महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहते है। महामृत्युंजय मंत्र को असुर गुरु शुक्राचार्य ने सिद्ध किया था और इसी मंत्र के प्रभाव से उन्होंने मृत असुरों को देवासुर संग्राम के दौरान जीवित किया था। इस मंत्र के जप से बीमारी, दुर्घटना और अनिष्टों का नाश होता है।
मंत्र जप के प्रभाव से मनुष्य शक्ति का अनुभूति करता है, जिसकी शब्दों में अभिव्यक्ति शायद सम्भव नहीं है। जैसे लम्बी सास खींचकर ऊॅँ शब्द के उच्चारण से दिमाग की नसें झंकृत होती हैं, उसी तरह से इस पावन व शक्तिशाली मंत्र के प्रभाव से जो तरंगें निकलती है, वह आपदाओं का नाश करने वाली होती है। यह अत्यन्त शक्तिशाली मंत्र है, इसलिए इसे महामंत्र कहा जाता है।
मंत्र है-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
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