वाशिंगटन-डीसी। आपातकाल लगाकर देश में लोकतंत्र की हत्या करने वाली कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी देश के हालात को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि लोकतंत्र का दमन किया जाएगा जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि लोकतंत्र का दमन उनकी ही दादी इंदिरा गांधी ने 1977 में इमरजेंसी लगाकर किया था और उसके बाद लगातार कांग्रेस पार्टी हिंदुओं के हितों पर प्रहार करते हुए लोकतंत्र का दमन करती रही है। विदेश में बोलते समय राहुल गांधी अपने सरकार की गई हिंदू विरोधी नीतियों का जिक्र करना क्यों नहीं चाहते हैं। इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी जिस तरह से तुष्टिकरण की नीति के जरिए वर्ग विशेष मुस्लिम को संतुष्ट करना चाहती रही है अब वह नहीं हो पा रहा है इससे राहुल गांधी तिलमिलाए हुए हैं हुए हैं। और विदेश जाकर अपनी भड़ास निकालने का प्रयास कर रहे हैं।कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा है कि पिछले दस वर्ष के दौरान भारतीय लोकतंत्र पर उसने जो हमले किए हैं उससे हमारा लोकतंत्र कमजोर हुआ है लेकिन अब धीरे धीरे उबरने लगा है।
श्री गांधी ने यहां मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र पर पिछले 10 वर्षों के दौरान जो हमले हुए हैं उससे हमारा लोकतंत्र बहुत कमजोर हुआ है लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है और लोकतंत्र फिर पहले की स्थिति में लौटने लगा है।
उन्होंने कहा “पिछले दस वर्षों में भारतीय लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं और इसे बहुत कमजोर कर दिया गया है लेकिन अब यह पहले की स्थिति में लौट रहा है। मुझे विश्वास है कि लोकतंत्र पर हो रहे हमले पर भारत जवाबी कार्रवाई करेगा।”
मोदी सरकार पर अपने तथा कांग्रेस पार्टी के साथ कठोर व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा “चुनाव से ठीक पहले हमारे बैंक खाते सील किए गए और हमने अपने बैंक खातों पर रोक लगने के बाद भी चुनाव लड़ा। मैं ऐसे किसी लोकतंत्र के बारे में नहीं जानता जहां ऐसा होता हो। चुनाव के दौरान, हमारे कोषाध्यक्ष ने कहा कि हमारे पास कोई पैसा नहीं है। भारतीय इतिहास में मानहानि के मामले में जेल की सजा पाने वाला मैं एकमात्र व्यक्ति हूं, मेरे खिलाफ 20 मामले हैं। हमारे पास एक मुख्यमंत्री हैं जो अभी जेल में हैं।”
श्री गांधी ने महिलाओं को लेकर कहा “मैं सोचता हूं कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं नेतृत्व के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं। वे अधिक संवेदनशील होती हैं और उनका दीर्घकालिक दृष्टिकोण होता है। महिलाओं का राजनीति और व्यवसाय में अधिक संख्या में आना एक सकारात्मक कदम है। हम कांग्रेस के भीतर और अपनी राजनीतिक व्यवस्था में इस पर जोर दे रहे हैं। महिलाओं को आरक्षण देते हुए हमने पूरा पंचायती राज अधिनियम बनाया और विधानसभा तथा लोकसभा में महिला आरक्षण की वकालत करते रहे हैं और इसीलिए मैं इस पर दृढ़ विश्वास रखता हूं।”