लकड़ी यानी काष्ठ के आासन पर बैठकर जप कदापि नहीं करना चाहिए। लकड़ी के आसन पर बैठकर मंत्र जप करने का फल दानवों को मिलता है,जोकि आपके आपके लिए हितकर नहीं है।
– पत्थर के आसन पर बैठकर मंत्र जप करने से रोग व्याधि का आगमन होता है।
– भूमि यानी जमीन पर बैठकर मंत्र जप करने से जप करने वाले व्यक्ति को दुख प्राप्त होता है और मंत्र जप का आधा फल धरती माता को प्राप्त होता है।
– बांस के बने आसन पर बैठकर जप करने से दरिद्रता आती है।
-सामान्य वस्त्र या कुर्सी का प्रयोग मंत्र जप के लिए निंदनीय माना गया है।
– तिनकों का आसन धनहानि प्रदान करता है।
– पत्तों से बना आसन विघ्नकारक होता है।
– घुनि हुई लकड़ी का आसन दुर्भाग्यकारी होता है।
यह भी पढ़ें- जानिए, मंत्र जप करने के लिए आसन कैसा हो
यह भी पढ़ें- जानिये, स्नान मंत्र- आसन और शरीर शुद्धि मंत्र- प्रदक्षिणा मंत्र- क्षमा प्रार्थना
यह भी पढ़ें- मंत्र जप माला विधान व वर्जनाएं