ऐसे जप करने से शीघ्र दर्शन देते हैं भोले शंकर

1
2489

भूतभावन भगवान शंकर शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव है। वे देवों के देव महादेव हैं। वे भक्तों पर असीम कृपा करने वाले हैं। सीधा और सरल होना ही शिव का स्वभाव है। शायद यही वजह रही कि उन्होंने उस भस्मासुर को वरदान दे दिया, जो उन्हें ही भस्म करने के लिए उनकी दौड़ा। भस्मासुर को भगवान शिव ने वर दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा।

Advertisment

दुष्ट भस्मासुर अपनी शक्ति की परख के लिए उन्हें भस्म करने की जब कोशिश करने लगा तो भगवान विष्णु उस दुष्ट भस्मासुर के सम्मुख प्रकट हुए। इस पर भस्मासुर भगवान विष्णु की माया से मोहित हो गया और नृत्य करने लगा, नृत्य के दौरान भस्मासुर में अपना हाथ सिर पर रख दिया तो वह स्वयं ही भस्म हो गया। चूंकि भगवान शंकर अत्यन्त भोले हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है।

भगवान शंकर से वरदान मांगना हो तो भक्त नरसी जी की तरह से मांगना चाहिए। जब भक्त नरसी जी को भगवान शंकर ने दर्शन दिए तो वरदान मांगने को कहा तो भक्त नरसी ने सहज भाव से भगवान भोले नाथ से कहा कि हे प्रभु, जो चीज आपको सबसे प्रिय लगती हो, वही हमे दे दीजिए। इससे भगवान भोलेनाथ अत्यन्त प्रसन्न हुए और भगवान ने कहा कि हे नरसी, मेरे को कृष्ण सबसे अधिक प्रिय हैं, अत: मैं तुम्हें उनके पास ही ले जाता हूं। ऐसा कहकर भगवान उन्हें गोलोक ले गए। आशय यह है कि शंकर से वर पाने को अपनी बुद्धि नहीं लगानी चाहिए, ऐसा करने से भक्त का सदैव ही कल्याण ही होता है, जैसा कि भक्त नरसी का हुआ। शंकर जी सहज ही प्रसन्न होने वाले देवों के देव महादेव है।

उनकी प्रसन्नता उनके ध्यान मात्र से प्राप्त हो जाती है, लेकिन भक्त को इससे अधिक प्राप्ति की अभिलाषा हो तो शंकर की प्रसन्नता के लिए प्रतिदिन आधी रात को अर्थात ग्यारह से दो बजे के मध्य ईशानकोण अर्थात उत्तर-पूर्व की तरफ मुख करके ऊॅँ नम: शिवाय मंत्र की एक सौ बीस माला जप करनी चाहिए। यदि गंगाजी का तट तो अपने चरण उनके बहते हुए जल में डाल कर जप करना उत्तम होता है। इस प्रकार से छह महीने तक करने से भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं और साधक को दर्शन, मुक्ति और ज्ञान देते हैं।

यह भी पढ़ें- जानिए, नवग्रह ध्यान का मंत्र

यह भी पढ़ें – काशी विश्वनाथ की महिमा, यहां जीव के अंतकाल में भगवान शंकर तारक मंत्र का उपदेश करते हैं

यह भी पढ़ें –अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाता है महामृत्युंजय मंत्र

यह भी पढ़ें –संताप मिटते है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से

यह भी पढ़ें – शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही क्यों करनी चाहिए ? जाने, शास्त्र मत

यह भी पढ़ें – साधना में होने वाली अनुभूतियां, ईश्वरीय बीज को जगाने में न घबराये साधक 

यह भी पढ़ें – यहां हुंकार करते प्रकट हुए थे भोले शंकर, जानिए महाकाल की महिमा

यह भी पढ़ें – जानिए, रुद्राक्ष धारण करने के मंत्र

यह भी पढ़ें – शिव के वे पावन स्थल, जहां पहुंचकर जन्म जन्मांतर के पाप हो जाते हैं नष्ट

 

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here