आँवला ( MYROBALAN EMBLIC ) रहें निरोगी

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आँवला ( MYROBALAN EMBLIC ) रहें निरोगी

जो आँवला आकार में बड़ा होता हो , गूदे में रेशा नहीं हो, बेदाग और हल्की सी लाली लिए हुए हो, वह आँवला सबसे अच्छा होता है। संस्कृत भाषा में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा इत्यादि, अंग्रेजी में ‘एँब्लिक माइरीबालन’ या इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry) तथा लैटिन में ‘फ़िलैंथस एँबेलिका’ कहते हैं। यह वृक्ष समस्त भारत में जंगलों व बगीचों में होता है। वाराणसी का आँवला सब से अच्छा माना जाता है। यह वृक्ष कार्तिक में फलता है। आयुर्वेद के अनुसार हरीतकी (हड़) और आँवला दो सर्वोत्कृष्ट औषधियाँ हैं। इन दोनों में आँवले का महत्व अधिक है। चरक के मत से शारीरिक अवनति को रोकनेवाले अवस्थास्थापक द्रव्यों में आँवला सबसे प्रधान है। प्राचीन ग्रंथकारों ने इसको शिवा (कल्याणकारी), वयस्था (अवस्था को बनाए रखनेवाला) तथा धात्री (माता के समान रक्षा करनेवाला) कहा है।

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आँवला ( MYROBALAN EMBLIC ) रहें निरोगी

नवम्बर से मार्च तक आँवला ताजा मिलता रहता है। जनवरी फरवरी में आँवला अपने पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसी समय आँवले का मुरब्बा, अचार, जैम आदि बनायें आँवला मोटा और दागरहित काम में लें। एक आँवले में विटामिन ‘ सी ‘ चार नारंगी और आठ टमाटर या चार केले के बराबर मिलता है इसलिए यह शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में महत्वपूर्ण है विटामिन ‘ सी ‘ की गोलियों की अपेक्षा आँवले का विटामिन ‘ सी ‘ सरलता से पच जाता है। आँवला शक्ति का भण्डार है। इसे हमेशा किसी – न – किसी रूप में लेते रहें। नित्य उपयोग हेतु कुछ विधियाँ नीचे बताई जा रही हैं—

1 साग – सब्जी में आँवला खटाई के रूप में प्रयोग करें।

  1. आँवले की चटनी बनाकर खायें। इसके रस में शहद मिलाकर शर्बत की तरह पियें।
  2. आँवले का अचार, मुरब्बा बनाकर खायें।
  3. आँवले को उबालकर स्वाद की दृष्टि से शक्कर , मसाले डालकर खायें।

यदि किसी भी प्रकार से आँवले का प्रयोग करते रहें, तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पौष्टिक भोजन के अभाव में होने वाले रोग नहीं होंगे। यदि रोग होंगे, तो वे भी दूर हो जायेंगे।

पिसा हुआ आँवला दो चम्मच , देशी घी एक चम्मच शहद तीन चम्मच मिलाकर नियमित कुछ सप्ताह खाने से शरीर की कायापलट हो जाती है। नवजीवन का संचार होता है। च्यवनप्राश आँवले से ही बनता है, यह थकान, नेत्र, यकृत और मस्तिष्क की कमजोरी दूर करता है।

विटामिन ‘ सी ‘ — आँवले के 100 ग्राम गूदे में 500-700 मि.ग्रा . विटामिन ‘ सी ‘ मिलता है। एक ताजा आँवले में दो सन्तरों के बराबर विटामिन ‘ सी ‘ पाया जाता है।

आँवले में पोषक तत्त्व

आँवला के गूदे में जल 81.2 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 14.1 प्रतिशत, खनिज लवण 0.7 प्रतिशत, रेशा 3.4 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत और फॉस्फोरस 0.02 प्रतिशत होता है। आँवले में कई विटामिन होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं— विटामिन ‘ सी ‘ यानि स्कॉर्बिक एसिड। आँवले में गैलिक एसिड, टैनिन और आल्ब्युमिन भी मौजूद होते हैं।

रक्तवाहिनियों के विकारों को नष्ट करने में सक्षम

आंवला ( MYROBALAN EMBLICA )

आँवले में पाये जाने वाले कार्बोहाइड्रेट्स में मुख्य है रेशादार ‘ पेक्टिन ‘। यह रक्तवाहिनियों के विकारों को नष्ट करने में सक्षम है। आँवला मधुरता व शीतलता के कारण पित्त को शान्त करता है। आँवला पित्तनाशक होने के कारण रक्तपित्त, शीतपित्त, अम्लपित्त, परिणाम शूल आदि पित्त प्रधान रोगों की प्रधान औषधि है। आन्तरिक शक्ति बढ़ाने वाली औषधियों का प्रधान घटक आँवला ही है। आँवले में एक रसायन होता है, जिसका नाम सकसीनिक अम्ल है। सकसीनिक अम्ल बुढ़ापे को रोकता है और इसमें पुनः यौवन प्रदान करने की शक्ति भी होती है। आँवले में विद्यमान विभिन्न रसायन बीमार और जीर्ण कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में अपना अच्छा योगदान देते हैं।

बुढ़ापे से बचाए 

बुढ़ापे से बचने के लिए आँवले के रस में मिश्री और घी मिलाकर सेवन करें। सूखा हुआ आँवला नित्य एक चम्मच पानी के साथ फंकी लेने से शरीर में कान्ति एवं नवयौवन आता है। बुढ़ापे में शरीर में चूने की मात्रा बढ़ जाती है। चूने की अधिकता हड्डियों, स्नायुओं और रक्तवाहिनियों को कठोर बना देती है। इससे शरीर की गतिशीलता में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। आँवले का नित्य सेवन इस कठोरता को करके सारी क्रियाओं को समुचित रखता है। आँवला बुढ़ापे के लिए अमृततुल्य है।

बुढ़ापा देर से- सूखा आँवला पीस लें। इसकी दो चम्मच रोटी के साथ नित्य खाने से बुढ़ापा देर से आएगा और जवानी बनी रहेगी।

झुर्रियाँ व झाँइयाँ – नित्य सुबह – शाम चेहरे पर किसी भी तेल की धीरे – धीरे मालिश करें। रात को एक काँच का गिलास पानी से भरकर इसमें दो चम्मच पिसा हुआ आँवला भिगो दें और नित्य प्रातः पानी छानकर चेहरा इस पानी से धोयें। ऐसा करते रहने से चेहरे की झुर्रियाँ व झाँइयाँ दूर हो जायेंगी।

आँवला विटामिन ‘ सी ‘ की गोलियाँ और जुकाम की दवाइयाँ बनाने में काम आता है। आँवला ठण्डी प्रकृति का है। आँवले की विशेषता यह है कि सूखने पर भी इसके गुण नष्ट नहीं होते। आप हरा या सूखा किसी भी रूप में आँवला खाकर इसके समान गुण प्राप्त कर सकते हैं।

बढ़ाये नेत्रज्योति और स्मरणशक्ति

आँवले के नियमित सेवन से नेत्रज्योति और स्मरणशक्ति बढ़ती है। स्कर्वी रोग में आँवले का सेवन लाभकारी है। आँवला अमीनो अम्ल का उत्पादन करता है और को शीघ्र भरने में मदद करता है। दिल की बेचैनी , मेदा , तिल्ली , रक्तचाप , दाद , दाँत और मसूढ़ों के कष्टों को दूर करने में आँवला गुणकारी है। इसके सेवन से शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ती है। रक्त बनाने में यह फल उपयोगी है। आँवला खाने वालों में संक्रमण का प्रभाव कम होता है। यह कब्ज़ को दूर करता है। आँवले में सारे रोगों को दूर करने की शक्ति है। आँवला युवकों को यौवन प्रदान करता है और बूढ़ों को युवा जैसी शक्ति। गर्मियों में चक्कर आते हों, जी घबराता हो तो आँवले का शर्बत पियें। दिल धड़कता हो तो आँवले का मुरब्बा खायें। आँवले में विटामिन ‘ सी ’ सर्वाधिक होता है। मनुष्य को प्रतिदिन 50 मिलीग्राम विटामिन ‘ सी ‘ की आवश्यकता होती है जो 1.6 औंस आँवले के रस में मिल जाता है। एक आँवला, दो सन्तरे के बराबर होता है। दाँतों और मसूढ़ों को आँवला कठोर बनाता है। शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। आँवले का मुरब्बा ताकत देने वाला होता है। बालों, त्वचा, पेट और आँखों के लिए आँवले का मुरब्बा खाएँ। यह शरीर और मस्तिष्क को ठण्डक प्रदान करता है और शरीर की गर्मी को शांत करता है। यह गर्भवती के लिए हितकर है। एक अच्छा आँवला एक अण्डे से अधिक बल देता है। मस्तिष्क , हृदय की बेचैनी , धड़कन , मेदा , तिल्ली , रक्तचाप ( ब्लडप्रेशर ) , दाद में आँवला लाभदायक है। आँवला शक्ति और स्वास्थ्यवर्धक है। इससे वीर्य की निर्बलता दूर होती है। दाँतों में चमक आती है , मस्तिष्क के तन्तुओं में तरावट आती है। सूखे आँवले का गुण टूटी हड्डी जोड़ने वाला, धातुवर्धक, मेदवृद्धि नाशक है। कच्चे आँवले का रस पीना चाहिए। रात को सोते समय दस ग्राम आँवले का चूर्ण, पच्चीस ग्राम शहद में मिलाकर लेना चाहिए। इसे चटनी, कच्चा अचार, शर्बत, मुरब्बा किसी भी तरह प्रयोग करना चाहिए। नित्य दो बार खाने के बाद पिसा आँवला 1-1 चम्मच, पानी के साथ फंकी लेने से कब्ज के कारण सिरदर्द, गैस, आँखों व हाथ – पैरों में जलन , गुदा में जलन , दर्द दूर होता है। नियमित लेते रहने से मस्तिष्क शक्ति बढ़ती है, दमा – श्वास में आराम होता है। रक्त शुद्ध होता है, रक्त संचार ठीक होता है, यकृत ठीक रहता है।

भूख तेज करे 

दो चम्मच पिसा आँवला दो कप पानी में उबालकर, पानी छानकर पीने से भूख तेज लगती है, भोजन का स्वाद अच्छा लगता है पिसे हुए आँवले को पानी में घोलकर उबटन की तरह मलकर स्नान करने से त्वचा चमकदार और रोगरहित होती है।

उत्तेजना — आँवला शारीरिक , मानसिक उत्तेजनाओं को शान्त करता है।

पायोरिया- ताजे आँवले का सेवन दाँतों, मसूढ़ों की मजबूती के लिए कारगर है। यह पायोरिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी लाभप्रद है। सूखा पिसा हुआ आँवला या आँवले के रस में पाँच बूंद सरसों का तेल मिलाकर दाँतों पर मलने से पायोरिया ठीक हो जाता है।

आँवला वात एवं पित्त – नाशक है, इसलिए इसका उपयोग वायु रोग निरोधक के रूप में किया जाता है।

नकसीर – जिन्हें प्रायः नकसीर आती रहती है वे 50 ग्राम सूखे आँवलों को रात में 3 किलो पानी में भिगोकर पानी छानकर उससे नित्य सिर धोयें और एक कप पानी भी पियें। आँवले का मुरब्बा खायें। यदि नकसीर किसी भी प्रकार से बन्द न हो तो आँवले का रस रोगी की नाक में टपकाएँ, सुँघाएँ और आँवले को पीसकर सिर पर लेप करें, चार चम्मच आँवले का रस तीन चम्मच मिश्री मिलाकर पिलायें, अवश्य लाभ होगा। यदि ताजा आँवले न मिले तो सूखे आँवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लगायें इससे मानसिक खुश्की भी दूर हो जाएगी।

गर्मी गर्मी से बचाव – गर्मी में आँवले का शर्बत पीने से बार – बार प्यास नहीं लगती तथा गर्मी के रोगों से बचाव होता है।

बाँझपन- तीन महीने आँवले का रस पीने से बाँझपन और वीर्य की कमजोरी दूर होकर दम्पत्ति सन्तानोत्पत्ति योग्य हो जाते हैं। इससे कानों का बहरापन भी ठीक होता है।

मासिक धर्म- दो चम्मच आँवला दो कप पानी में गुड़ या मिश्री मिलाकर उबालें। आधा पानी रहने पर छानकर पियें। इस प्रकार तैयार कर दो बार लें मासिक धर्म कम होता हो तो खुलकर आयेगा और दर्द नहीं होगा।

तुतलाना — बच्चों का हकलाना, तुतलाना आँवला चबाने से ठीक हो जाता है, जी पतली होकर बोली साफ आने लगती है।

विस्तर में पेशाब करना- कुछ बालक विस्तर में पेशाब कर देते हैं। यह रोग है जो चिकित्सा कराने से ठीक हो जाता है। एक ग्राम पिसा हुआ आँवला , एक ग्राम पिसा हुआ काला जीरा और दो ग्राम पिसी हुई मिश्री मिलाकर फंकी दें। ऊपर से ठण्डा पानी पिलायें। बिस्तर में पेशाब करने का रोग दूर हो जायेगा।

छाले – गले में छाले होने पर मिश्री , मुलहठी व सूखे आँवले को समान मात्रा में पीसकर एक चम्मच चूर्ण एक गिलास दूध में मिलाकर सुबह – शाम पियें चार दिन इसका उपयोग करने से गले के छाले ठीक हो जायेंगे।

स्वप्नदोष – ( 1 ) एक आँवले का मुरब्बा नित्य खाने से लाभ होता है।

( 2 ) काँच के गिलास में 20 ग्राम सूखे आँवले पीसकर डालें। इसमें 60 ग्राम पानी भरें और फिर 12 घण्टे भीगने दें। फिर छानकर इस पानी में 1 ग्राम पिसी हुई हल्दी डालकर पियें। युवकों के स्वप्नदोष के लिए अच्छी औषधि है।

जीर्ण ज्वर-मूँग की दाल में सूखा आँवला डालकर पकाकर खायें।

पथरी – ( 1 ) आँवले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।

( 2 ) पिसा हुआ आँवला और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर दो चम्मच दो बार लम्बे समय तक पानी के साथ फंकी लेने से पथरी निकल जाती है।

रक्तस्रावी बवासीर- सूखे आँवले को बारीक पीसकर एक – एक चाय चम्मच सुबह शाम छाछ या गाय के दूध के साथ लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

श्वेत प्रदर – ( 1 ) 3 ग्राम पिसा हुआ ( चूर्ण ) आँवला, 6 ग्राम शहद में मिलाकर नित्य एक बार 30 दिन तक लेने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।

( 2 ) आँवले का 20 ग्राम रस शहद में मिलाकर एक माह तक लगातार पीने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।

कुष्ठ – एक चम्मच आँवले के चूर्ण की सुबह – शाम फंकी लें।

जलन – ताजा आँवले का रस चौथाई कप, आधा कप पानी और स्वादानुसार शक्कर मिलाकर नित्य दो बार पीते रहने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है। कब्ज़ और शीघ्रपतन दूर हो जाता है। छाती की जलन में लाभ होता है। स्त्री के मूत्रांग की जलन और खुजली ठीक होती है। आँवले का रस शहद के साथ सेवन करने से भी स्त्रियों का योनिदाह ( मूत्रांग की जलन ) शान्त होती है।

प्रोस्टेट – आँवले की गुठली को फोड़ने पर निकलने वाले बीज 150 ग्राम, गुड़ 150 ग्राम, काले तिल आधा किलो – इन सबको बारीक पीसकर, मिलाकर 20-20 ग्राम के लड्डू बनाकर नित्य सुबह – शाम खायें। प्रोस्टेट के रोग दूर हो जायेंगे।

पेशाब की जलन– ( 1 ) हरे आँवले का रस 50 ग्राम, शक्कर या मिश्री या शहद 50 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह – शाम पियें। यह एक खुराक का तौल है। इससे पेशाब खुलकर आएगा। जलन और कब्ज़ ठीक होगी। शीघ्रपतन दूर होगा।

( 2 ) साबुत धनिया दो चम्मच , एक चम्मच पिसा हुआ आँवला रात को दो कप पानी में भिगो दें। प्रातः धनिया ‘ को हाथ से उसी पानी में मसलकर, पानी हिलाकर छानकर पियें। इसी प्रकार प्रातः भिगोकर शाम को पियें। दस दिन लगातार पियें। पेशाब की जलन दूर हो जायेगी।

( 3 ) दो चम्मच आँवला तथा समान मात्रा में मिश्री मिलाकर पानी से नित्य दो बार फंकी लेने से पेशाब की जलन तथा पेशाब का रुक – रुक कर आना ठीक हो जाता है।

मधुमेह ( Diabetes ) – ( 1 ) सूखे आँवले और जामुन की गुठली समान मात्रा में पीस लें। इसकी दो चम्मच नित्य प्रातः भूखे पेट पानी के साथ फंकी लें। मधुमेह में लाभ होगा।

( 2 ) आँवले का ताजा रस मधुमेह के रोगियों के लिए लाभप्रद होता है। इसके सेवन से रक्त में शक्कर बनना कम हो जाता है। आँवला पाउडर 1 चम्मच दो बार पानी या दूध से फंकी लेने से मधुमेह में लाभ होता है।

कब्ज़ – रात को एक चम्मच पिसा हुआ आँवला पानी या दूध से लेने से सुबह दस्त साफ आता है, कब्ज नहीं रहती। आँतें तथा पेट साफ होता है।

यकृत में सूजन , पीलिया- ( 1 ) आँवले का रस चौथाई कप एक गिलास गन्ने के रस में मिलाकर पियें। इस प्रकार नित्य तीन बार पीते रहने से पीलिया ठीक हो जाता है।

( 2 ) 50 ग्राम आँवला + 50 ग्राम जीरा + 25 ग्राम इलायची सबको मिलाकर, पीसकर एक एक चम्मच तीन बार गाय के दूध के साथ फंकी लेने से लाभ होता है।

दस्त – ( 1 ) सूखा आँवला पिसा हुआ और काला नमक समान मात्रा में मिलाकर ज के साथ आधा चम्मच की फंकी लेने से दस्त बन्द हो जाते हैं। दस्तों में दो मुरब्बे के आँवले खाने से लाभ होता है। ताजा आँवलों का रस चार चम्मच पानी में मिलाकर पिलाने से भी लाभ होता है। सूखा आँवला भिगोकर इसका पानी भी पिला सकते हैं।

( 2 ) पिसे हुए सूखे आँवले में पानी डालकर पुनः पीसकर लेप बनाकर नाभि के चारों ओर दो इंच के क्षेत्र में गोल दीवार बनाकर इसमें अदरक का रस भर दें। रोगी सीधा सोता रहे। इससे पानी जैसे बार – बार हो रहे दस्त बन्द हो जाते हैं।

( 3 ) पिसा हुआ आँवला 10 ग्राम पिसी हुई छोटी हरड़ 5 ग्राम मिला लें। इसकी चौथाई चम्मच नित्य दो बार पानी के साथ फंकी लें। हर प्रकार के दस्तों में लाभ होगा । पाचनशक्ति बढ़ेगी।

पेचिश ( Dysentery )- दस्तों में आँव और रक्त आता हो तो एक बढ़ा चम्मच पिसा हुआ आँवला इतने ही शहद में मिलाकर नित्य तीन बार दस दिन तक सेवन करें।

मस्तिष्क शीतल रहे, नींद अच्छी आये, इसके लिए आँवले का तेल सिर में लगायें। इससे बाल घने, काले और मुलायम रहते हैं।

मस्तिष्क की कमजोरी – नित्य खाली पेट 2 नग आँवले का मुरब्बा खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर हो जाती है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए नित्य प्रातः भूखे पेट दो आँवले का मुरब्बा खायें। बच्चों को पढ़ाया हुआ याद नहीं रहता, बुढ़ापे में जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो गयी हो, उनके लिए आँवले के मुरब्बे का सेवन लाभकारी है।

पेट के रोग – दो नग आँवले का मुरब्बा नित्य खाने से पेट के रोग नहीं होते।

पाचन शक्तिवर्धक- खाने के बाद एक चम्मच सूखे आँवले के चूर्ण की फंकी लेने से पाचन शक्ति बढ़ती है, मल बँधकर आता है। सोते समय लेने से कब्ज दूर होती है।

कृमि ( Worms )- एक आँस ताजा आँवले का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर नित्य दो बार 7 दिन तक पीने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।

शक्तिवर्धक – पिसा हुआ आँवला एक चम्मच, दो चम्मच शहद में मिलाकर चाटें, ऊपर से दूध पियें। इससे सदा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। दिनभर प्रसन्नता का अनुभव होता है। जब ताजा आँवले मिलते हो तो प्रातः आधा कप आँवले के रस में दो चम्मच शहद और आधा कप पानी मिलाकर पियें। ऊपर से दूध पियें। इससे थके हुए ज्ञान – तंतुओं को उत्तम पोषण मिलता है। कुछ ही दिन नित्य पीने पर शरीर में नई शक्ति और चेतना आयेगी, जीवन में यौवन की बहार आयेगी। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं, उन्हें इस प्रकार आँवले का रस नित्य पीना चाहिए।

छाले – नित्य आँवले के दो मुरब्बे खायें।

कायाकल्प – नित्य सुबह टहलने या व्यायाम करने के बाद ताजे आँवले के 5 चम्मच रस में 3 चम्मच शहद मिलाकर पियें और दो घण्टे तक कुछ भी न लें। इस तरह ताजा आँवले के रस का सेवन दो महीने तक नित्य करने से कायाकल्प हो जाता है। सदा स्वस्थ और नीरोग रहने का यह श्रेष्ठ योग है।

स्कर्वी ( Scurvy )- स्कर्वी रोग के चलते शरीर के किसी भी भाग से रक्तस्राव हो सकता है। मसूढ़े सूज जाते हैं और रक्तस्राव होने लगता है। शरीर की हड्डियाँ अपने आप टूट सकती हैं। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को शरीर में कमजोरी महसूस होती है और वह स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है। यह रोग शरीर में विटामिन ‘ सी ‘ की कमी के कारण होता है। आँवले का नियमित सेवन करने से स्कर्वी रोग से मुक्ति मिल जाती है।

सिरदर्द – दो चम्मच पिसा हुआ आँवला इतने ही घी और शक्कर में मिलाकर सुबह शाम खायें और ऊपर से दूध पियें। इससे अनेक प्रकार के सिरदर्द ठीक हो जाते हैं। कमजोरी से होने वाले सिरदर्द के लिए प्रातःकाल खाली पेट दो नग आँवले के मुरब्बों का सेवन करना बहुत लाभदायक है।

रक्तक्षीणता में आधा कप आँवले के रस में दो चम्मच शहद, थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से लाभ होता है।

ग्लुकोमा — कनखल हरिद्वार के स्वामी रामदेव ने प्राणायाम, योग शिविर में कहा कि ” आमलकी रसायन ( आँवले का रसायन ) 200 ग्राम , मुक्तासुक्ती भस्म 10 ग्राम , सप्तामृत लौह 20 ग्राम इन सबको मिलाकर एक चम्मच नित्य सुबह – शाम खाली पेट पानी के साथ फंकी लेने से ग्लुकोमा में लाभ होता है। यह विद्यार्थी एवं पढ़ने – लिखने वालों के लिए भी लाभदायक है।

नेत्र ज्योतिवर्धक- आँवले के सेवन से आँखों की दृष्टि बढ़ती है। आँवले का मुरब्बा नित्य खायें। पाव भर पानी में 6 ग्राम सूखा आँवला रात को भिगो दें। प्रातः इस पानी को छानकर आँखें धोयें। इससे आँखों के सब रोग दूर होते हैं और दृष्टि बढ़ती है। सूखे आँवले के चूर्ण की एक चाय की चम्मच में एक चम्मच पिसी हुई मिश्री मिलाकर सुबह व रात को पानी के साथ फंकी लें। इससे कब्ज़ , अजीर्ण में भी लाभ होता है।

रक्तस्राव – ( 1 ) शरीर में कहीं से भी रक्त बह रहा हो, हर दो घण्टे में एक – एक चम्मच पिसे हुए आँवले की फंकी ठण्डे पानी के साथ लेने से रक्त बहना बन्द हो जाता है। कटने से रक्तस्राव होने पर कटे हुए स्थान पर आँवले का ताजा रस लगाने से रक्तस्राव बन्द हो जाता है।

( 2 ) यदि पेशाब तथा गुदा के रास्ते रक्त आता हो तो एक चम्मच आँवला पिसा हुआ, इतनी ही मिश्री या शक्कर में मिलाकर ठण्डे पानी से दो बार फंकी लेने से रक्त बन्द हो जाता है।

आमाशय के रोग— भोजन के बाद एक चम्मच आँवले का चूर्ण पानी से लें, कुछ दिनों में चमत्कार स्वयं दिखेगा। प्रतिदिन रात्रि को सोने से पहले एक चम्मच चूर्ण , एक चम्मच शहद के साथ लेने से पेट की समस्त बीमारियों में लाभ होता है।

अम्लपित्त – ( 1 ) दो चाय की चम्मच आँवले के रस में इतनी ही मिश्री मिलाकर पियें या बारीक सूखा पिसा हुआ आँवला और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर पानी के साथ फंकी लें। इससे रक्तपित्त भी ठीक होता है।

( 2 ) सूखा पिसा हुआ आँवला एक चम्मच रात को चौथाई कप पानी में भिगो दें। प्रातः इसमें आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ, चौथाई चम्मच कच्चा पिसा हुआ जीरा मिलाकर एक कप गर्म दूध में घोल लें। इसमें स्वाद के अनुसार मिश्री पीसकर मिलायें. फिर पी जायें। कुछ दिन यह नित्य सेवन करने से अम्लपित्त में लाभ होता है। चौथाई कप कच्चे आँवले के रस में इतना ही शहद मिलाकर पीने से भी लाभ होता है, यह शाम को पियें।

( 3 ) पिसा हुआ आँवला या रस एक चम्मच नित्य प्रातः भूखे पेट पानी के साथ लेने से अम्लपित्त में लाभ होता है।

उच्च रक्तचाप – आँवले में सोडियम को कम करने की क्षमता होती है। इसलिए रक्तचाप के रोगी के लिए आँवले का उपयोग लाभदायक है। यह रक्त बढ़ाने और साफ करने में सहायक है तथा इससे शरीर को आवश्यक रेशा मिलता है।

हृदय एवं मस्तिष्क की निर्बलता – आधा भोजन करने के बाद हरे आँवलों का रस 35 ग्राम पानी में मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है।

कोलेस्ट्रॉल, हृदय – रोग से बचाव – एक चम्मच आँवले की फंकी नित्य लेने से हृदय रोग होने से बचाव होता है। कच्चे हरे आँवले का रस चौथाई कप, आधा कप पानी, स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीते रहने से कोलेस्ट्रॉल कम होकर सामान्य हो जाता है, जिससे हृदय रोग से बचाव होता है।

हृदय – रोग– ( 1 ) दो चम्मच पिसा हुआ आँवला दूध के साथ फंकी लेने से हृदय के सारे रोग दूर हो जाते हैं।

( 2 ) सूखा आँवला और मिश्री समान भाग पीस लें। इसकी दो चाय की चम्मच की फकी नित्य पानी के साथ लेने से हृदय के सारे रोग दूर हो जाते हैं।

( 3 ) दो आँवले का मुरब्बा खा कर एक गिलास दूध पियें और दो घंटे तक खाना, पानी कुछ भी नहीं लें, इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है व किसी प्रकार के हृदय विकार नहीं होते। लम्बे समय तक सेवन ( करीब एक साल ) करें। आँवले का हमेशा सेवन करते रहने से अचानक हृदय गति रुकने ( Heart Fail ) की कोई सम्भावना नहीं रहती है।

गर्भिणी की कै – यदि गर्भावस्था में कै , उल्टी होती हो तो एक – एक नग आँवले का मुरब्बा नित्य चार बार खिलाने से के बंद हो जायेगी।

स्त्री के मूत्रांग में खुजली, जलन हो तो आँवले के रस में चीनी मिलाकर प्रतिदिन पीने से लाभ होता है।

सुप्रसव – ( 1 ) दो चम्मच पिसा हुआ आँवला दो कप पानी में उबालें और उबलते हुए एक कप पानी रहने पर छानकर दो चम्मच शहद मिलाकर नित्य गर्भावस्था में प से प्रसव सरलता से बिना दर्द के होता है।

( 2 ) गर्भवती महिलाओं को आँवले का मुरब्बा नियमित रूप से खाना चाहिए। नित्य दो नग प्रातः खाली पेट खाने से प्रसव नैसर्गिक रूप से होता है। शरीर में रक्त की कमी नहीं रहती है तथा गर्भ में पल रहे शिशु को भी पौष्टिक आहार मिलता है।

सुन्दर संतान — नित्य एक आँवले का मुरब्बा गर्भावस्था काल में खाते रहने से माँ स्वस्थ रहती हुई सुन्दर, गौरवर्ण सतान को जन्म देगी।

शराब के दुष्प्रभाव –आँवला और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर दो – दो चम्मच सुबह – शाम पानी के साथ फंकी लेने से शराब के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं।

हकलाना — सूखा आँवला चबायें , चूसें तथा एक चम्मच आँवले की फंकी पानी से लें। यह नित्य 5 माह लें। सुबह – शाम पाँच बार ॐ बोलें। हकलाना ठीक हो जाएगा।

दर्द- सुबह – शाम गर्म पानी से एक चम्मच आँवले की फंकी लें। रात को दूध में दो इलायची पीसकर डालें व उबालकर पियें। शरीर में कहीं भी दर्द हो, लाभ होगा।

दमा, जुकाम, खाँसी में सीने में कफ जमा हो , घर – घर की आवाज साँस के साथ आती हो तो पिसा हुआ आँवला और मुलहठी आधा – आधा चम्मच मिलाकर गर्म पानी के साथ फंकी लेने से कफ निकलने लगता है।

खाँसी– समान मात्रा में आँवला मिश्री मिलाकर आधा – आधा चम्मच चार बार चूसते रहने से खाँसी ठीक हो जाती है।

क्षय – आँवले में रोगप्रतिरोधक गुण पाये जाते हैं। क्षय रोग में आँवला किसी भी प्रकार से नित्य खाना लाभदायक है।

खसरा ( Measles ) की जलन – खसरा निकलने के बाद शरीर में जलन, खुजली हो तो 50 ग्राम सूखे आँवलों को 2 किलो पानी में उबालकर ठण्डा होने पर इससे नित्य शरीर धोयें। खुजली, जलन दूर हो जायेगी।

पेशाब में मवाद आती हो तो चार चम्मच आँवले का रस + दो चम्मच शहद + एक चम्मच पिसी हल्दी मिलाकर नित्य दो बार पिलाने से मवाद आना बन्द हो जाता है।

बाल स्वस्थ रखने के लिए- बालों में प्राकृतिक तेल नहीं लगाने से बाल खुश्क और बेजान हो जाते हैं। बालों में आँवले का तेल लगायें। सर्दी के मौसम में जब हरे आँवले मिलते हों तो आँवले का रस पियें। यदि रस पीना सम्भव नहीं हो तो सब्जी बनाते समय आँवले भी उबाल लें। उबलने पर इनकी गुठली निकाल कर आँवले की कलियों पर पिसा हुआ जीरा, कालीमिर्च नमक डाल कर खायें। शक्कर भी डाल सकते हैं। जब हरे ताजा आँवले नहीं मिलें तो सूखे पिसे हुए आँवले की पानी से नित्य एक फंकी लें।

सूखे आँवले का पाउडर, काले तिल, भृंगराज, मिश्री चारों बराबर की मात्रा में पीस कर मिला लें। इनकी एक – एक चम्मच लगातार बारह महीने फाँक कर गर्म दूध पियें। बाल काले, घने मजबूत तो होंगे ही, साथ ही शरीर के सारे अंग पुष्ट हो जायेंगे। आँवला पाउडर में नीबू का रस और तुलसी के पिसे हुए पत्ते मिलाकर लुगदी बनाकर बालों की जड़ों में लगायें। बीस मिनट बाद सिर धोयें। कुछ महीने यह प्रयोग करने से बाल कोमल, काले, घने और गिरना बन्द हो जाते हैं। पिसी शिकाकाई और आँवला पाउडर समान मात्रा में मिला लें। रात को आधा किलो पानी में आठ चम्मच पाउडर भिगो दें। प्रातः इनको अच्छी तरह हिलाकर छानकर बालों में मलें और दस मिनट बाद सिर धोयें। यह प्राकृतिक शैम्पू है। इससे बाल चमकदार और मुलायम हो जाते हैं।

बालों की सफाई – सूखा आँवला, शिकाकाई, अरीठा समान मात्रा में बारीक पीस लें। इसकी तीन चम्मच 3 कप पानी में उबालकर ठण्डा करके छान लें। छानने पर बची लुगदी को भी निचोड़ लें। इससे सिर धोयें। बाल बिल्कुल साफ हो जायेंगे। फरास भी धुल जायेगी।

शैम्पू बनाने की विधि – 100 ग्राम आँवला , 100 ग्राम शिकाकाई , 100 ग्राम अरीठा , 200 ग्राम काले जैतून ।

सभी सामग्रियों को मिलाकर 2 लीटर पानी में उबालिए, जब तक आधा पानी न रह जाए। उसे छानकर शैम्पू के रूप में उपयोग कीजिए। इस प्रकार आप अपने बालों की देखभाल करेंगी तो आपके बाल स्वस्थ, सुन्दर व चमकदार बनेंगे।

बाल गिरना — पचास ग्राम सूखे आँवले को रात में 250 ग्राम पानी में भिगो दें। प्रातः इस पानी से दस दिन तक सिर धोयें। इससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं , बालों की प्राकृतिक सुन्दरता बढ़ती है। फरास जमना दूर हो जाता है। मस्तिष्क और नेत्र को लाभ पहुँचता है। मेहँदी और सूखा आँवला पीसकर पानी में गूंधकर लगाने से बाल काले हो जाते हैं। इस प्रयोग के साथ ही आँवला चूर्ण और मिश्री सम भाग में मिलाकर पानी के साथ फंकी लेने से बालों के रोगों में बहुत लाभ होता है।

बाल काले करना — एक चम्मच चाय को एक कप पानी में डालकर उबालें। अच्छी तरह उबलने पर छान लें। इसमें दो चम्मच पिसा हुआ आँवला , चार चम्मच पिसी हुई मेहँदी, आधा चम्मच कॉफी, सब डालकर मिला लें, इसे बालों पर लेप करें। एक घण्टे बाद सिर धोयें। बाल काले रहेंगे तथा सफेद बाल भी काले, सोने जैसे दिखने लगेंगे। यह प्रयोग सप्ताह एक या दो बार करें। आवश्यकतानुसार मात्रा बढ़ा सकते हैं।

आँवले में बाल काले करने के गुण हैं। इसके सेवन से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। बालों का असमय सफेद होना या झड़ना इसके सेवन से रुक जाता है। यह बालों को प्राकृतिक सुन्दरता प्रदान करता है। आँवला खट्टा होने से सफाई करने का उत्तम साधन है। बाल धोने, चेहरा धोने से अच्छी सफाई होती है।

पिसा हुआ आँवला दो चम्मच, तुलसी के पत्ते 40 — पीस कर दोनों को मिला लें। इन्हें एक कप पानी में घोलें। इस घोल को बालों की जड़ों में लगाते रहें। सूखने पर सिर धो लें। इस प्रयोग से असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं और आगे भी सफेद बाल नहीं आते।

बाल लम्बे करना – सूखे आँवले और मेहँदी दोनों समान मात्रा में आधा कप पानी में भिगो दें। पानी की मात्रा आवश्यकतानुसार कम, अधिक कर सकते हैं। प्रातः इससे बाल धोयें तो बाल मुलायम और लम्बे हो जायेंगे।

सौंदर्यवर्धक – पिसा हुआ आँवला उबटन की तरह मलने से चर्म साफ और मुलायम रहती है तथा चर्म रोग नहीं होते। आँवले का उबटन सौंदर्य बढ़ाता है। 50 ग्राम पिसा हुआ आँवला सेंक लें। इसमें दो चम्मच घी मिलायें। नित्य एक चम्मच शहद में मिलाकर खाने से सौंदर्य बढ़ता है।

आँखों के आगे अँधेरा, सिर में जलन, बार – बार पेशाब आता हो, तो आँवलों का रस तीन चम्मच, एक कप पानी में मिलाकर सुबह – शाम चार दिन तक पीने से लाभ होता है।

उच्च रक्तचाप, रक्त की गर्मी – आँवले का मुरब्बा नित्य प्रातः खाने से उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है। आँवला रक्तशोधक है।

चक्कर आना- ( 1 ) गर्मियों में चक्कर आते हों, जी घबराता हो तो आँवले का शर्बत पियें।

( 2 ) बिना पिसा हुआ आँवला और धनिया प्रत्येक 15 ग्राम, एक गिलास पानी में को भिगो दें। प्रातः दोनों को मसलकर पानी छान लें। इसमें मीठे स्वाद के लिए मिश्री पीसकर मिला लें और पी जायें। इससे चक्कर आना बन्द हो जायेगा।

( 3 ) आँवला आधा चम्मच + एक बताशा + 5 कालीमिर्च पिसी हुई मिलाकर पानी से दो बार फंकी लें।

बच्चों के दाँत के रोग – जिन बच्चों के दाँत ठीक से न निकले हों, कमजोर हों, मंगूर ( Fragile ) हों और दाँतों में कीड़े लग गये हों, उन्हें रोज ताजे आँवले खाने को देना चाहिए। ताजे आँवले को दाँत से काटकर खाने तथा ताजे आँवले को काटकर दाँत पर मलने से दन्तविकार दूर हो जाते हैं।

दाँत में कीड़ा लगा हो, दर्द हो तो आँवले के रस में जरा – सा कपूर मिलाकर दाँत पर लगायें। दर्द दूर हो जायेगा।

नेत्र ज्योतिवर्धक – एक काँच का गिलास पानी से भरकर नित्य रात को उसमें एक चम्मच पिसा हुआ आँवला डाल दें। प्रातः बिना हिलाये आधा पानी छानकर उससे नेत्रों को धोयें। बचा हुआ आधा पानी आँवले सहित पियें। इस तरह लगातार चार माह करने से नेत्रज्योति बढ़ जायेगी, चश्मा भी हट सकता है।

आँखें – त्रिफला ( हर्र , बहेड़ा और आँवला ) रात को पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। प्रातः छानकर इस पानी से आँखें धोने से आँखें नीरोग रहती हैं।

घुटने का दर्द – एक भाग आँवला + दो भाग गुड़ मिलाकर एक – एक चम्मच नित्य तीन बार खायें।

गठिया — एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आँवले तथा 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। चौथाई पानी रहने पर इसे छानकर नित्य दो बार पिलायें। इस अवधि में बिना नमक की रोटी तथा मूँग की दाल में सेंधा नमक, कालीमिर्च डालकर खायें और हवा से बचें।

खाँसी – आँवले के पेड़ की हरी पत्तियाँ तोड़कर छाया में सुखाकर पीसकर मैदा की चलनी से छानकर एक चम्मच दो बार पानी के साथ फंकी लेने से कैसी भी, किसी भी प्रकार की खाँसी हो, ठीक हो जाती है।

प्रदर, खाँसी- ( 1 ) पिसा हुआ आँवला एक चम्मच, एक चम्मच शहद में मिलाकर नित्य दो बार चाटें।

( 2 ) आधा चम्मच आँवला की फंकी सुबह – शाम गर्म दूध के साथ लेने से सूखी खाँसी व खाँसी के साथ रक्त आना ठीक हो जाता है।

श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर में एक चम्मच पिसा हुआ आँवला नित्य पानी के साथ फंकी लेने से लाभ होता है। इसका रस भी ले सकते हैं।

गला बैठना- ( 1 ) पिसे हुए आँवले की पानी के साथ फंकी लेने से गला खुल जाता आवाज साफ आने लगती है।

( 2 ) एक चम्मच आँवला और शहद मिलाकर दो बार चाटने से गला बैठने से बिगड़ी आवाज खुल जाती है, गले का दर्द व सूजन ठीक हो जाती है।

पुराना बुखार – मूँग की दाल पकाने के बाद सूखा आँवला डालकर सेवन करने से जीर्ण ज्वर ( Chronic Fever ) में लाभ होता है।

हस्तमैथुन – हस्तमैथुन से धातु पतली हो गई हो तो युवकों को सलाह है कि हस्त मैथुन की आदत छोड़ दें। आँवले तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर, घी डालकर सेंकें और भूनें। सिकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पिसी हुई मिश्री मिला लें। एक चाय की चम्मच भरकर सुबह – शाम गर्म दूध से फंकी लें तो धातु – दौर्बल्य दूर होगा।

पेशाब में धातु जाती हो तो दो चम्मच आँवले का रस, दो चम्मच शहद के साथ मिलाकर पी जायें। इससे पेशाब में धातु जाना बन्द हो जाता है। यह शक्तिप्रद टॉनिक भी है।

पौष्टिक उत्पाद – मुरब्बा – आँवलों को पानी या भाप में उबालकर फाँकें कर लें, गुठली फेंक दें।

सामग्री – आँवले की फाँकें 1 किलो , चीनी एक किलो , पानी आधा किलो।

विधि— चीनी के तीन भाग कर लें। एक भाग चीनी पानी में उबालें। पानी में चीनी पूर्ण रूप से घुल जाये। इसे कपड़े से छानकर पुनः उबालें। इसमें आँवलों की फाँकों को डालकर दुबारा उबाल आने तक पकायें। आँच बन्द कर ठण्डा होने दें और जाली से ढककर रात भर छोड़ दें। अगले दिन फाँकों को अलग कर चाशनी में दूसरा भाग चीनी मिलाकर एक उबाल दें। उबलने पर आँवले की फाँकें ( जो चाशनी से अलग की थी ) उबाल आने तक पकायें। आँच बन्द कर इन्हें स्वतः ठण्डा होने दें और जाली से ढककर रात भर छोड़ दें। तीसरे दिन फाँकों को चाशनी से अलग कर खाली चाशनी में बचा तीसरा भाग चीनी मिलाकर एक उबाल दें। अब आँवले की चाशनी से अलग की हुई फाँकें डालकर पुनः उबालें और 5 मिनट तेज आँच पर एक तार की चाशनी बनने तक उबलने दें। अब इसे हल्का गुनगुना होने पर काँच के जार में भरकर ढक्कन लगा दें। ये पाँच फाँकें नित्य खाने से एक आँवला खाने से अधिक लाभ होगा।

परिरक्षित ( Preserved ) आँवला जैम

सामग्री – पूर्ण पके हुए आँवले एक किलो , चीनी एक किलो , पानी 200 मिलीलीटर ( लगभग 1 गिलास )।

विधि — आँवले धोकर स्टील के बर्तन में पानी में हल्की आँच पर उबालकर गुठली निकाल लें। आँवलों को पीसकर या मिक्सी से गूदा बना लें। इसमें चीनी मिलाकर गर्म करके चौड़े मुँह के जैम जार्स में गर्म ही भरकर ठण्डा होने पर ढक्कन लगाकर रखें। यह जैम तैयार हो गया। इसे ब्रेड, पराठे में लगाकर खायें। इस जैम की दो चम्मच एक गिलास पानी में घोलकर पेय के रूप में ले सकते हैं।

इस जैम की दो चम्मच में स्वादानुसार सेंधा नमक, कालीमिर्च, गर्म मसाला आदि मिलाकर चटनी के रूप में खायें। इस चटनी को टमाटर सॉस के स्थान पर खायें। इसी जैम को ठण्डे पानी में घोलकर जलजीरा डालकर शीतल पेय के रूप में पियें। ब्रेड स्लाइस पर यह जैम लगाकर खीरा, टमाटर कसकर सैण्डविच बनाकर खायें।

आँवला चूर्ण – मोटे पके विकसित आँवलों को उबलते पानी में 5 मिनट डालकर देखें कि इनकी फाँके अलग होने जैसी हो गई हैं, यदि कलियाँ ( फाँके ) अलग नहीं हों तो कुछ समय और उबलने दें, फिर निकालकर सादे पानी में 10 मिनट रखकर निकाल लें। आंवलों की फाँकों को अलग करके धूप में सुखा दें। गुठलियों को फेंक दें। जब ये पूरी तरह सूख जायें तो इनको पीस लें। चूर्ण तैयार हो गया। यह चूर्ण आँवलों के समान लाभदायक है।

उपयोग– ( 1 ) यह चूर्ण एक चम्मच सुबह – शाम लिया जा सकता है जो कि पर्याप्त रोग – निरोधक शक्ति देगा।

( 2 ) इस चूर्ण को दाल, चटनी, सब्जी आदि में खटाई के रूप में वांछित मात्रा में डाला जा सकता है।

( 3 ) गर्मी के दिनों में इसे ठण्डे पानी में इच्छानुसार चीनी मिलाकर शीतल पेय की तरह पिया जा सकता है। अधिक स्वादिष्ट पेय बनाने के लिए इसमें नमक व भुना पिसा जीरा या जलजीरा मिलाकर लिया जा सकता है।

आँवले के रस से बने उत्पाद – भूखे पेट आँवले का रस पीना अधिक गुणकारी है। आँवला खट्टा व कसैला होता है। इसका रस अल्प मात्रा में एक चम्मच पानी में घोलकर पिया जा सकता है। ताजा आँवला हमेशा नहीं मिलता इसलिए इसके रस से भी खाने – पीने योग्य पदार्थ बनाकर साल भर के लिए परिरक्षित किया जा सकता है।

आँवले का शर्बत

सामग्री- 1 किलो चीनी, 20 चाय के चम्मच आँवला का ताजा रस या चूर्ण, 300 ग्राम पानी।

विधि – चीनी, पानी और आँवले के रस को मिलाकर एक उबाल दें। स्टील के बर्तन में छानकर, ठण्डा कर शर्बत वाली साफ खाली बोतलों में भरकर रखें। उपयोग- इसे गर्मी के मौसम में शीतल पेय की तरह पानी मिलाकर पियें।

आँवला पाचक – आँवलों को उबलते पानी में 10 मिनट रखकर, उबालकर उसकी फांके अलग कर लें। इन फाँकों को थोड़ा सुखा लें। अब इन पर थोड़ा नीबू का रस निचोड़कर मिलाकर सुखा लें। इन सूखी फाँकों को सौंफ, सुपारी आदि की जगह साल भर खाया जा सकता है।

आँवले की पाचक गोलियाँ- सामग्री- ( 1 ) हरा ताजा आँवला 250 ग्राम;

( 2 ) सिका हुआ पिसा हुआ जीरा 2 चम्मच;

( 3 ) अदरक छिली हुई ताजा 15 ग्राम;

( 4 ) सेंधा नमक पिसा हुआ स्वादानुसार।

बनाने की विधि – आँवलों को कपड़े में बाँधकर उबलते हुए पानी की भाप में पकायें। जब आँवले पककर मुलायम हो जायें तो इन्हें ठण्डा करके पीसें और गुठली को फेंक दें। इसमें सेंधा नमक, जीरा, अदरक मिलाकर पुनः पीस लें और गोलियाँ बनाकर सुखा लें।

सेवन विधि व उपयोग – दो गोली तीन बार चूसें या चबाकर ठण्डा पानी पियें। ये गोलियाँ बहुत ही स्वादिष्ट और पाचक ( हाजमेदार ) होती हैं। विटामिन ‘ सी ‘ का भण्डार, दवा की दवा, स्वाद का मजा ही मजा।

आँवले का बिना तेल का खट्टा – मीठा अचार – एक किलो आँवला उबालकर गुठली निकालकर कस लें, बुरादा बना लें। चालीस ग्राम सेंधा नमक, एक चाय चम्मच मोटा कुटा हुआ गर्म मसाला, चार छोटी चम्मच पिसी सौंफ, एक चम्मच भुना – पिसा जीरा, 5 चम्मच गन्ने या जामुन का सिरका।

विधि – ऊपर बताये कसे आँवलों पर सभी सामग्री डालकर, मिलाकर सूखे मर्तबान या जार में भरकर ढक्कन लगाकर 3 दिन धूप में रखें। खाने योग्य अचार तैयार है। यह बिना तेल का अचार पोषक गुणों से भरपूर है।

ध्यान रहे कि आँवले के सभी उत्पाद समय के साथ गहरे भूरे रंग के होते जाते हैं। यह आँवले में उपस्थित कुछ रसायनों के कारण होता है जो हानिकारक नहीं है। अत : इसे खराब समझ कर फेंकना नहीं चाहिए। सिर्फ ध्यान यह रखना है कि इसमें किसी भी प्रकार की फफूँद न लगे व खाने में वांछित खुशबू व स्वाद रहे।

उपर्युक्त सभी व्यंजन बनाने में किसी भी रासायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया गया है। रासायनिक पदार्थों के उपयोग से आँवले के गुण कम हो जाते हैं। अतः हमें प्राकृतिक रूप से ही आँवले के उत्पाद बनाने चाहिए। इस तरह बनाये आँवले के उत्पादों के सेवन से आँवले से वांछित लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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