क्यों देव गुरु हैं बृहस्पति देव, कैसे करें पूजन और उसका फल

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देव गुरु बृहस्पति को देवताओं का गुरु इसलिए माना जाता है क्योंकि वे ज्ञान, बुद्धि, धर्म और नीति के प्रतीक हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं और अपनी तपस्या और ज्ञान के बल पर उन्होंने देवताओं के बीच उच्च स्थान प्राप्त किया। भगवान शिव ने उन्हें ‘बृहस्पति’ नाम दिया, जिसका अर्थ है ‘महान तपस्वी’ और उन्हें देवताओं का मार्गदर्शन करने का आदेश दिया। इसी कारण उन्हें देवगुरु की उपाधि मिली।

बृहस्पति पूजन के फल:

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बृहस्पति देव की पूजा करने से जीवन में कई शुभ फल प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • ज्ञान और बुद्धि: बृहस्पति ज्ञान के देवता हैं, इसलिए उनकी पूजा से बुद्धि, विवेक और ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • धन और समृद्धि: उन्हें धन और समृद्धि का कारक माना जाता है। उनकी कृपा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • शुभ विवाह: बृहस्पति विवाह के लिए शुभ ग्रह माने जाते हैं। उनकी पूजा से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और योग्य जीवनसाथी मिलता है।
  • संतान सुख: संतान प्राप्ति के लिए भी बृहस्पति की आराधना फलदायी होती है।
  • यश और सम्मान: उनकी कृपा से जीवन में यश, कीर्ति और सम्मान प्राप्त होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: बृहस्पति धर्म और नीति के भी कारक हैं, इसलिए उनकी पूजा से आध्यात्मिक विकास होता है।
  • समस्याओं का निवारण: मान्यता है कि देवगुरु बृहस्पति सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करते हैं और जीवन में सुख-शांति लाते हैं।

🪔 देवगुरु बृहस्पति क्यों हैं देवताओं के गुरु?

  1. ज्ञान के प्रतीक:
    बृहस्पति देवताओं के आध्यात्मिक और वैदिक गुरु माने जाते हैं। वे ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद जैसे चारों वेदों के ज्ञाता हैं।

  2. सत्य और धर्म का मार्गदर्शन:
    वे इंद्रादि देवताओं को धर्म और न्याय का पालन सिखाते हैं। जब भी देवता किसी भ्रम में होते हैं या कोई बड़ा निर्णय लेना होता है, तो वे बृहस्पति से सलाह लेते हैं।

  3. बुद्धिमत्ता और विवेक:
    बृहस्पति को बुद्धि और विवेक का स्वामी माना जाता है। वे संकल्प और सिद्धि दोनों में सहायक होते हैं।

  4. अमृत-मंथन में भूमिका:
    समुद्र मंथन के समय बृहस्पति ने देवताओं को सलाह दी जिससे वे असुरों पर विजय प्राप्त कर सके।

🌼 बृहस्पति पूजन के लाभ

  1. गुरु दोष से मुक्ति:
    कुंडली में गुरु कमजोर हो तो उसका प्रभाव जीवन में बाधाएं, विवाह में देरी, शिक्षा में अड़चन आदि के रूप में दिखता है। बृहस्पति पूजन से यह दोष दूर होता है।

  2. शिक्षा और करियर में सफलता:
    विद्यार्थियों और ज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए बृहस्पति की कृपा अत्यंत लाभकारी होती है।

  3. विवाह में शुभता:
    विशेष रूप से स्त्रियों की कुंडली में बृहस्पति विवाह के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह है। गुरुवार को बृहस्पति का व्रत करने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

  4. धन, संतान और यश में वृद्धि:
    बृहस्पति शुभ हो तो जीवन में सुख-समृद्धि, संतति सुख और समाज में मान-सम्मान मिलता है।

🙏 बृहस्पति पूजन और व्रत विधि

  • दिन: हर गुरुवार

  • रंग: पीला वस्त्र पहनें

  • भोग: चने की दाल, पीले फल, हल्दी युक्त खीर

  • मंत्र:

    “ॐ बृं बृहस्पतये नमः”

  • दान: पीली वस्तुएं, जैसे चना, हल्दी, पीला वस्त्र, केला आदि दान करें।

व्रत-पूजन के बारे अब विस्तार से जाने

गुरुवार का दिन बृहस्पति देव की उपासना के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा निम्न प्रकार से की जा सकती है:

  • प्रातःकाल स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर में या पूजा स्थान पर बृहस्पति देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • उन्हें पीले फूल, पीला चंदन और पीले रंग का भोग अर्पित करें (जैसे चने की दाल और गुड़)।
  • केले के वृक्ष की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। वृक्ष में जल अर्पित करें और उसकी जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं।
  • घी का दीपक जलाएं और बृहस्पति देव की आरती करें।
  • गुरु बृहस्पति की कथा सुनें या पढ़ें।
  • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” या अन्य बृहस्पति मंत्रों का जाप करें।
  • ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को पीले रंग की वस्तुओं का दान करें।
  • इस दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए और पीले रंग का भोजन करना शुभ माना जाता है।

श्रद्धा और विश्वास के साथ बृहस्पति देव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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