वक्फ तो केवल ट्रेलर है, Uniform Civil Code असली पिक्चर है

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23वां विधि आयोग तैयार करेगा फाइनल ड्राफ्ट

नई दिल्ली, 16 अप्रैल, (एजेंसी)। वक्फ तो केवल ट्रेलर है, Uniform Civil Code असली पिक्चर है” — और यह बात अपने आप में काफी कुछ कह जाती है। इसमें इशारा किया गया है कि वक्फ बोर्ड या वक्फ से जुड़े मुद्दे तो केवल एक छोटी सी झलक हैं, असली बड़ा बदलाव तो यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के ज़रिए आएगा।

अब जहां तक 23वें विधि आयोग की बात है — हां, ये आयोग यूनिफॉर्म सिविल कोड पर फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया में है। इससे पहले 21वें विधि आयोग ने 2018 में कहा था कि UCC की तत्काल ज़रूरत नहीं है, लेकिन अब 23वां आयोग सक्रिय रूप से इस पर काम कर रहा है, और माना जा रहा है कि एक मजबूत और व्यापक मसौदा सामने लाया जाएगा। वक्फ कानून के विरोध में सारे दल संविधान की कॉपी को लेकर हाथ में लेकर घूम रहे हैं। तब पीएम मोदी ने उसी संविधान में दर्ज समान नागरिक संहिता पर बड़ा संकेत देकर बता दिया कि वक्फ तो केवल ट्रेलर है, यूसीसी असली पिक्चर है। मुस्लिम नागरिक देश में कई जगह पर काली पट्टी बांधकर विरोध करने से लेकर दूसरे जरियों से वक्फ कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उस विरोध के बीच सबसे ज्यादा धर्म के आधार पर मुस्लिम नागरिकों की गरीबी के लिए कांग्रेस के तुष्टीकरण को कटघरे में डालकर प्रधानमंत्री मोदी ने एक चुनौती विपक्ष को दे दी। वक्फ के खिलाफ होते तरह तरह के प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री ने ये संकेत दे दिया कि वो दिन दूर नहीं जब यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सरकार प्रमुखता से कदम बढ़ा सकती है।

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थोड़ा बैकग्राउंड: यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद है कि सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत कानून एक समान हों — चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। अभी भारत में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं (जैसे हिन्दू लॉ, मुस्लिम पर्सनल लॉ आदि)।

क्यों चर्चा में है UCC?

  • संविधान का अनुच्छेद 44 राज्य को UCC लागू करने की दिशा में काम करने की सलाह देता है।

  • यह लैंगिक समानता और नागरिक अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है।

  • साथ ही, इसकी आलोचना भी होती रही है कि इससे धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।

पीएम मोदी ने क्या दिया संकेत

हिसार में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान को सत्ता पाने का हथियार बना लिया। जब भी उन्हें लगा कि सत्ता उनके हाथ से फिसल रही है, तो उन्होंने संविधान को रौंद डाला, जैसा कि उन्होंने आपातकाल के दौरान किया था। संविधान की भावना स्पष्ट रूप से कहती है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए, जिसे मैं धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता कहता हूं। लेकिन कांग्रेस ने इसे कभी लागू नहीं किया। उत्तराखंड में हमने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू की है, लेकिन कांग्रेस इसका विरोध करती रहती है।

केंद्र सरकार के टॉप एजेंडे में लौटा यूसीसी 

वक्फ संशोधन बिल को संसद में मिले समर्थन से उत्साहित केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा वापस अपने टॉप एजेंडे में रख लिया है। इसके लिए विधि आयोग फिर सक्रिय किया जा रहा है। 23वें विधि आयोग की अधिसूचना 2 सितंबर को जारी हुई थी। अब करीब 7 महीने बाद इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का फैसला लिया गया है। मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी आयोग के अध्यक्ष बनाए जा रहे हैं। उनके साथ दो पूर्णकालिक सदस्य भी नियुक्त होंगे। जाने-माने वकील हितेश जैन और प्रख्यात विद्वान प्रो. डीपी वर्मा पूर्णकालिक सदस्य होंगे। प्रो. वर्मा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हितेश जैन दीवानी, फौजदारी, वाणिज्यिक एवं संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं। इनकी नियुक्ति की अधिसूचना इस सप्ताह जारी होगी।

23वें विधि आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों की नियुक्ति जल्द 

दरअसल, जस्टिस रितुराज अवस्थी के नेतृत्व वाले 22वें विधि आयोग ने यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार कर सार्वजनिक राय के लिए जारी किया था। आयोग को इस पर करीब एक करोड़ लोगों की राय मिली थी। आयोग करीब 30 संगठनों की सुनवाई भी कर चुका था। हालांकि, कार्यकाल खत्म होने से यूसीसी का अंतिम ड्राफ्ट तैयार करने का काम ठंडे बस्ते में चला गया। इसकी बड़ी वजह यह थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत से पीछे रह गई। बहुमत के लिए वह जदयू और टीडीपी पर आश्रित है। संसद के अंकगणित को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विवादित मुद्दे किनारे रखने की रणनीति अपनाई थी। इस दौरान यह तय हुआ था कि भाजपा अपने शासन वाले राज्यों में कॉमन सिविल कोड पारित कराएगी।

बीजेपी के मूल मुद्दे

बीजेपी की राजनीति के जो मूल मुद्दे हैं उनमें ज्यादातर अब पूरे हो चुके हैं। सिर्फ समान नागरिक संहिता एकलौता विषय है, जिसे पूरा करना उनके लिए बाकी है। 1967 के घोषणापत्र जनसंघ ने नागरिकता से जुड़े सीएए को उसमें शामिल किया था। इसके बाद 2019-20 में नागरिकता संशोधन कानून आया। ऐसे ही राम मंदिर मूल मुद्दा बीजेपी की राजनीति का रहा है। 1989 में बीजेपी के पालमपुर अधिवेशन में राम मंदिर का प्रस्ताव पास हुआ। 2024 में अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में कर दी गई। वक्फ का मुद्दा बीजेपी ने पहली बार 2009 में उठाया जो अब कानून का शक्ल ले चुका है। तीन तलाक का मुद्दा बीजेपी ने 2019 में बीजेपी ने उठाया और उसी साल संसद से बिल पास कराकर तीन तलाक को खत्म कर दिया। इन सबके बीच एकलौता समान नागरिक संहिता का विषय बचा है जो पहली बार 1967 में जनसंघ के घोषणापत्र में शामिल हुआ। 58 साल बीत चुके हैं। वक्फ के बाद अब समान नागरिक संहिता की बारी है।

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