लखनऊ। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण पर क्रीमीलेयर की सीमा निर्धारित नहीं है और असीमित आय सीमा वाला भी एससी/एसटी आरक्षण का हकदार है, ऐसे में ओबीसी को 8 लाख वार्षिक आय सीमा पर क्रीमीलेयर घोषित कर आरक्षण के लाभ से वंचित करना नाइंसाफी है। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव लौटन राम निषाद ने ओबीसी आरक्षण क्रीमीलेयर का दायरा निर्धारित करने को नाइंसाफी करार देते हुए केन्द्र सरकार से एससी/एसटी की भाँति ओबीसी आरक्षण को क्रीमीलेयर के प्रतिबन्ध से मुक्त करने की मांग किया है।
उन्होंने अनारक्षित कोटे में समायोजन का आधार अंकीय वरिष्ठता क्रम को बनाने की मांग करते हुए कहा कि यदि ओबीसी, एससी, एसटी की कट ऑफ़ मेरिट सामान्य वर्ग के कट ऑफ़ मेरिट/माक्र्स के बराबर या ऊपर हो, तो उसे उसके निर्धारित कोटे में सीमित करना न्यायसंगत नही है। उम्र, शुल्क का लाभ उठाने वाले आरक्षित वर्ग को आरक्षण कोटे से वंचित करना अन्यायपूर्ण है।
निषाद ने कहा कि जिस संरक्षक की आय सीमा 8 लाख से कम है, उनके आश्रितों की उच्च से उच्च शिक्षा मुक्त होनी चाहिए। सामाजिक विषमता मिटाने के लिए ‘‘वन नेशन, वन एजुकेशन व इक्वल एजुकेशन’’ की आवश्यकता है। जब देश में दोहरी शिक्षा लागू रहेगी तो समतामूलक न्याय आधारित समाज की स्थापना संभव नहीं है। उन्होंने मांग किया है कि सामान्य वर्ग, ओबीसी, एससी व एसटी की मेरिट को पूर्व में ही निर्धारित किया जाना चाहिए। ओबीसी, एससी,एसटी की मेरिट सामान्य से कम कट ऑफ़ माक्र्स पर बनानी चाहिए। आरक्षण अयोग्य के चयन का आधार नहीं बल्कि प्रतिनिधित्व सुनिश्चितिकरण का आधार है। उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन से नहीं बल्कि डोनेशन से अयोग्य व अपात्र का चयन होता है।
निषाद ने कहा कि सेन्सस-2021 की आर्थिक जनगणना से कहीं अधिक आवश्यक जातिगत जनगणना है। कारण कि जनकल्याणकारी योजनाओं के संचालन के लिए वर्गीय आंकड़ा का होना आवश्यक है। केन्द्र सरकार द्वारा हर दसवें वर्ष एससी, एसटी व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग की जनगणना रिपोर्ट उजागर की जाती है। 2011 की जनगणना में इन वर्गों के साथ ट्राँसजेण्डर व दिव्यांग की जनगणना घोषित कर दी गयी। आखिर ओबीसी की जनगणना घोषित करने से कौन सी राष्ट्रीय आपदा आ रही थी।