कोकिलावन धाम की कथा बहुत ही रोचक और भक्तिभाव से परिपूर्ण है। यह धाम मथुरा जनपद में स्थित है और यहाँ के शनि देव को कोकिलावन के शनि महाराज कहा जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कथा भगवान श्रीकृष्ण और शनिदेव से जुड़ी हुई है।
🕉️ कोकिलावन धाम की पौराणिक कथा:
एक बार शनिदेव ने सोचा कि वे भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहते हैं। परंतु श्रीकृष्ण जानते थे कि शनिदेव जहाँ भी जाते हैं, वहाँ कुछ ना कुछ कष्ट जरूर होता है, क्योंकि उनका स्वभाव न्यायिक और कठोर है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने शनिदेव को सीधे दर्शन देने से इनकार कर दिया।
🌟 शनिदेव की तपस्या:
शनि देव को यह बात बहुत खली। उन्होंने श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए गहन तपस्या शुरू की और कोकिलावन वन में जाकर वर्षों तक साधना की। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि वन का वातावरण भी बदल गया।
🌸 श्रीकृष्ण का हृदय परिवर्तन:
शनि की सच्ची भक्ति और तप देखकर श्रीकृष्ण का हृदय पिघल गया। वे शनिदेव के सामने प्रकट हुए। शनिदेव ने विनम्र होकर कहा,
“प्रभु, मैं भी आपका भक्त हूँ, मुझे भी अपने दिव्य दर्शन दीजिए और मुझे अपनी सेवा का अवसर दें।”
🪔 श्रीकृष्ण का वरदान:
भगवान श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर शनिदेव को आशीर्वाद दिया:
“जो भी भक्त इस स्थान पर आकर तुम्हारी सच्चे मन से पूजा करेगा, उसकी सारी बाधाएँ दूर होंगी। तुम यहां प्रतिष्ठित रहो, और भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते रहो।”
यहीं से यह स्थान “कोकिलावन शनि धाम” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
🙏 विशेषता:
-
शनिवार के दिन यहाँ हज़ारों श्रद्धालु आते हैं।
-
भक्त सरसों का तेल, नीले फूल, काले कपड़े, और उड़द आदि चढ़ाते हैं।
-
यहाँ शनिदेव के साथ कुश की पूजा करने की भी परंपरा है।
🛕 कोकिलावन शनि धाम यात्रा जानकारी
📍 स्थान (Location):
-
गाँव: कोकिलावन (Kokilavan)
-
निकटतम शहर: कोसीकलां (Kosi Kalan)
-
जिला: मथुरा, उत्तर प्रदेश
🚉 कैसे पहुँचे (How to Reach):
🚆 रेल मार्ग (By Train):
-
कोसीकलां रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक है – यहाँ से कोकिलावन मंदिर लगभग 6-8 किलोमीटर दूर है।
-
स्टेशन से ऑटो या टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
🚌 सड़क मार्ग (By Road):
-
मथुरा से कोसीकलां की दूरी लगभग 45 किमी है।
-
दिल्ली से दूरी लगभग 120 किमी (NH-19 के रास्ते)
-
दिल्ली, आगरा, फरीदाबाद आदि शहरों से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
✈️ हवाई मार्ग (By Air):
-
निकटतम एयरपोर्ट: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली (लगभग 140 किमी दूर)
-
वहाँ से टैक्सी या ट्रेन द्वारा कोसीकलां पहुँच सकते हैं।
🛏️ रुकने की व्यवस्था (Accommodation):
-
मंदिर परिसर के पास धर्मशालाएँ, सराय, और कुछ बेसिक होटल उपलब्ध हैं।
-
कोसीकलां या मथुरा में भी अच्छे होटल और गेस्टहाउस मिल जाते हैं।
🗓️ यात्रा का सर्वोत्तम समय:
-
शनिवार को विशेष भीड़ होती है, पर यही दिन शनिदेव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
-
शनि अमावस्या और शनि जयंती के दिन यहाँ बड़ा मेला लगता है।
🪔 पूजा और परंपरा:
-
भक्त सरसों का तेल, काले तिल, काले वस्त्र और नीले फूल लेकर आते हैं।
-
शनिदेव को तेल चढ़ाने के बाद मंदिर की 11 परिक्रमा करने की परंपरा है।
-
यहाँ “कुश मंदिर” भी है – वहाँ भी दर्शन करना शुभ माना जाता है।
भगवान शिव को शमी अत्यंत प्रिय, गणेशजी-शनि देव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं