यहां मकान बनाया तो होगा अमंगल ही अमंगल

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वैसे तो भगवान सर्वत्र विराजमान हैं, लेकिन मंदिरों का विशेष महत्व हैं। यहां उनका विशेष पूजन-अर्चन होता है। यहां इस लेख में हम आपको अत्यन्त महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं, जो भवन निर्माण के लिए स्थान चयन में सहायक होगी। जिससे आम तौर पर आम आदमी अनभिज्ञ होता है और अंजाने में वह भूमि चयन में चूक कर देता है। जिसका प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है।

फेंगशुई के अनुसार किसी आवासीय भवन के पास मंदिर नहीं बनाना चाहिए। अगर मंदिर पहले से बना हो तो मकान नहीं बनाना चाहिए। अगर मंदिर और भवन दोनों हो तो मंदिर की गुमटी की छाया मकान के ऊपर नहीं पड़नी चाहिए। मंदिर के ऊपर अक्सर शुभ सूचक झंडा लगाया जाता है।

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इस झंडे की छाया जितनी दूर पड़े, वहां तक मकान नहीं बनाना चाहिए, इसलिए जब आप भूमि चयन या आवास खरीदने जा रहे हो तो इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह छोटी-छोटी बातें आपके जीवन को प्रभावित करती है, इसलिए इन बातों को ध्यान रखा जाए तो घर आपके लिए शुभकारक होता है और फेंगशुई की दृष्टि से शुभ माना जाता है, अन्यथा अशुभ माना जाता है।

भगवान शिवजी के मंदिर से लगभग 750 मीटर की दूरी में निवास हो तो कष्ट होता है विष्णु मंदिर के 30 फीट के घेरे में मकान हो तो अमंगल होता है, देवी मंदिर के 180 मीटर में घर हो तो रोगों से पीड़ा होती है और हनुमानजी के मंदिर से 120 मीटर में निवास होने पर तो दोष होता है।

महत्वपूर्ण यह है कि धार्मिक स्थल के आसपास बना भवन वास्तु के अनुकूल हो। ऐसे घर में तरक्की होगी। लेकिन यदि घर वास्तु के अनूकूल नहीं है तो तो उसमें रहने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

मंदिर के आसपास व मंदिर के सामने मकान का होना अशुभ होता है। मंदिर में रखी मूर्ति की दृष्टि घर पर पड़ना शुभ नहीं होता। इसी के साथ इस दोष को दूर करने के लिए घर के सामने तुलसी लगाना, गाय बांधना, घंटी लगाना आदि उपाय भी बताये जाते है। राजा भोज ने अपने श्रेष्ठ विद्बानों की सहायता से प्रजा की सुख-समृद्धि की कामना से ‘समरांगन वास्तु शास्त्र’ के रूप में संगृहीत किया। समरांगन वास्तु शास्त्र में एक सफल व्यक्ति, परिवार, कुटुंब, समाज, नगर तथा राज्य के समग्र विकास के सूक्ष्मतम वास्तु सिद्धांतों का उल्लेख है। समरांगन वास्तु शास्त्र में वास्तु दोष दूर करने के उपाय भी वर्णित हैं, जिनका प्रयोग कर आप अपने आवास वास्तु दोष दूर कर सकते हैं। किसी वास्तु के विद्वान् से परामर्श करें और वास्तु दोष दूर करें तो बेहतर होता है।

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