीलिया आदि रोगों में नीबू का उपयोग बहुत गुणकारी रहता है। इसके अतिरिक्त नीबू का ताजा रस यकृत कोशिकाओं में आने वाली विषाक्तता को दूर करके यकृत सम्बन्धी रोग दूर करता है। वर्षा में ज्वर, फोड़े – फुंसी बहुत होते हैं। नीबू का सेवन इनमें लाभदायक है। गर्म जल में नीबू मिलाकर कम – से – कम 95 दिन नित्य पीना चाहिए।
बाल गिरना, फरास ( Dandruff )- ( 1 ) एक नीबू के रस में तीन चम्मच चीनी, तीन चम्मच पानी मिलाकर, घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घण्टे बाद अच्छे साबुन से सिर धोने से फरास दूर हो जाती है। बाल गिरना बन्द हो जाते हैं।
( 2 ) सिर में नीबू की रस भरी फाँक रगड़कर स्नान करने से बाल गिरना बन्द होते हैं। रूसी दूर हो जाती है और बालों में चमक भी आ जाती है।
गंजापन– ( 1 ) नीबू के बीजों पर नीबू निचोड़कर, पीसकर बाल उड़ी जगह ( गंज ) पर लेप करें। चार – पाँच महीने लगातार लगाने पर बाल उग आते हैं। नीबू के रस में आँवला पीसकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल जल्दी बढ़ते हैं।
( 2 ) तीन चम्मच चने के बेसन में एक नीबू का रस, थोड़ा पानी डालकर गाढ़ा घोल बनाकर गंज पर लेप करके सूखने पर धोयें। फिर समान मात्रा में नारियल का तेल, नीबू का रस मिलाकर सिर में लगायें। बाल आ जायेंगे।
( 3 ) बाल शैम्पू करने के बाद एक मग पानी में एक नीबू का रस निचोड़कर अन्तिम बार उस पानी से बालों को धोयें। इससे बाल चमक उठेंगे। दो मग पानी में नीबू का रस डालें और फिर इसे बालों में अच्छी तरह से मलें थोड़ी देर के बाद बालों को साफ पानी से धो दें। ऐसा करने से बालों की चमक स्वाभाविक रूप से बढ़ती है और उनका झड़ना टूटना भी रुकता है। चाय पानी में उबालकर छान लें, उसमें एक नीबू का रस मिलायें शैम्पू करने के तुरन्त बाद इससे बालों को धोयें। इससे रूखे बालों में चमक आ जायेगी।
बाल काले करना व अन्य रोग- नीबू के रस में पिसा हुआ आँवला मिलाकर सफेद बालों पर लेप करने से बाल काले होते हैं। इससे बालों के अन्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
बाल काले करना – ( 1 ) एक नीबू का रस, दो चम्मच पानी, चार चम्मच पीसा हुआ आँवला मिला लें। यदि पेस्ट नहीं बने तो पानी और मिला लें। इसे एक घण्टा भीगने दें। फिर सिर पर लेप करें। एक घण्टे बाद सिर धोयें। साबुन, शैम्पू धोते समय नहीं लगायें। धोते समय पानी आँखों में नहीं जाये इसका ध्यान रखें। यह प्रयोग हर चौथे दिन करें। कुछ महीनों में बाल काले हो जायेंगे।
( 2 ) पाँच नीबू निचोड़े छिलकों को छाया में सुखाकर कूट कर सौ ग्राम नारियल के तेल में डालकर सात दिन धूप में रखें। नित्य एक बार हिला दें फिर छानकर नित्य बालों की जड़ों में लगायें बाल काले, घने हो जायेंगे। मिनट बाद तेल मिलाकर लगायें। बाल काले, घने हो जायेंगे।
सिर में फुंसियाँ, खुजली, त्वचा सूखी और कठोर हो तो बालों में दही लगाकर दस मिनट बाद सिर धोयें। बाल सूख जाने पर समान मात्रा में नीबू का रस और सरसों का तेल मिलाकर लगायें। यह प्रयोग लम्बे समय तक करें।
जुएँ– समान मात्रा में नीबू का रस और अदरक का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से जुएँ मर जाती हैं। यह लगाकर एक घण्टे बाद सिर धोयें। सिर धोने के बाद नीबू का रस और सरसों का तेल समान मात्रा में मिलाकर नित्य बालों में लगायें।
बाल गिरना , पकना— ( 1 ) स्नान से पहले नीबू के रस से सिर की मालिश करने से बालों का पकना, गिरना दूर हो जाता है एवं जुएँ भी नष्ट हो जाती हैं। रात को सोते समय नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर सिर में मालिश करें।
( 2 ) नीबू के रस में बड के पेड़ की जटा पीसकर थोड़े पानी में घोलकर बालों की जड़ों में लगायें तथा बाल भिगोकर दस मिनट बाद धोयें। बाल गिरना बन्द हो जायेंगे।
फरास ( Dandruff)- ( 1 ) दो नीबू का रस, चार चम्मच पानी, चार चम्मच चीनी सब घोलकर बालों की जड़ों में लगायें। आधे घण्टे बाद सिर धोयें।
( 2 ) फरास होने पर नारियल के तेल में नीबू मिलाकर रात को बालों की जड़ों में लगायें। नीबू के रस को पानी में मिलाकर सिर धोने से बाल मुलायम होते हैं। नीबू को काटकर सिर में रगड़ें और रस सूखने दें, फिर धोयें। इससे फरास दूर हो जाती है।
सुप्रसव ( Easy Delivery )- यदि चौथे माह से प्रसवकाल तक गर्भिणी एक नीबू की शिकञ्जी ( पानी में शक्कर और नीबू निचोड़कर ) नित्य पिये तो प्रसव सरलता से बिना कष्ट के होता है।
स्तन में फोड़ा हो तो समान मात्रा में नीबू का रस और शहद लगाकर स्त्री के स्तन पर पट्टी करें। भूखे पेट गर्भावस्था की उल्टी में नीबू की शिकञ्जी पिलायें। गर्भस्राव ( Abortion )- नमकीन शिकञ्जी ( नीबू , नमक व पानी ) में विटामिन ‘ ई ‘ होता है। विटामिन ‘ ई ‘ स्त्री को गर्भधारण में सहायता करता है। गर्भ की रक्षा करता है, गर्भस्राव रोकता है। सुबह – शाम नमकीन शिकञ्जी पीने से विटामिन ‘ ई ‘ की पूर्ति हो जाती है। जिनको गर्भस्राव होता हो, वे नमकीन शिकञ्जी पियें तथा रात को सोते समय पाँवों के नीचे तकिया रखें।
यक्ष्मा ( टी.बी. ) – ( 1 ) हींग 2 ग्राम जीरा एक चम्मच दोनों को सेंककर, तुलसी के ताजा पत्ते 20 नग, सेंधा नमक चौथाई चम्मच सबको पीसकर एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर एक नीबू निचोड़कर मिला लें और इस प्रकार तैयार कर यह पेय नित्य तीन बार तीन महीने पिलाते रहें।
( 2 ) एक गिलास दूध में 4 ताजा हरे पत्ते पीपल वृक्ष के डालकर उबाल कर दूध छानकर प्रातः व रात को सोते समय पिलाते रहें। रोगी को पूर्ण आराम की सलाह दें। टी.बी. ( क्षय रोग ) ठीक हो जायेगा।
( 3 ) जिसे लगातार ज्वर रहता हो, उसे 11 पत्ती तुलसी, स्वादानुसार नमक, जीरा, हींग, एक गिलास गर्म पानी, 25 ग्राम बू मिलाकर दिन में तीन बार कुछ दिन पीना चाहिए।
मधुमेह ( Diabetes )- मधुमेह में प्यास अधिक होने पर पानी में नीबू निचोड़कर पिने से लाभ होता है। नित्य प्रातः नीबू पानी पीते रहें। लाभ होगा।
दमा ( Asthma ) – दमा का दौरा पड़ने पर गर्म पानी में नीबू निचोड़कर पिलाने से लाभ होता है। दमा के रोगी को नित्य प्रातः एक नीबू, दो चम्मच शहद और एक चम्मच अदरक का रस, एक कप तेज गर्म पानी में पीते रहने से बहुत लाभ होता है। यह दमा के दौरे के समय भी ले सकते हैं। हृदय रोग, ब्लडप्रेशर, पाचन संस्थान के रोग एवं उत्तम स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए लाभदायक है।
मिरगी- जरा सी हींग, नीबू के साथ चूसने से लाभ होता है।
व्याकुलता — धूप में घूमने, अधिक श्रम करने से व्याकुलता हो तो ठण्डे पानी में निचोड़कर पियें।
हिस्टीरिया — गर्म पानी में नीबू , नमक , जीरा , भुनी हुई हींग, पोदीना मिलाकर पियें। यह प्रयोग कम – से – कम एक माह करें।
सावधानी – पैर के जोड़ों में दर्द, गले के टॉन्सिल, पेट में घाव ( Ulcer ) के रोगी को नीबू नहीं देना चाहिए। ऐसे लोग भी सावधानीपूर्वक नीबू के प्रयोग करें जिन्हें नीबू के प्रयोग से चक्कर आते हैं या निम्न रक्तचाप ( Low Blood Pressure ) हो जाता है।
सौंदर्यवर्धक- ( 1 ) चार चम्मच आटा जौ या चने का, आठ चम्मच दूध, आधा चम्मच हल्दी और दो नीबू का रस सबको मिलाकर, हाथ, मुँह, शरीर पर मलें। सूखने पर रगड़कर, उतारकर बिना साबुन लगाये स्नान करें। इससे शरीर मुलायम एवं सुन्दर होगा।
( 2 ) हल्दी और मसूर की दाल समान मात्रा में एक कप, इसमें एक नीबू का रस और पानी डालकर रात को भिगो दें। प्रातः पीसकर चेहरे, हाथ व गले पर मलकर 15 मिनट बाद स्नान करें। शरीर में रूप लावण्य झलकने निखरने लगेगा।
( 3 ) हरे मटर के दानों पर नीबू निचोड़कर, थोड़ा – सा पानी डालते हुए पीस लें। इसे चेहरे व हाथों पर मलकर आधा घण्टे बाद धोयें। जहाँ भी लगायेंगे, वह स्थान सुन्दर लगेगा।
( 4 ) आधा कप गाजर के रस में आधा चम्मच शहद, चौथाई नीबू का रस मिलाकर चेहरे तथा त्वचा के दाग, धब्बों पर लगाकर आधे घण्टे बाद धोयें। त्वचा कान्तिमय हो जायेगी।
( 5 ) चार चम्मच खीरे का रस, आधा नीबू, चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर चेहरे, गर्दन हाथों व बाँहों पर लगायें। आधा घण्टे बाद धोयें। इससे शरीर का श्याम रंग साफ होकर गोरापन आ जाता है। यह प्रयोग एक महीना करें।
( 6 ) समान मात्रा में नीबू का रस व कच्चा दूध तथा चने का बेसन मिलाकर चेहरे, गर्दन व त्वचा पर जहाँ सुन्दरता बढ़ानी हो, नित्य लगाते रहें। सूखने पर रगड़ – रगड़कर उतारकर धोयें। रंग गोरा होगा। रूप रंग निखरेगा, सुन्दरता बढ़ेगी।
( 7 ) दूध में चार चम्मच चने की दाल रात को भिगो दें। प्रातः दाल पीस लें। इसमें चौथाई नीबू का रस, चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाकर आधा घण्टे बाद या सूखने पर धोयें। यह प्रयोग एक महीना, तीन दिन में एक बार करें। चेहरा आकर्षक बन जायेगा। आधा चम्मच मलाई ( दूध पर जमने वाली ) पर थोड़ा सा नीबू निचोड़कर मिलाकर चेहरे पर मलने से चेहरे का रंग साफ होता है।
( 8 ) नीबू और नारङ्गी के छिलके सुखाकर, मिलाकर पीस लें। इसकी चार चम्मच दूध में पेस्ट बनाकर चेहरे पर मलें। 15 मिनट बाद धोयें। त्वचा सुन्दर हो जायेगी। इस पाउडर के प्रयोग की दूसरी विधि यह है कि दूध न डालकर थोड़ा – सा बेसन मिलाकर गुलाबजल डालकर लेप बनाकर लगायें। इन प्रयोगों को बारी – बारी से भी कर सकते हैं। ये दोनों प्रयोग त्वचा को स्वस्थ, चिकनी और उजली बनाते हैं।
( 9 ) स्नान करते समय चेहरे पर साबुन लगाकर, नीबू की फाँक से रगड़कर धोयें। चेहरे की झुर्रियाँ दूर होंगी, चेहरा सुन्दर लगने लगेगा।
( 10 ) रात को सोते समय चेहरे पर नीबू रगड़कर सोयें। प्रातः धोयें। चेहरे के धब्बे साफ हो जायेंगे।
( 11 ) हल्दी पर नीबू निचोड़कर पीस लें तथा चेहरे पर लगाकर एक घण्टे बाद धोयें। चेहरे के काले दाग , झाँइयाँ दूर हो जाती हैं।
( 12 ) नीबू निचोड़ी हुई फाँक से होंठों को रगड़ें। होंठों का कालापन दूर हो जायेगा।
( 13 ) स्नान करते समय नीबू को शरीर पर मलने से त्वचा का रंग साफ हो जाता है।
( 14 ) नीबू के रस में तुलसी के पत्ते पीस लें और चेहरे पर मलते हुए लेप कर लें। सूख जाने पर धो डालें। इससे चेहरे की त्वचा के सभी तरह के दाग – धब्बे मिट जाते हैं और चेहरा कान्तिमय हो जाता है।
( 15 ) एड़ियाँ फटी हों तो प्रयोग किये हुये नीबू को भीतर की ओर से एड़ियों पर रगड़ें, कुछ ही दिनों में एड़ियाँ भर जायेंगी।
( 16 ) हाथ-पाँव अथवा गले की त्वचा पर कालिमा आ गयी हो, तो नीबू की फाँक नियमित रूप से रगड़ें, त्वचा निखर जायेगी।
( 17 ) चेहरे के सूक्ष्म रोम कूपों को साफ करने के लिए नीबू काटकर धीरे – धीरे त्वचा पर रगड़ें। इससे रोम कूप तो साफ होंगे ही, साथ ही कील, मुँहासे आदि समाप्त होकर चेहरा चमकने लगेगा।
( 18 ) शहद और नीबू मिलाकर चेहरे पर लगायें। इससे चेहरा दाग, धब्बों, आदि से मुक्त होकर कांतिमय हो जायेगा और आँखों को भी आराम मिलेगा। टमाटर का रस, नीबू का रस और कच्चा दूध मिलाकर नहाने से 15 मिनट पहले बाँहों की त्वचा पर लगायें।
( 19 ) नीबू का रस, बेसन, मैदा एवं शहद चारों एक – एक चम्मच यानि बराबर मात्रा में लेकर थोड़े से पानी के साथ फेंटकर लेप बना लें और चेहरे पर कुछ देर तक खूब अच्छी तरह मलें। फिर स्वच्छ जल से धो लें। निरन्तर कुछ दिनों तक ऐसा करने से चेहरे के अनावश्क बाल हट जाते हैं।
( 20 ) एक कप में दही और एक नीबू का रस मिलाकर सिर के बाल, चेहरे, हाथ आदि पर मलें। इसके 15 मिनट बाद स्नान करें। इससे सौंदर्य बढ़ेगा। सौंदर्य बढ़ाने की अन्य विधि है — टमाटर और नीबू का रस तथा दूध समान मात्रा में मिलाकर त्वचा पर लगायें। लगाने के 15 मिनट बाद स्नान कर लें त्वचा का सौंदर्य बढ़ेगा। कोहनी की त्वचा प्रायः सख्त एवं काली पड़ जाती है। निचोड़े नीबू पर कोहनियाँ रखकर 15 मिनट बैठे रहें और फिर धो लें या स्नान कर लें तो कोहनियाँ सुन्दर हो जायेंगी।
( 21 ) नीबू के रस की 5 बूँद एक चम्मच दूध की मलाई में मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे का रंग साफ और उजला होता है।
( 22 ) नहाने के पानी में एक नीबू का रस निचोड़कर नहाने से त्वचा उजली और ताजा होती है।
( 23 ) पानी में एक नीबू का रस डाल दें और सिर के बाल धोने के बाद अन्त में इस पानी से बाल धोयें बाल चमकीले और मुलायम रहेंगे।
( 24 ) नीबू का रस, जौ, बाजरा व चावल का आटा तथा हल्दी – पाँचों 1 -1 चम्मच लेकर मिला लें, जरा – सा जैतून का तेल मिलाकर गाढ़ा उबटन बना लें। इसे चेह पर मसलें। थोड़ी देर बाद चेहरे को धो डालें। रंग साफ करने वाला यह बेजोड़ उबटन है।
त्वचा की कांति के लिए- रोजाना प्रातः गुनगुने पानी में आधा नीबू का रस और थोड़ा – सा शहद मिलाकर पीने से चेहरे और शरीर की त्वचा में निखार आता है और आँखों में चमक आती है। अपनी त्वचा में कांति लाने के लिए समान मात्रा में नीबू का रस और कच्चा दूध मिलाकर रुई के फोहे से त्वचा पर मलें, त्वचा में निखार आएगा। त्वचा को कोमल और चमकीली बनाने के लिए नीबू का रस, गुलाबजल व खीरे का रस बराबर मात्रा में मिलाकर गर्दन, चेहरे और हाथों पर मलें, 20 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें। कोहनी, -एड़ी, टखनों पर जमे मैल को साफ करने के लिए आधा नीबू लेकर मलें, फिर पानी से धो लें, मैल निकल जायेगा और कोहनी, एड़ी तथा टखने चमक उठेंगे। रात को सोते समय एक चम्मच मलाई में कुछ बूँदें नीबू के रस की मिलाकर चेहरे पर मलें। सुबह चेहरा धो लें। इससे चेहरे के दाग कम हो जाते हैं। प्रातः नंगे बदन धूप सेवन से सौंदर्य बढ़ता है। यदि आपकी त्वचा तैलीय है, तो दिन में कई बार नीबू का पानी पियें, त्वचा का तैलीयपन कम हो जायेगा। तैलीय त्वचा पर मुँहासे होते हैं, मुँहासों से छुटकारा पाने के लिए नीबू का रस, गाजर का रस और थोड़ी – सी चीनी मिलाकर पीने से मुँहासों से बचा जा सकता हैl
चकत्ते ( Freckles )- त्वचा पर जहाँ कहीं भी चकत्ते हों, उन पर नीबू का टुकड़ा रगड़ें। नीबू में फिटकरी भरकर रगड़ें। इससे चकत्ते हल्के होते हैं और त्वचा में निखार आ जाता है। हाथ धोकर नीबू का रस रगड़ने से हाथ नरम हो जाते हैं, नाखून सुन्दर हो जाते है।
चेहरे पर धब्बे- नीबू के रस में समुद्र का झाग पीसकर मिला लें। रात को मुँह पर हुए धब्बों पर इसे लगायें। कुछ दिनों में धब्बे साफ हो जायेंगे। समुद्र का झाग न मिलने पर केवल नीबू का रस ही रगड़ें। आँखों के नीचे काले दागों पर नीबू का रस दूध की मलाई में मिलाकर लगायें।
सुन्दरता के लिए- नीबू रक्त को शुद्ध करता है, त्वचा को स्वस्थ, कान्तिमय बनाता है। नीबू का रस , गुलाबजल, ग्लिसरीन — तीनों समभाग में मिलाकर शीशी में भर लें। रात को सोने से पहले मुँह पर लगायें। नीबू और नमक पानी में मिलाकर स्नान करने से शरीर सुन्दर बनता है। नीबू के पानी से बालों को धोने से बाल सुन्दर बनते हैं। सर्दी में हाथ पैर फटना ठीक हो जाता है। ग्लिसरीन न होने पर खोपरे के तेल में नीबू मिलाकर काम में ले सकते हैं। हाथों को सुन्दर बनाने के लिए एक पके टमाटर का रस, नीबू का रस तथा ग्लिसरीन बराबर मात्रा में मिलाकर हाथों को धोने के बाद मालिश करें। सूख जाने पर धो दीजिए। मुल्तानी मिट्टी तथा नीबू का रस चेहरे पर लगायें।
मुँहासे ( Pimples , Acnes ) —– ( 1 ) तिलों पर नीबू निचोड़कर चटनी की तरह पीसकर चेहरे पर मलकर लेप कर दें। दो घण्टे बाद धोयें। चेहरे की त्वचा मुलायम होकर मुँहासे ठीक जायेंगे।
( 2 ) दालचीनी पीसकर पाउडर बना लें। चौथाई चम्मच पाउडर में कुछ बूँदें नीबू के रस की डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगायें। एक घण्टे के बाद धोयें। मुँहासे ठीक हो जायेंगे।
( 3 ) नीबू निचोड़ने के बाद जो फाँक ( छिलका ) बचता है, उसे इकट्ठी करके सूखा लें। सूखने पर पीस लें। इसकी दो चम्मच में एक चम्मच बेसन मिलाकर पानी डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर मलें। आधा घण्टे बाद चेहरा धोयें मुँहासे, झाँइयाँ, धब्बे ठीक हो जायेंगे।
( 4 ) नहाने से पहले चेहरे पर नीबू की फाँक रगड़कर जब रस सूख जाये तब नहायें। इसके बाद भी बार – बार हर घण्टे से चेहरे पर नीबू का रस लगाते रहें।
( 5 ) नीबू के रस को चार गुना ग्लिसरीन में मिलाकर चेहरे पर रगड़ने से कील, मुँहासे मिट जाते हैं, चेहरा सुन्दर निकल आता है। सारे शरीर पर रगड़ने से त्वचा कोमल और चिकनी हो जाती है।
( 6 ) गर्म दूध पर जमने वाली एक चम्मच मलाई पर नीबू निचोड़कर चेहरे पर मलने से मुँहासे दूर हो जाते हैं।
( 7 ) केवल नीबू का रस चेहरे पर लगायें या नीबू और गुलाबजल समान मात्रा में मिलाकर लगायें, इससे मुँहासे ठीक हो जाते हैं।
( 8 ) नीबू काटकर चेहरे पर रगड़े, फिर चेहरा धो डालें। इससे चेहरे की त्वचा पर मुँहासों के दाग हों तो धीरे – धीरे मिट जाते हैं।
( 9 ) आधा – आधा चम्मच नीबू का रस और हल्दी में चौथाई चम्मच नमक और एक चम्मच पानी मिलाकर गर्म करके चेहरे पर मलें। सूखने के बाद धोयें। मुँहासे व उनके निशान मिट जायेंगे। यह हर चौथे दिन लगायें।
मोतियाबिन्द ( Cataract ) – ( 1 ) एक भाग नीबू का रस, 5 भाग गुलाबजल मिलाकर छानकर शीशी में भर लें। दो बूँद सुबह – शाम नित्य दो बार, चार – पाँच महीने तक आँखों में डालें मोतियाबिन्द में लाभ होगा।
( 2 ) 9 भाग छोटी मक्खी का शहद; 1 भाग अदरक का रस; 1 भाग नीबू का रस; 1 भाग सफेद प्याज का रस- सब मिलाकर छानकर एक बूंद सुबह – शाम आँख में लम्बे समय तक डालते रहने से मोतियाबिन्द दूर हो जाता है। जलन हो तो गुलाबजल मिलायें। इसमें 12 भाग गुलाबजल डालकर नित्य इसी प्रकार डालते रहने से नेत्रज्योति बढ़ती है, चश्मा हट जाता है। यह नुस्खा प्राकृतिक चिकित्सक डॉ . हीरालाल ने डॉ . एस . आर . चावला को बताया, जिन्होंने अपने विश्वास सहित लेखक को बताया।
नेत्र ज्योतिवर्धक – एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर प्रातः भूखे पेट हमेशा पीते रहें। नेत्रज्योति ठीक बनी रहेगी तथा बढ़ेगी। इससे पेट साफ रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है। नीरोग रहने का यह प्राथमिक उपचार है।
सूखी त्वचा ( Dry Skin )- ( 1 ) आधा कप दही में एक चम्मच पिसी हुई मुल्तानी मिट्टी, आधा नीबू निचोड़कर मिलाकर चेहरे, हाथ, पैरों पर मलकर लेप कर दें और आधा घण्टे बाद धोयें त्वचा का सूखापन दूर हो जायेगा।
( 2 ) सूखी त्वचा पर हल्दी और नीबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें और त्वचा पर लेप करके आधा घण्टे बाद धोयें त्वचा का सूखापन दूर हो जायेगा।
( 3 ) चौथाई कप खीरे के रस में चार चम्मच बेसन, चार चम्मच दही, आधा नीबू निचोड़कर अच्छी तरह मिलाकर चेहरे तथा हाथ – पैरों पर मलकर लेप की तरह लगाकर आधा घण्टे बाद धोकर साफ कर दें। त्वचा में चिकनाई आ जायेगी।
( 4 ) शुष्क त्वचा के लिए रात को सोते समय एक चम्मच मलाई में नीबू का रस मिलाकर लगायें। सुबह उठकर चेहरा धो लें। इससे चेहरे के दाग और धब्बे कम होते हैं तथा त्वचा की रंगत निखरती है।
( 5 ) सोने से पहले या स्नान के बाद एक भाग ग्लिसरीन, दो भाग गुलाबजल और एक भाग नीबू का रस मिलाकर चेहरे, हाथ, पैरों पर लगाने से त्वचा का सूखापन दूर होता है।
तैलीय त्वचा ( Oily Skin )- ( 1 ) तैलीय त्वचा पर दाग – धब्बे व मुँहासे अधिक निकलते हैं। तैलीय त्वचा वालों को नित्य दो बार साबुन लगाकर चेहरा धोना चाहिए। चेहरे पर नीबू रगड़ने से तैलीय त्वचा में लाभ होता है।
( 2 ) नित्य प्रातः गुनगुने पानी में आधा नीबू का रस एक चम्मच शहद के साथ पीने से त्वचा कांतियुक्त होती है। तैलीय त्वचा के लिए दिन में कई बार नीबू पानी पियें। तैलीयपन कम हो जायेगा। त्वचा में निखार लाने के लिए कच्चे दूध में नीबू का रस मिलाकर त्वचा पर मलें।
नशा — ( 1 ) बार – बार नीबू पानी पीने से नशा उतर जाता है तथा नशा करने की इच्छा व आदत छूट जाती है।
( 2 ) नीबू पानी शहद पीने से हर प्रकार का नशा उतर जाता है, विशेषकर भाँग का नशा उतर जाता है।
( 3 ) एक गिलास नीबू पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से हर वस्तु का नशा उतर जाता है।
( 4 ) शराब का नशा दूर के लिए आधा गिलास खीरे के रस में एक नीबू निचोड़कर पियें। नशा दूर हो जायेगा।
धूम्रपान – नीबू चूसें। नीबू पानी पियें। जीभ पर बार – बार नीबू के रस की पाँच बूँद डालें और स्वाद खट्टा बनाये रखें। धूम्रपान, बीड़ी, सिगरेट, जर्दा व तम्बाकू खाने की आदत छूट जायेगी।
नाखून- नाखूनों पर नित्य नीबू रगड़ें, रस सूख जाने के बाद पानी से धोयें। इससे नाखूनों के रोग ठीक हो जाते हैं।
गला दर्द, गला बैठना, गले में ललाई होने पर एक गिलास गर्म पानी में नमक और आधा नीबू निचोड़कर सुबह – शाम गरारे करें।
यौन सुख – जब भी पति – पत्नी की आपस में मिलने की इच्छा हो तो दो गिलास पानी में आधा – आधा नीबू निचोड़कर दोनों एक – एक गिलास पियें। आपसी संगम के दस मिनट बाद इसी तरह नीबू पानी पियें। दोनों ही अपने आपको तरोताजा और आनन्दमय अनुभव करेंगे।
प्यास– प्याज पर नीबू, सेंधा नमक डालकर खाने से प्यास कम लगती है।
मुँह की दुर्गन्ध – एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर दो चम्मच गुलाबजल डालकर भोजन के बाद इस पानी से तीन कुल्ले करके बचा सारा पानी पी जायें। मुँह से दुर्गन्ध नहीं आयेगी।
कड़वा स्वाद – ( 1 ) रोगी प्रायः कहते हैं कि मुँह का स्वाद कड़वा रहता है, स्वाद खराब रहता है, जिससे खाना अच्छा नहीं लगता। नीबू की फाँक पर कालीमिर्च , काला नमक डालकर तवे पर सेंककर चूसने से मुँह में कड़वेपन का स्वाद अच्छा हो जाने से भोजन के प्रति रुचि बढ़ती है।
( 2 ) 5 कली लहसुन, आधा नीबू, जरा – सी अदरक, हरा धनिया या पोदीना, काला नमक, जीरा सबकी चटनी बनाकर भोजन के साथ खाने से भोजन के रुचि बढ़ती है।
दंत – मंजन सफाई — नीबू का एक छोटा- सा टुकड़ा लेकर इससे नित्य दाँत मलें और मञ्जन करें। दाँत मोती से चमकने लगेंगे।
पायोरिया , स्कर्वी ( Scurvy ) छाले, गले का दर्द – इनको ठीक करने के लिए नीबू अत्यधिक मात्रा में अर्थात् 4-5 नीबू तक का सेवन प्रतिदिन करें। नीबू का रस मसूढ़ों पर मलें। नीबू को गर्म पानी में निचोड़कर कुल्ले और गरारे करें। संतरा का अत्यधिक भी लाभदायक है। इनके प्रयोग से दाँत व मसूढ़ों के हर प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
छाले ( Stomatitis ) – ( 1 ) एक गिलास गर्म पानी में आधा नीबू निचोड़कर चार बार नित्य कुल्ले करें।
( 2 ) नित्य नीबू व पानी में स्वाद के लिए चीनी या नमक डालकर प्रातः भूखे पेट पियें। रात को सोते समय एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच घी डालकर पियें। लम्बे समय दो महीने तक प्रयोग करने से भविष्य में छाले होना बन्द हो जाते हैं।
खाँसी– ( 1 ) आधे नीबू का रस व दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खाँसी, श्वास, जुकाम में लाभ होता है।
( 2 ) नीबू में चीनी, काला नमक, कालीमिर्च भरकर गर्म करके चूसने से लाभ होता है। खाँसी का तेज दौरा ठीक हो जाता है।
( 3 ) पोदीने के 30 पत्ते, आठ कालीमिर्च पिसी हुई, एक गिलास पानी स्वादानुसार नमक मिलाकर उबालें। उबलते हुए आधा पानी रहने पर छानकर आधा नीबू निचोड़कर सुबह – शाम पियें। खाँसी तथा ज्वर ( फीवर ) में लाभ होगा।
( 4 ) एक नीबू को पानी में उबालकर एक कप में निवोड़कर दो चम्मच शहद डालकर मिला लें। इस प्रकार तैयार करके ऐसी दो मात्रा सुबह – शाम लें, खाँसी में लाभ होगा। सीने में जमा हुआ बलगम पिघलकर बाहर आ जाता है।
( 5 ) खट्टी चीजें सेवन करने से खाँसी बढ़ती है। सामान्य खाँसी वाले नीबू का सेवन न करें।
तिल्ली ( Spleen ) –( 1 ) नीबू को बीच में से काटकर उसको गर्म करके थोड़ा नमक लगाकर कई दिन तक भोजन से पूर्व चूसने से बढ़ी हुई तिल्ली ( प्लीहा ) अपने प्राकृतिक आकार में आ जाती है।
( 2 ) तिल्ली बढ़ने पर पेट बढ़ जाता है, तेज चलने पर साँस फूलती है, मलेरिया हो जाता है। दो चम्मच प्याज के रस में आधा नीबू निचोड़कर, दो चम्मच पानी मिलाकर सुबह – शाम पियें नीबू का अचार भी खायें।
( 3 ) एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर पियें। इस प्रकार तीन बार रोजाना पियें। नीबू का पानी पीने से तिल्ली की सूजन ठीक हो जाती है।
गैस – ( 1 ) एक चम्मच नीबू का रस, एक चम्मच पिसी हुई अजवायन, आधा कप गर्म पानी में मिलाकर सुबह – शाम पियें।
( 2 ) एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर चौथाई चम्मच मीठा सोडा मिलाकर नित्य पियें।
( 3 ) आधा गिलास गर्म पानी में आधा नीबू निचोड़कर जरा – सी पिसी हुई कालीमिर्च की फंकी सुबह – शाम लें।
( 4 ) सौंठ एक चम्मच, साबुत अजवायन 50 ग्राम, नीबू के रस में भिगोकर छाया में सुखायें। जब भी खाना खायें, खाने के बाद इसकी एक चम्मच चबायें।
( 5 ) नीबू काटकर इसकी फाँकों में नमक, कालीमिर्च भरकर गर्म करके चूसने से गैस में लाभ होगा।
( 6 ) एक चम्मच नीबू का रस इतनी ही मात्रा में शहद और अदरक का रस मिलाकर रोजाना तीन बार सेवन करें, गैस नहीं बनेगी।
( 7 ) खाने के बाद आधा नीबू एक कप पानी में निचोड़कर पियें।
( 8 ) नीबू के पाँच बीज, चौथाई चम्मच सोंठ – दोनों पीसकर आधा कप गर्म पानी में घोल कर पियें। इससे गैस जो पेट में भरी है निकल जायेगी।
अपच ( Dyspepsia ) — भोजन नहीं पचता हो, खट्टी डकारें आती हों-
( 1 ) पपीते पर, नीबू , कालीमिर्च डालकर सात दिन प्रातः खायें।
( 2 ) भोजन के साथ मूली पर नमक, नीबू डालकर नित्य खायें।
( 3 ) नीबू पर काला नमक, कालीमिर्च डालकर नित्य तीन बार चूसें। अपच व पेट के सामान्य रोग ठीक हो जायेंगे। भूख अच्छी लगेगी।
( 4 ) खाने से पहले नीबू पर सेंधा नमक डालकर चूसें।
नासूर ( फिस्चुला )- टी.बी. व कैंसर- ताजा नीबू शाम को पानी में डालें। प्रातः इसी पानी को गर्म करें, नीबू उसी पानी में गर्म होते समय भी रहे। इससे नीबू नरम होगा, रस सरलता से निकलेगा। एक नीबू का रस निकालकर स्वादानुसार शहद और थोड़ा सा पानी मिलाकर सुबह – शाम भूखे पेट खाने से पहले पियें। इस तरह आरम्भ करके एक – एक नीबू प्रतिदिन बढ़ाते जायें और सात दिन तक पियें। इसके बाद एक – एक नीबू घटाते जायें। यदि इस अवधि में नीबू के कारण जी घबराये, किसी प्रकार की हानि हो तो नीबू बढ़ाना बंद कर दें, कम कर दें, सामान्य स्थिति आने पर सात दिन का कोर्स ( अवधि ) पूरा कर लें। कैंसर , नासूर व टी.बी. में लाभ होगा। आशानुरूप लाभ नहीं हो तो पुनः यह कोर्स करें।
ज्वर – चाहे मलेरिया हो , मौसमी ज्वर हो, सामान्य ज्वर हो, जब ज्वर बहुत कम हो, तब दो घण्टे पूर्व कालीमिर्च, नमक और फिटकरी, समान मात्रा में पीसकर आधे नीबू पर डालकर चूसें। नीबू को गर्म न करें और दूसरा आधा टुकड़ा इसी प्रकार एक घण्टे बाद चूसें। मलेरिया बुखार ठीक हो जायेगा और ऐसा करने से मौसमी ज्वर भी ठीक हो जायेगा।
तेलाक्त बाल — यदि बाल तेलाक्त हैं तो एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर इस पानी से सिर धोयें और बालों को रगड़ें। बाल सूखे और साफ हो जायेंगे।
बाल उड़ना – ( 1 ) सिर पर कहीं से बालों का गुच्छा या चकत्ता उड़ गया हो तो वहाँ नीबू नित्य एक – दो माह तक रगड़ें। ऐसा करने से बाल उग आयेंगे।
( 2 ) नीबू के ताजे छिलकों को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि छिलके पूरी तरह गल न जायें। पानी ठण्डा हो जाने के बाद इससे सिर धोयें। पानी को धीरे – धीरे सिर पर रगड़ते भी जायें, इससे सिर का सारा मैल निकल जाता है तथा बालों का झड़ना भी बंद हो जाता है।
क्रोध- नाश्ता करते समय नीबू पानी पीने से क्रोध आना शान्त हो जाता है। संक्रामक रोग नीबू की सुगन्ध से संक्रामक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। दुर्गन्ध उत्पन्न होने वाले रोगों में नीबू सूँघने से बचाव होता है।
पानी के रोग — गंदा पानी पीने से यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग हो जाते हैं। यदि शुद्ध पानी नहीं मिले, नदी, तालाब में इकट्ठा किया हुआ पानी हो तो पानी में निचोड़कर पियें। पानी में नीबू निचोड़कर पीने से पानी के रोग, गन्दगी आदि से होने वाले रोगों से बचाव होता है। नीबू के छिलकों को रगड़ने से बदबू दूर हो जाती है।
पथरी- नीबू में सेंधा नमक भरकर पहले दो मिनट सूँघें फिर चूसें। पथरी के दर्द में लाभ होगा। लम्बे समय तक यह प्रयोग करने से पथरी पिघल जायेगी। पसीना- नीबू के पत्ते पीसकर शरीर पर मलें, पसीने में दुर्गन्ध नहीं आएगी।
रोग निरोधक शक्ति – वर्षा तथा शीत ऋतु में तो नीबू का प्रयोग करना बहुत उत्तम रहता है, क्योंकि नीबू शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करके इन मौसम में शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करता है।
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