गर्भावस्था में पपीता खाने से बचें, सोंदर्य निखारे
दूध वृद्धि- कच्चे पपीते की सब्जी खाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। पका हुआ पपीता खाने से भी दूध बढ़ता है पपीता खाकर गर्म दूध पियें। इससे स्तनों का भी विकास होगा। तिल्ली व पीलिया में नियमित पपीता खाने से लाभ होता है।
कमर का सौंदर्य – लम्बे समय तक नित्य पपीता खाने से कमर का सौंदर्य बढ़ता है।
चेहरे का सौंदर्य – पके हुए पपीते का गूदा कुछ सप्ताह चेहरे पर मलने से झाँइयाँ व मुँहासे साफ हो जाते हैं।
मुख -सौंदर्य – आधा पका पपीता पीसकर चेहरे पर नित्य लेप करके एक घण्टे बाद धोयें। प्रातः भूखे पेट पपीता जायें। कील, मुँहासे, झुर्रियाँ दूर होकर चेहरा सुन्दर हो जायेगा। ऐसा दो माह करें।
गर्भपात- दक्षिण भारत की औरतों का विश्वास है कि पपीते में गर्भ गिराने के शक्तिशाली गुण हैं। गर्भावस्था में पपीता खाते समय सावधान रहना चाहिए। दरअसल कच्चे या अधपके पपीते में लेटेक्स और पेपेन होता है जो पेट में पल रहे भ्रूण के लिए नुकसानदायक होता है।
पुत्रोत्पत्ति – रूसी वैज्ञानिकों के अनुसार पपीते में प्लेटिनम होता है जो पुत्र उत्पन्न कर के जीन बढ़ाता है। पुत्र चाहने वाले दम्पत्ति पपीता खायें। पति गर्भाधान के तीन माह पहले से ही 200 ग्राम पपीता नित्य खायें। पत्नी गर्भाधान के बाद तीन माह नित्य 100 ग्राम पपीता खायें। इससे अधिक नहीं खायें। पति, पत्नी दोनों ही इस अवधि में मीठा नहीं खायें। मिठाई का परहेज रखें। बछड़े वाली लाल गाय का दूध तीन माह पियें। लाल या काली साड़ी पहनें और कमर पर नित्य धूप डालें। इससे 92 % पुत्र जन्म की सम्भावना होती है।