लखनऊ । मोबाइल फोन का बेजा इस्तेमाल बेजा इस्तेमाल पति पत्नी के रिश्तों में दरार डाल रहा है। यह खुलासा परिवार कल्याण विभाग की एक रिपोर्ट से हुआ है।
इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने सोमवार को बताया कि एक साल में इटावा में 600 से अधिक मामले परिवार परामर्श केंद्र में दर्ज कराए गए। थानों में पति पत्नी के विवाद के मामले आते हैं तो उनका थाने स्तर पर ही समझौता कराने का प्रयास किया जाता है । बात नहीं बनती है तो संबंधित थानेदार मामले को परिवार परामर्श केंद्र को भेज देता है । केंद्र में शिकायत आने के बाद पति पत्नी को यहां से एक तारीख तय करके बुलाया जाता है और दोनों को अलग अलग बात करके समझाने का प्रयास करते हैं।
परामर्श केंद्र की सदस्य नमिता तिवारी बतातीं हैं कि पति-पत्नी के आपसी विवाद के कारण छोटे छोटे होते हैं। मोबाइल का अधिक प्रयोग पति पत्नी के बीच में दरार डालने का सबसे बडा कारण बनता जा रहा है। इसके अलावा शादी के बाद से ही लड़की के घर वालों को जरूरत से अधिक हस्तक्षेप भी पति पत्नी के बीच के रिश्ते को खराब करने का बड़ा कारण है। आज कल पति हो या पत्नी दोनों ही पक्ष समझौता नहीं करना चाहते और बाद अलग अलग रहने तक पहुंचकर परिवार बिखर जाता है। पति पत्नी को जब हम बताते हैं कि उनको अलग होकर कितनी मुसीबत उठानी पड़ेगी भविष्य चौपट होगा, तो वे समझते हैं और समझौता हो जाता है।
पति पत्नी के रिश्तों में छोटी छोटी बातों को लेकर आपसी खटास के बाद परिवार टूटने के मामले में बढ़ते जा रहे हैं। सरकार की ओर से इस पर गंभीरता से काम किए जाने के कारण आधे से अधिक मामलों में समझौते कराकर परिवारों को टूटने से बचाया गया । पति पत्नी के बीच रिश्तों में खटास का सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन का अधिक प्रयोग और मायके पक्ष का हस्तक्षेप होना आया है।
भौतिकवादी युग में तेजी से हो रहे बदलावों के बीच पति पत्नी के रिश्तों में खटास के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं। पुलिस लाइन में संचालित इस केंद्र में महिला थाना प्रभारी के अलावा अन्य सात सदस्य और भी हैं। इसमें समाजसेवी सुशीला राजावत, नमिता तिवारी, ममता यादव, राहुल तोमर, रविंद्र चौहान, राकेश कुमार त्रिपाठी और मोहम्मद रहमान शामिल हैं। महिला थाना प्रभारी निर्मला कुमारी ने बताया कि इन मामलों में दोनों पक्षों की आपसी संतुष्टि के बाद ही उसका निस्तारण कमेटी द्वारा किया जाता है। दोनों पक्षों के संतुष्ट होने पर सुलहनामा लिखवाया जाता है और फिर पति पत्नी को एक साथ भेज दिया जाता है।
महिला थाना प्रभारी निर्मला कुमारी ने बताया कि 1 जनवरी 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक परिवार परामर्श केंद्र में कुल 617 मामले पति पत्नी के विवाद के आये इसमें से 370 मामलों का समझौता कराया गया है जबकि 207 मामले परिवार न्यायालय के माध्यम से निस्तारित हुये। 14 मामलों में दोनों पक्षों से बात नहीं बनी तो मुकदमे दर्ज कराये गये। अभी 23 मामले विचाराधीन हैं। एक दिसंबर 2024 से 20 जनवरी 2025 तक 46 मामले परिवार केंद्र में आ चुके हैं। इनमें 20 के समझौते भी हो गये हैं। 11 की सुनवायी चल रही है और बचे हुये थाने नहीं पहुंचे हैं तो उनको नोटिस देने की कार्रवाई चल रही है। यहां प्रार्थनापत्र आने पर दो महीने के अंदर निस्तारित कर देतीं हैं। दोनों पक्षों को तारीख देकर बुलाते हैं और तीन से चार बार में बात समझौते की बन ही जाती है। कमेटी हर महीने के पहले और चौथे रविवार को केंद्र में बैठकर सुनवायी करती है। लगातार तीन तारीख में किसी पक्ष के न आने पर नोटिस जारी किया जाता है, इसके बाद भी न आने पर पुलिस की टीम भेजी जाती है। टीम को आने वाले मामलों की जांच की भी जिम्मेदारी होती है, जो खाली समय में पति पत्नी के बारे में छानबीन करके अपनी रिपोर्ट सुनवायी के दौरान प्रयोग में लाती है।
जागरूक करने की जरूरत
परिवार परामर्श केंद्र की कमेटी गांव गांव जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों को लेकर जागरूक करती है। ग्राम प्रधान या स्वयं सहायता समूह के माध्यम से गांव की महिलाओं को एकत्र करके जागरूक करते हैं। यदि किसी महिला का उत्पीड़न पति, परिवार के किसी व्यक्ति या बाहरी व्यक्ति द्वारा किया जाता है तो गांव में महिला शिकायत भी दर्ज कराती हैं। इसके साथ ही सरकार के महिलाओं के लिये संचालित सुरक्षा हेल्प लाइन नंबरों मुख्यमंत्री हेल्प डेस्क 1076, वूमेन पावर लाइन 1090, वूमेन हेल्पलाइन 181. पुलिस आपातकालीन सेवा 112 की जानकारी देतीं हैं और महिला को बताया जाता है कि शिकायत को गोपनीय रखा जाता है।