दर्दनाक सत्य: नेहरू और गांधी ने भगत सिंह की फांसी क्यों नहीं रूकवाई

0
141

पुस्तकों में खोजबीन करने पर पता चला कि, ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ (BHU) के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने 14 फरवरी 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फांसी रुकवाने के लिए लॉर्ड इरविन के समक्ष दया याचिका दायर की थी, साथ ही सजा कम करने के लिए भी कहा था। तब लॉर्ड इरविन ने मालवीय जी से कहा कि आप कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं, इसलिए आपको इस याचिका के साथ नेहरू और गांधी तथा कांग्रेस के कम से कम 20 अन्य सदस्यों के पत्र भी लाने होंगे।

जब मालवीय जी ने नेहरू और गांधी से भगत सिंह की फांसी रुकवाने के बारे में बात की, तो वे चुप रहे और अपनी सहमति नहीं दी। इसके अलावा गांधी और नेहरू की असहमति के कारण अन्य कांग्रेस नेताओं ने भी अपनी सहमति नहीं दी।

Advertisment

रिटायरमेंट के बाद लॉर्ड इरविन ने खुद लंदन में कहा था कि “अगर नेहरू और गांधी ने एक बार भी भगत सिंह की फांसी रोकने की अपील की होती तो हम निश्चित तौर पर उनकी फांसी रद्द कर देते, लेकिन पता नहीं क्यों मुझे लगा कि भगत सिंह को फांसी देने की जल्दी हमसे ज्यादा गांधी और नेहरू को थी।

 

कपिल कुमार की किताब के मुताबिक, “इरविन को तब बहुत आश्चर्य हुआ जब गांधी और नेहरू में से किसी ने भी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के लिए क्षमादान की मांग नहीं की।” लॉर्ड इरविन ने अपने दोस्तों से कहा कि ‘हम यह मानकर चल रहे थे कि गांधी और नेहरू भगत सिंह की रिहाई पर अड़े रहेंगे और हम उनकी बात मान लेंगे। अंग्रेज भी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी देने की जल्दी में नहीं थे, लेकिन गांधी और नेहरू को जल्दी थी, क्योंकि भगत सिंह भारत की जनता के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे थे, जो गांधी और नेहरू को बिल्कुल पसंद नहीं था। यही वजह थी कि वे चाहते थे कि भगत सिंह को जल्द से जल्द फांसी दी जाए। इरविन ने खुद कहा है कि भगत सिंह को जल्द से जल्द फांसी दी जानी चाहिए। यह कहा।

इसके अलावा लाहौर जेल के जेलर ने खुद गांधी जी को पत्र लिखकर पूछा था कि ‘क्या इन लड़कों को फांसी देने से देश का माहौल खराब नहीं होगा?’ तब गांधी जी ने लिखित जवाब भेजा था कि ‘आप अपना काम करें, कुछ नहीं होगा’।

इतना सब होने के बाद भी अगर कोई गांधी, नेहरू और कांग्रेस को देशभक्त कहता है तो हमें उनकी बुद्धि और ईमानदारी पर तरस आता है। वे दोनों धूर्त बदमाश थे…!!!

RTI के जरिए आप लॉर्ड इरविन के रिकॉर्ड की जानकारी भी निकाल सकते हैं। फिर आपकी शंकाएं अपने आप दूर हो जाएंगी।

आदि शक्ति के शक्तिपीठ की महिमा है अनंत

बिना अर्थ जाने मंत्रोच्चार, लाभकारी है या नही

दर्दनाक सत्य: नेहरू और गांधी ने भगत सिंह की फांसी क्यों नहीं रूकवाई

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here