उदर रोगों के उपचार में तुलसी को रामबाण औषधि माना गया है। इसकी पत्तियों, रस और काढ़े का सेवन पेट संबंधी समस्याओं में अद्भुत लाभ देता है। तुलसी न केवल पाचन शक्ति बढ़ाती है, बल्कि दस्त, पेट दर्द और संक्रमण जैसी समस्याओं में भी राहत देती है। आयुर्वेद में तुलसी को उदर विकारों के लिए एक प्रभावी और सहज उपाय बताया गया है।
(1) तुलसी के ताजे पत्तों का रस एक तोला प्रतिदिन नियमित सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है।
(2) तुलसी के पंचांग का काढ़ा बनाकर पीने से दस्तों में आराम होता है और पाचन शक्ति बढ़ती है।
(3) उपयुक्त काढ़े में एक या दो रत्ती जायफल का चूर्ण मिलाकर पीने से दस्तों की कठिन बीमारी में शीघ्र आराम होने लगता है।
(4) तुलसी व अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर दिन में 3 बार पीने से पेट दर्द में लाभ होता है।
(5) तुलसी के ग्यारह पत्ते लेकर एक माशा वायविडंग के साथ पीस डालो, इसको सुबह-शाम ताजा पानी के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
(6) तुलसी और सहजन के पत्तों को छांटकर भर रस में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से मंदाग्नि मिटकर दस्त साफ होता है।
(7) सूखे तुलसी पत्र, सौंठ और गुड़ मिलाकर बड़ी गोलियाँ बना लें, इनको प्रतिदिन सेवन करने से दस्तों में लाभ होता है।
(8) तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण एक माशा, इसबगोल तीन माशा मिलाकर दही के साथ सेवन करने से पतले दस्तों में लाभ होता है।