लोकतंत्र का “पवित्र मंदिर” है विधानसभा: योगी

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लखनऊ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की नवीनीकृत दर्शक दीर्घा का उद्घाटन करते हुए इसे लोकतंत्र का “पवित्र मंदिर” करार दिया। इस अवसर पर उन्होंने इसे प्रदेश की 25 करोड़ जनता और सभी सदस्यों को समर्पित किया। उन्होंने दर्शक दीर्घा के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे विधानसभा का पहला प्रभाव (फर्स्ट इंप्रेशन) बताया।

मुख्य बिंदु:

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1. दर्शक दीर्घा का सुंदरीकरण और महत्व:

दर्शक दीर्घा को संविधान के मूल स्वरूप के पन्नों के आर्ट्स से सजाया गया है, ताकि आगंतुकों को संविधान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता का एहसास हो।

यह पहल मुख्यमंत्री के निर्देश पर की गई, ताकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का स्वरूप विश्व स्तरीय हो।

 

2. पुस्तकों का विमोचन:

मुख्यमंत्री ने विधानसभा द्वारा प्रकाशित दो पुस्तकों का विमोचन किया। इन पुस्तकों में 1952 से अब तक के मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष की संपूर्ण जानकारी दी गई है।

 

3. ई-विधान लागू करने में अग्रणी:

उत्तर प्रदेश विधानसभा ने ई-विधान लागू करके पेपरलेस कार्यप्रणाली का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह देश की सबसे बड़ी विधानसभा को आधुनिकता से जोड़ने का महत्वपूर्ण कदम है।

 

4. 1952 के नियमों में संशोधन:

विधानसभा संचालन के पुराने नियमों को संशोधित कर जनहित और पारदर्शिता के नए आयाम जोड़े गए हैं। अब प्रश्नकाल के दौरान अधिक सदस्य प्रश्न पूछ सकते हैं, जिससे संवाद और जनसरोकार मजबूत हुआ है।

 

5. लोकतंत्र के सशक्त स्तंभ के रूप में विधायिका:

मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र के दो पहियों – सत्ता और विपक्ष – की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि संवाद और चर्चा ही लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं।

 

6. संविधान की मूल प्रति का महत्व:

मुख्यमंत्री ने संविधान की मूल प्रति को पढ़ने और इसे भावी पीढ़ी को विरासत में देने की अपील की।

 

विशेष निर्देश:

मुख्यमंत्री ने सभी सदस्यों को संविधान की मूल प्रति पढ़ने का आग्रह करते हुए कहा कि इसका हर पन्ना भारत की भावनाओं और दर्शन को व्यक्त करता है।

सदन के गौरव का प्रतीक:

दर्शक दीर्घा का यह नवीनीकरण और विधानसभा के सुंदरीकरण का कार्य उत्तर प्रदेश विधानसभा को आधुनिक और विश्व स्तरीय बनाने की दिशा में एक कदम है। यह पहल न केवल लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाती है, बल्कि प्रदेश की जनता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का भी परिचायक है।

 

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