लखनऊ । राष्ट्रीय निषाद संघ एनएएफ ने विश्व मात्स्यिकीय दिवस का आयोजन प्रदेश महासचिव रमेश चन्द्र निषाद की अध्यक्षता में एसजी गेस्ट हाउस गोमती नगर में किया। निषाद मछुआरा समाज के प्रतिनिधियों ने भाजपा व केन्द्र राज्य सरकार पर निषाद समाज के साथ वायदा खिलाफी करने व सामाजिक-राजनीतिक उपेक्षा का शिकार बनाने का आरोप लगाया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव लौटन राम निषाद ने भाजपा पर निषाद समाज को झूठा छलावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने निषाद मछुआरा समाज के साथ वायदा खिलाफी किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा मछुआरा कल्याण कोष में मात्र 25 करोड़ धनराशि आवंटित करने को ऊँट के मुह में जीरा समान बताया।
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निषाद ने कहा कि भाजपा ने 5 नवम्बर 2012 को मावलंकर आडिटोरियम में मछुआरा दृष्टिपत्र/फिशरमेन विजन डाक्यूमेन्ट्स जारी करते हुए नीली क्रान्ति के विकास, मछुआरा समाज के सशक्तिकरण के साथ पूरे देश में मछुआरा समाज की जातियों को एससी/एसटी की सूची में रखकर आरक्षण की विसंगति को दूर करने का वायदा किया था। उप्र, बिहार, मध्यप्रदेश की निषाद मछुआरा जातियों को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का आरक्षण देने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास विचाराधीन था। परन्तु भाजपा सरकार ने इस पर कोई विचार नहीं किया। उल्टे उप्र की पिछली सरकारों के द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को निरस्त कर दिया तथा योगी सरकार ने 24 अक्टूबर, 2019 को 17 अतिपिछड़ी जातियों को एससी का आरक्षण देने सम्बन्धी प्रस्ताव को वापस लेकर निषाद व अन्य पिछड़ी जातियों के साथ विश्वासघात कर दिया।
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प्रदेश सचिव विजय कुमार निषाद ने कहा कि भाजपा जो कहती है उसे करती नहीं। वोट लेने के लिए निषाद समाज को राम भक्त व राम का मित्र बताती है परन्तु जब-जब सत्ता में आती है निषादों की रोजी रोटी छीनने व अधिकारों से वंचित करने का निषाद मछुआरा विरोधी कार्य करती है। प्रदेश उपाध्यक्ष रोशनलाल कश्यप एडवोकेट ने केन्द्र सरकार से राष्ट्रीय मात्स्यिकीय विकास बोर्ड ;एनएफडीवी का केन्द्रीय कार्यालय हैदराबाद की बजाय दिल्ली में बनाने व इसका अध्यक्ष परम्परागत पेशेवर निषाद मछुआरा जाति को बनाये जाने की मांग किया है।
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अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रदेश महासचिव रमेश चन्द्र निषाद ने प्रदेश सरकार से मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने व मत्स्यजीवी सहकारी सहमतियों को सशक्त बनाने व मछुआ दुर्घटना बीमा राशि को 5 लाख करने की मांग किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा तालाबों, झीलों, जलासयों का पट्टा निरस्त करने के आदेश को परम्परागत पेशेवर मछुआरा जातियों का विरोधी बताते हुए प्रदेश सरकार से इस प्रस्ताव को शीघ्र वापस लिये जाने की मांग किया है। उन्होंने मझवार ;मल्लाह, मांझी, केवट, मछुआ, राजगौड़द्ध, तुरैहा ;तुरहा, तुराहा, धीवर, धीमर, बेलदार ;बिन्द, नोनियाद्ध, पासी, तड़माली, राजभरद्ध, शिल्पकार ;कुम्हार, प्रजापितद्ध को वाल्मीकि व चमार या जाटव की भांति परिभाषित कर केन्द्र सरकार को प्र्रस्ताव भेजने की मांग किया है। बैठक को सर्व श्री राम केश बिन्द, दीपक कुमार निषाद, राहुल कश्यप, राजेश कुमार निषाद, रमाशंकर बिन्द ने भी सम्बोधित किया।