इस मंत्र के प्रभाव से मृत असुर जिन्दा हुए थे 

0
1977

महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहते है। महामृत्युंजय मंत्र को असुर गुरु शुक्राचार्य ने सिद्ध किया था और इसी मंत्र के प्रभाव से उन्होंने मृत असुरों को देवासुर संग्राम के दौरान जीवित किया था। इस मंत्र के जप से बीमारी, दुर्घटना और अनिष्टों का नाश होता है।

मंत्र जप के प्रभाव से मनुष्य शक्ति का अनुभूति करता है, जिसकी शब्दों में अभिव्यक्ति शायद सम्भव नहीं है। जैसे लम्बी सास खींचकर ऊॅँ शब्द के उच्चारण से दिमाग की नसें झंकृत होती हैं, उसी तरह से इस पावन व शक्तिशाली मंत्र के प्रभाव से जो तरंगें निकलती है, वह आपदाओं का नाश करने वाली होती है। यह अत्यन्त शक्तिशाली मंत्र है, इसलिए इसे महामंत्र कहा जाता है।
मंत्र है-

Advertisment

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।

उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌।। 

यह भी पढ़ें –अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाता है महामृत्युंजय मंत्र

यह भी पढ़े- केदारनाथ धाम में पूजन-अर्चन से मिलती है अटल शिवभक्ति

यह भी पढ़े- केदारनाथ धाम में पूजन-अर्चन से मिलती है अटल शिवभक्ति

यह भी पढ़ें- अर्थ-धर्म-काम- मोक्ष सहज मिलता है श्रीओंकारेश्वर महादेव के भक्त को

यह भी पढ़ें – काशी विश्वनाथ की महिमा, यहां जीव के अंतकाल में भगवान शंकर तारक मंत्र का उपदेश करते हैं

यह भी पढ़ें –संताप मिटते है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here