संकटनाशन गणेश स्तोत्र, जो देता है अतुल्य ऐश्वर्य

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भगवान शिव के पुत्र प्रथम पूज्य गणेश जी भक्तों के सभी संकटों का नाश करने वाले देव हैं। भगवान गणेश की महिमा अनंत है और उनके पूजन से भक्त को अतुल्य सुख, आनंद और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। आज हम आपको गणेश जी के संकटनाशन गणेश स्तोत्र के बारे में भावार्थ सहित बताने जा रहे हैं जिसकी महिमा नारद पुराण में स्वयं नारद जी ने कही है……

 

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

संकट नाशन गणेश स्तोत्रम्
नारद उवाच

सुमुखश्चैक दन्तश्च कपिलो गज कर्णकः । लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः ॥

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धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः । द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि ॥

विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा । संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्यन जायते ॥

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्र विनायकम् । भक्त्यावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थ सिद्धये ॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठ विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ||

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः । नास्ति विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिं  लभेद ध्रुवम् ॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् । पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥

जपन् गणपती स्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत् । तस्य विद्या भवेत् सद्यो गणे शस्य प्रसादतः !!

इति श्री नारद पुराणे संकट नाशनं नाम गणेशस्तोत्र ं सम्पूर्णम्

भावार्थ

जो मनुष्य विद्या के प्रारम्भ में, विवाह में, गृह प्रवेश में, निर्गम में, संग्राम में, संकट में गण्ोश जी के सामने एकदंत, कपिलो, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धुम्रकेतु, गजाध्यक्ष, भालचंद्र और गजानन इन नामों का पाठ या श्रवण करता है, उसके विघ्न दूर होते हैं।

 

मनुष्य को आयु व अर्थ की प्राप्ति के लिए भक्ति के निधान गौरी पुत्र विनायक का स्मरण करना चाहिए। जो मनुष्य प्रात:, मध्यान्ह व शाम को वक्रतुंड, एकदंत, कृष्ण पिनाक्ष, गजवक्त्र, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, भालचंद्र, विनायक, गणपति व गजानन इन गणपति के नामों का स्मरण करता है, उसको निश्चित विघ्नो के भय मुक्ति व समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है।

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गणपति जी के इस स्तोत्र का जप करने से छह महीने में विद्यार्थी को विद्या, धनार्थी को धन, पुत्र की कामना करने वाले को पुत्र और मोक्ष की इच्छा रखने वाले को व्यक्ति को सदगति मिलती है। एक वर्ष तक जप करने से मनुष्य को नि:संदेह सिद्धि प्राप्त होती है। जो कोई भी व्यक्ति इस स्तोत्र को लिखकर आठ ब्राह्मणों को समर्पित करता है, उसे गणपति जी की कृपा से शीघ्र ही विद्या प्राप्त होती है।

इति श्री नारद पुराण संकट नाशन गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्।

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