होलिका दहन, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह त्यौहार होली से एक दिन पहले मनाया जाता है।
होलिका दहन की कथा:
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- हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था, जो अपनी शक्ति से अहंकारी हो गया था।
- वह चाहता था कि सभी लोग उसकी पूजा करें।
- परंतु उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था।
- हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए,
- परंतु हर बार भगवान विष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा की।
- अंत में, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आग में प्रह्लाद को लेकर बैठने का आदेश दिया।
- होलिका को वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती।
- परंतु भगवान विष्णु की कृपा से, प्रह्लाद बच गए और होलिका जल गई।
होलिका दहन का महत्व:
- होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
- यह त्यौहार हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी शक्तिशाली बुराई क्यों न हो, अच्छाई हमेशा जीतती है।
- होलिका दहन नकारात्मक विचारों और भावनाओं को त्यागने और सकारात्मकता को अपनाने का भी प्रतीक है।
होलिका दहन की रीति-रिवाज:
- होलिका दहन के दिन, लोग लकड़ी और उपलों का ढेर इकट्ठा करते हैं।
- शाम को, ढेर को आग लगाई जाती है।
- लोग होलिका की परिक्रमा करते हैं और भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं।
- होलिका दहन के बाद, लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं।
होलिका दहन 2024:
- होलिका दहन 2024 में 24 मार्च को मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च रविवार को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का समापन 25 मार्च सोमवार को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा।
उदयातिथि के आधार पर होलिका दहन 24 मार्च 2024 को रविवार के दिन है। 24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा लग रही है।
उस दिन भद्रा का प्रारंभ सुबह 9 बजकर 54 मिनट से हो रही है, जो रात 11 बजकर 13 मिनट तक है। उस दिन भद्रा की पूंछ शाम 6:33 बजे से शाम 7:53 बजे तक है, वहीं भद्रा का मुख शाम 07:53 बजे से रात 10:06 बजे तक है।
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