अंतिम पायदान पर खड़े होने पर समाजवादी को याद आता है धर्म: योगी

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लखनऊ, 24 फरवरी (एजेंसी) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि समाजवादी जब अंतिम पायदान पर खड़ा होता है तो उसे धर्म की याद आती है।
बजट सत्र के पांचवें दिन महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुये उन्होने नेता प्रतिपक्ष पर तंज कसा और कहा “ अच्छा लगा कि आपने महाकुम्भ, सनातन परंपरा व अयोध्या धाम को स्वीकार किया। समाजवादी जब अंतिम पायदान पर खड़ा होता है तो उसे धर्म की याद आती है। नेता प्रतिपक्ष को इस बारे में आपत्ति थी कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में और राज्यपाल के अभिभाषण में महाकुम्भ को वैश्विक स्तर का आयोजन बनाने का उल्लेख क्यों किया और उस प्रकार की व्यवस्था क्यों नहीं की। ”
उन्होने मुस्कराते हुये कहा “ नेता प्रतिपक्ष समाजवादी से सनातनी हो गए हैं। स्वभाव के विपरीत उन्होंने अपने सदस्यों को टोका भी। स्वागत योग्य है कि आपने इस विषय को समझा और महत्व देकर सम्मान का भाव प्रकट किया।”
नेता प्रतिपक्ष के सवालों पर मुख्यमंत्री ने कहा “ जिन महापुरुषों ने भी भारत में जन्म लिया, मैं उन सभी को मानता हूं। मैं बुद्ध, जैन परंपरा (सभी तीर्थंकरों) को मानता हूं। हम लोग सनातन धर्म के साथ-साथ बौद्ध तीर्थस्थलों के पुनरोद्धार व सुंदरीकरण का कार्य कर रहे हैं। भारत के प्रति सम्मान का भाव रखने वाले और सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भूमिका रखने वाले सभी पंथ-संप्रदाय (बौद्ध, जैन, सिख) का हम सम्मान करते हैं। गुरु गोविंद सिंह के चार-चार पुत्रों की शहादत के प्रति सम्मान का भाव ही है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 26 दिसंबर की तिथि को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित किया है। पहली बार गुरुवाणी का पाठ निरंतर मुख्यमंत्री आवास पर हो रहा है। भगवान बुद्ध, जैन तीर्थंकरों, सिख परंपरा, कबीरपंथी, रविदासी, महर्षि वाल्मीकि की परंपरा या भारत के अंदर जन्मी हर उस उपासना विधि का, जिससे सनातन धर्म को मजबूती प्रदान होती हो और देश एक भारत, श्रेष्ठ भारत के रूप में आगे बढ़ता है, उन सबके प्रति हमारे मन में श्रद्धा व सम्मान का भाव है। ”
मुख्यमंत्री ने पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के दृश्य की चर्चा की। समाजवादी पार्टी के सदस्यों को इंगित करते हुए बोले “ आप संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे महानुभावों के प्रति आप लोगों का दृष्टिकोण क्या है, राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सदन के दृश्य देखकर इसका सहज अनुमान लगा सकते हैं। जो शोरशराबा, टिप्पणियां और राज्यपाल के प्रति व्यवहार किया जा रहा था, क्या वह संवैधानिक था। यदि ऐसा व्यवहार संवैधानिक है तो फिर असंवैधानिक क्या है। आप लोग भाषण बहुत देते हैं, लेकिन वास्तविक आचरण देखना है कि सपा सोशल मीडिया सेल का हैंडल देखिए। वह उनकी विचारधारा, आंतरिक शिष्टाचार, लोकतंत्र के प्रति उनके विचारों की अभिव्यक्ति का ऐसा माध्यम है, जिससे कोई भी सभ्य समाज लज्जा महसूस करता है। फिर भी आप दूसरों को उपदेश देते हैं। ”
योगी आदित्यनाथ ने द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की टिप्पणी से बात का आगाज किया। उन्होंने बताया कि डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि मानव का मानव होना उपलब्धि है, मानव का दानव होना पराजय और मानव का महामानव होना उसकी विजय है। मानव, दानव व महामानव (देव) तीनों श्रेणी सदा रही है। मान्यता है कि महर्षि कश्यप की दो रानियां थीं। एक से देव व दूसरे से दानव हुए। सीएम ने कहा कि कर्म, आचरण, व्यवहार उन्हें उस श्रेणी में पहुंचाता है। सीएम ने देव, दानव व महामानव का अंतर बताया।
महाकुंभ में व्यवस्थाओं को लेकर मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष से कहा “ 2013 में आपको जाने नहीं दिया गया था। इस बार आप गए थे। आपने स्नान किया, सुविधाओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। व्यवस्था सरकार की थी, माध्यम अध्यक्ष जी थे। महाकुम्भ में यदि विश्वस्तरीय सुविधा नहीं होती तो अब तक 63 करोड़ श्रद्धालु उसका हिस्सा नहीं बनते। अनुमान है कि 26 फरवरी तक यह संख्या 65 करोड़ पार करेगी। भारत में 144 करोड़ लोग रहते हैं, इसमें 110 करोड़ सनातन धर्मावलंबी हैं। ”

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