माला एक परम पवित्र वस्तु है, जो शुद्ध वस्तुओं से बनाई जाती है। माला का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। बुद्ध जी के अनुयायी भी माला के जप को महत्व देते हैं। बौद्ध धर्म में भी माला का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते है कि माला के मनके 1०8 क्यों होते है?
जप माला में 1०8 मनके होते हैं, जो कि साधक को जप की गणना में सहायक होते हैं। इन मनकों का रहस्य यह है कि भारतीय मुनियों और ऋषियों ने एक वर्ष में 27 नक्षत्र बताये हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं यानी 27 गुणा 4 होता है 1०8, यह संख्या पवित्र ही नहीं, बल्कि अत्यन्त पवित्र मानी जाती है। जप करते समय साधकों को होठ और जिह्वा को हिलाना पड़ता है। जिस कारण कंठ की धमनियां प्रभावित होती है और साधक को कंठमाला, गलगण्ड आदि रोग की संभावना बन जाती है। ऐसे रोगों के होने की संभावना से रक्षा के लिए औषधि युक्त काष्ठ तुलसी व रुद्राक्ष आदि की माला धारण करने का विधान है।
इस माला को करें धारण
तंत्रसार के अनुसार, शत्रु विनाश के लिए कमल गट्टे की माला धारण करनी चाहिए। मारण एवं तामसी कार्यों के लिए सर्प के हड्डी की माला धारण करनी चाहिए। विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए तुलसी की माला धारण करनी चाहिए। दीर्घायु होने के लिए महामृत्युंजय का मंत्र करना हो तो रुद्राक्ष की माला धारण करनी चाहिये। संतान गोपाल का जप करना हो तो जीव पुत्र की माला धारण करनी चाहिए। पाप नाश करने के लिए कुश ग्रंथि की माला धारण करनी चाहिए। विघ्न हरण के लिए हरिद्रा की माला जप करनी चाहिए। नजर व टोने-टोटके से बचाव के लिए व्याघ्र नख की माला धारण करना श्रेयस्कर होता है।
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