नवरात्रि कैसे मनाए

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नवरात्रि की पूजा देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए की जाती है। हर दिन देवी के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है। यहाँ नवरात्रि की पूजा करने की सामान्य विधि बताई गई है:

नवरात्रि पूजा विधि:

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1. कलश स्थापना (घट स्थापना):

नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है।

एक स्वच्छ स्थान पर मिट्टी रखकर उसमें जौ बोते हैं और ऊपर कलश रखते हैं।

कलश में जल भरकर उस पर आम या अशोक के पत्ते और नारियल रखते हैं। इसे देवी के प्रतीक रूप में स्थापित किया जाता है।

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2. अखंड दीपक जलाना:

पूरे नौ दिनों तक अखंड दीप जलाना शुभ माना जाता है। यह दीपक हर दिन देवी की पूजा के समय जलाया जाता है और उसे बुझने नहीं दिया जाता।

 

3. मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करना:

मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर रखकर उसकी विधिवत स्थापना की जाती है।

 

4. देवी की पूजा:

प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, या देवी की आरती और मंत्रों का पाठ करना चाहिए।

हर दिन देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है:

पहला दिन: शैलपुत्री

दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी

तीसरा दिन: चंद्रघंटा

चौथा दिन: कूष्मांडा

पांचवा दिन: स्कंदमाता

छठा दिन: कात्यायनी

सातवां दिन: कालरात्रि

आठवां दिन: महागौरी

नौवां दिन: सिद्धिदात्री

 

5. भोग और प्रसाद:

देवी को विभिन्न प्रकार के भोग चढ़ाए जाते हैं। इसमें फल, मिठाई, सूखा मेवा आदि शामिल होते हैं। प्रत्येक दिन के अनुसार अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं।

 

6. व्रत और उपवास:

बहुत से लोग नवरात्रि के नौ दिन उपवास रखते हैं। इस दौरान सात्विक भोजन किया जाता है और कई लोग अन्न का त्याग करते हैं।

 

7. कन्या पूजन:

अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं को बुलाकर उनके पैर धोए जाते हैं और उन्हें भोजन कराकर उपहार दिए जाते हैं। इसे कंजक पूजन कहा जाता है।

 

8. आरती और विसर्जन:

नवरात्रि के अंतिम दिन मां दुर्गा की विसर्जन पूजा की जाती है। घरों में देवी की आरती उतारकर उन्हें विदाई दी जाती है।

 

पूरे नवरात्रि के दौरान स्वच्छता, शुद्धता और भक्तिभाव बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।

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