कांग्रेस के अंत की शुरुआत है हिंदू विरोध

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  1. नई दिल्ली। देश की राजनीति सात दशकों तक काबिज रहने वाली कांग्रेस पार्टी कांग्रेस पार्टी पर तमाम आरोपल गाए जाते रहे है। इसमें मुस्लिम तुष्टिकरण प्रमुख का रूप है। काफी हद तक यह आप सही भी हैं। आईए जानते हैं वह कौन सी वजह है, जिनकी जिस वजह से कांग्रेस की मनसा पर हमेशा कव्वालियां निशान उठते रहे हैं। काग्रेस पार्टी पर अक्सर भाजपा और अन्य विरोधियों द्वारा हिंदू विरोधी निर्णय लेने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। यहां कुछ घटनाओं और नीतियों का उल्लेख किया गया है जिन्हें कांग्रेस के हिंदू विरोधी निर्णय के रूप में देखा गया है:

1. **शाह बानो केस (1985)**: यह एक महत्वपूर्ण मामला था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो को उनके पति से गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत इस फैसले को पलटने के लिए एक कानून पारित किया, जिसे कई लोगों ने तुष्टीकरण की राजनीति के रूप में देखा।

2. **राम जन्मभूमि विवाद**: कांग्रेस पर आरोप है कि उसने अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लंबित रखा और इस मुद्दे को हल करने में निष्क्रिय रही। यह आरोप लगाया गया कि पार्टी ने हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान नहीं किया।

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3. **धार्मिक अल्पसंख्यक तुष्टिकरण**: कांग्रेस पर अक्सर आरोप लगाया गया है कि उसने धार्मिक अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए नीतियों को प्राथमिकता दी, जिससे हिंदू समुदाय को उपेक्षित महसूस हुआ।

4. **सांप्रदायिक हिंसा (1984 सिख विरोधी दंगे)**: हालांकि ये दंगे हिंदू-मुस्लिम से नहीं थे, लेकिन 1984 के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेताओं की भूमिका के कारण पार्टी की छवि को नुकसान हुआ।

  • 5. **समान नागरिक संहिता का विरोध**: कांग्रेस पर आरोप है कि उसने समान नागरिक संहिता के मुद्दे को नजरअंदाज किया, जो कि भाजपा और कुछ अन्य दलों के अनुसार, सभी भारतीय नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
  • हालांकि, कांग्रेस पार्टी इन आरोपों को नकारती है और कहती है कि उसने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों का सम्मान करने की नीति अपनाई है। पार्टी का कहना है कि उसके फैसले और नीतियां हमेशा संविधान और कानून के अनुसार रही हैं और किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं। लेकिन जिस तरह से इन दिनों कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी की सदन में हिंदू विरोधी बयानों को छीछालेदर हो रही है, इसके बाद कांग्रेस को अपनी नीतियों को पुनर्विचार की आवश्यकता है। अन्यथा कांग्रेस का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है।
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